“व्हाइट फंगस” में भी कारगर हो सकती है होम्योपैथी – डॉ. नितिका शर्मा

जहाँ म्यूकोरमाइकोसिस अर्थात ब्लैक फंगस ने देश भर में दहशत मचाई हुई है, वहीं इससे भी अधिक खतरनाक बीमारी के कुछ मरीज बिहार प्रदेश की राजधानी पटना में मिले हैं, इस बीमारी का नाम है “व्हाइट फंगस”।

जिसके बारे में जानकरी होना अत्यंत आवश्यक है।यह कहना है गुरूग्राम की “होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी” डॉ. नितिका शर्मा का।

यह बीमारी सामान्यतया चमङी, नाखून, किडनी, उदर, फेफड़े, दिमाग, प्राइवेट पार्ट्स तथा मुँह को प्रभावित करती है। फेफड़ों में इस बीमारी का प्रभाव ठीक उसी प्रकार होता है जैसे की कोरोना में। जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जैसे कैंसर , एड्स और मधुमेह के मरीजों में यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। कोरोना के इलाज के लिए दिए जाने वाले स्टेरॉइड के इंजेक्शन के अत्यधिक प्रयोग से भी इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।

इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं चमङी के ऊपर छोटे-छोटे दर्द रहित दाने या गठान, बुखार, खांसी, छाती मे दर्द, सांस लेने में तकलीफ, सरदर्द तथा जोङों में दर्द। इसका समय पर इलाज जितना महत्वपूर्ण है , उतना ही जरूरी है इसका बचाव।

डॉक्टर नितिका शर्मा के अनुसार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करके इस जानलेवा बीमारी की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जिसके लिए आर्सेनिक एल्बम-30, सिलिसिया, रसटोक्स, सिकेल कोर, कैलकेरिया कार्ब, जस्टिसिया-क्यू , थूजा, ब्रायोनिया एल्बम एवं सल्फर जैसी होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन, पूरी बाजू के कपड़े व दस्ताने पहनना, संतुलित और पौष्टिक आहार, प्रतिदिन व्यायाम, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, तनावमुक्त जीवन तथा मधुमेह के मरीजों को सीजिजियम जंबोलिनम तथा सिफलैंडरा जैसी होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन अत्यंत कारगर है। डॉ. नितिका शर्मा का यह भी कहना है कि होम्योपैथिक मेडिसिन का कोई भी साइड-इफैक्ट नहीं होता है तथा किसी भी होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन पंजीकृत होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह उपरांत ही करें।

Previous post

इनेलो ने प्रदेश के युवा संगठन और बूथ इकाई को मजबूती देने के लिए की नई नियुक्तियां

Next post

कोरोना महामारी व संगठन को लेकर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने छह राज्यों के पदाधिकारियों के साथ की समीक्षा

You May Have Missed

error: Content is protected !!