आफ द रिकार्ड–यशवीर कादियान

सरकारी उदघाटन

जब भी कोई शासक दो गज दूरी-मास्क है जरूरी, का मूलमंत्र जनता को देकर खुद हजारों-लाखों की चुनावी रैलियों को संबोधित करके खुद उड़नखटोले पर उड़ जाए तो उस शासक के प्रति मन में श्रद्धा भाव जागृत होना स्वाभाविक ही है। इसी तरह जब हरियाणा में सूचना तकनीके जरिए बहोत से सरकारी काम वीडियो कानफ्रैसिंग-वीसी के जरिए ही हो जाएं,लेकिन उसके बाद भी शासक वर्ग फील्ड में उदघाटन-शिलान्यास के कार्यक्रमों में भीड़ जुटाए तो यकीनन इस तरह के प्रयासों से कोरोना को हराने में मदद तो मिलती ही होगी। यंू अगर सरकार के लोग चाहें तो उदघाटन-नींव पत्थर रखने के ऐसे काम आसानी से वीसी के जरिए निपटा सकते हैं।

गुड़गामा के जिस कोविड हस्पताल का उदघाटन मुख्यमंत्री मनोहरलाल के करकमलों से करवाया गया वहां पर मरीजों के इलाज के लिए न तो डाक्टर उपलब्ध थे और न ही अन्य स्टाफ। मैडीकल उपकरण भी उदघाटन के अगले दिन से हस्पताल से गायब मिले। ये हाल तो तब हुआ जब शासक वर्ग के लोग मौके पर जाकर उदघाटन करते हैं। इंतजामों की समीक्षा करते हैं। इंतजामों की तारीफ करते हैं। क्या सरकार के कर्णधारों को ये नहीं देखना चाहिए कि मुख्यमंत्री से जिस परियोजना का उदघाटन-शिलान्यास करवाए जाए उसकी एक गरिमा-प्रतिष्ठा होती है। मुख्यमंत्री के पद की तो निश्चित तौर पर गरिमा-प्रतिष्ठा होती है। अगर उनके उदघाटन किए गए हस्पताल का ये हाल है तो बाकि जगह क्या हाल होता होगा, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। जिन लोगों ने इस ढोंग-पाखंड को अंजाम दिया है, सीएम की प्रतिष्ठा को तार तार किया है,क्या उन पर सख्त एक्शन नहीं लिया जाना चाहिए? क्या उनको मुख्यमंत्री के पद की प्रतिष्ठा से यंू सरेआम खिलवाड़ करने की इजाजत दी जानी चाहिए?

इस घटना ये फिर से साबित हुआ कि सरकारों में बहोत सी चीजें भगवान भरोसे ही चला करती हैं। चल रही हैं। अगर सूक्ष्मता से पड़ताल की जाए तो ये सामने आएगा कि सरकारों में बहोत दफा बातें ही बातें की जाती हैं-पेली जाती हैं,बड़े बड़े दावे किए जाते हैं, जबकि ग्राउंड पर हालात बिल्कुल उल्ट होते हैं। उदाहरण के तौर पर प्रदेश भर में कोरोना मरीजों के लिए बन रहे आईसोलेशन सेंटर में जाकर देखा जाए तो ज्यादातर में जरूरी सुविधाओं का अकाल मिलेगा। ये भी कि कोरोना पीड़ितों को सरकार की तरफ से फ्री में दिए जाने वाले आक्सीमीटर,थर्मल स्कैनर-स्टीमर आदि की खरीद और कितने मरीजों को वाकई में ये उपकरण सरकार की तरफ से फ्री में दिए गए, की अगर निष्पक्ष जांच हो जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।

अगर सरकार के लोग चाहें तो गुड़गामा में बिना सुविधाओं के हस्पताल के मुख्यमंत्री के करकमलों से उदघाटन करने और फिर उसकी पोल खोलने की घटना से सबक ले सकते हैं। सबंधित अफसरों को सबक सिखा सकते हैं। इस से जो और लोग ऐसा ही करने की तैयारी में होंगे उनको भी सबक मिल सकेगा। सीएम को टेकन फोर ग्रांटेंड लेने वालों के साथ कड़ाई से पेश आना शासन-प्रशासन चलाने के आजमाए हुए नियमों के अनुरूप होगा। इस सारे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। सप्ताह भीतर ये जांच समाप्त होनी चाहिए। कसूरवार की निश्चित तौर पर जवाबदेही तय होनी चाहिए और बिना देर उसको सजा मिलनी चाहिए। बरोबर मिलनी चाहिए। साथ ही मुख्यमंत्री को सभी सबंधित पक्षों को सावधान-सचेत कर देना चाहिए कि अगर वो सीएम की प्रतिष्ठा बढा नहीं सकते तो कम से कम गिराने का काम तो हरगिज ना करें। इस मर्ज की एक दूसरी दवा भी थी। वो ये कि अगर बिना डाक्टरों-संसाधनों के हस्पताल का उदघाटन करवा ही दिया गया था तो कम से कम ये ही सुनिश्चत कर लिया जाता कि इस विराट कार्य की पोल ना खुलती। इसकी खबरें ना छपती। इसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल न होती। इस से सरकार की यंू जनता में भद्द तो ना पिटती।

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