भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। आज प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से मुख्यमंत्री और गुरुग्राम के अधिकारियों से बात की और उसमें अधिकारियों का प्रस्तुतिकरण इतना बेहतर रहा कि प्रधानमंत्री भी सराहे बिना नहीं रह सके। अब इस बात से गुरुग्रामवासियों को खुश होना चाहिए कि उनके जिले के दो शीर्ष अधिकारियों को प्रधानमंत्री ने इस योग्य समझा कि उनकी सराहना की जाए। परंतु जमीनी स्तर पर स्थिति कुछ और है। यहां की जनता अधिकारियों की कार्यशैली से प्रसन्न नहीं है। अब इसका कारण तो जांच से ही पता चले कि महामारी और स्थितियां इतनी बिगड़ी हुई हैं कि बेहतर प्रयास से भी सुधर नहीं रहीं। या फिर अधिकारियों की कार्यशैली ऐसी है, जिसमें दिखावा अधिक और यथार्थ पर काम कम हैं। अब गुरुग्राम की स्थिति पर नजर डालें तो कल ताऊके चक्रवात था या मानसून पूर्व की बरसात थी, कुछ भी था लेकिन एक दिन की बरसात ने गुरुग्राम को अव्यवस्थित कर दिया। सड़कों पर स्थान-स्थान पर पानी भर गया। विधायक कार्यालय भी इससे अछूता नहीं था और ताऊ देवीलाल स्टेडियम का कोविड सेंटर आज सारे हरियाणा की खबर बना हुआ है। इसके अतिरिक्त बिजली मंत्री रणजीत चौटाला बार-बार यह कहते नहीं थकते कि सबकुछ बहुत बेहतर है, गुरुग्राम में कोई बिजली कट नहीं है लेकिन कल गुरुग्राम का लगभग हर क्षेत्र घंटों के बिजली कटों से जूझता रहा। इससे आगे की बात करें तो आज हम डिजीटल इंडिया की ओर बढ़ रहा है। सबकुछ डिजीटल हो रहा है और नेट कल रामभरोसे रहा। इन परिस्थितियों को झेलते हुए गुरुग्रामवासी कैसे अपने अधिकारियों की तारीफ करें? यही प्रश्न है। अब बात करें कोविड-19 की तो पिछले दिनों में मरीजों की संख्या बेशक कम हुई किंतु मौतों की संख्या नागरिकों को डरा रही है। वैक्सीनेशन का ड्राइव नागरिकों की समझ नहीं आ रहा कि कैसे चल रहा है। कभी सूचना आती है कि 18 साल से 45 साल के बीच के लोगों को लगना शुरू हो गया, कभी न की आ जाती है। यह तो कोरोना से बचाव के लिए लग रहे हैं न, लोगों के ऊपर आइसीएमआर की गाइडलान पालन करने का प्रशासन का पूरा दबाव है परंतु क्या प्रशासन आइसीएमआर की गाइडलाइन का पालन कर रहा है? क्या स्थान-स्थान पर सैनेटाइजेशन करवा रहा है? क्या जहां गंदगी के ढ़ेर लगे हैं, उन्हें साफ करवा रहा है? क्या कोरोना वॉरियर्स को पर्याप्त सुविधाएं दे रहा है? ऐसे ही अनेक प्रश्न हैं जो प्रशासन की कार्यकुशलता पर प्रश्न लगाते हैं।आजकल मुख्यमंत्री की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है। इसे यह समझें कि मुख्यमंत्री द्वारा कराया गया प्रस्तुतिकरण इतना उम्दा था कि यथार्थ को छुपाकर प्रधानमंत्री से सराहना प्राप्त करने में सफल रहे मुख्यमंत्री और अधिकारी। Post navigation “व्हाइट फंगस” में भी कारगर हो सकती है होम्योपैथी – डॉ. नितिका शर्मा केआईआईटी कॉलेज ऑफ एजुकेशन को उत्कृष्ट शिक्षक शिक्षा संस्थान के लिए सम्मान