— नेकी करने वाला ही, भक्ति कर सकता है : हजूर कवर साहेब जी
— यह दुनिया एक सराय की भांति है और जीव मुसाफिर, जीव का आवागमन का चक्कर इसी तरह चलता रहेगा।
— इंसानी चोले में हमें अनमोल अवसर मिला है, यदि यह अवसर चूक गए तो फिर 84 योनियों में भटकना पड़ेगा। 
— किसी के प्रति ईर्ष्या द्वेष ना रखो, हर किसी से प्यार प्रेम और सच्चाई के रास्ते पर चलने वाला ही भक्ति कर सकता है : हजूर कवर साहेब जी

चरखी दादरी/भिवानी दिनोद धाम जयवीर फोगाट

20 मई – इंसान ने चाहे ग्रंथों का अध्ययन करके कितना ही ज्ञान अर्जित क्यों ना कर लिया हो लेकिन यदि परमात्मा से प्रेम करना नहीं सीखा, परमात्मा के नाम का सुमिरन नहीं किया और संतों का सत्संग नहीं किया तो सारा ज्ञान बेकार है। यह सत्संग वचन परम संत सतगुरु हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में वर्चुअल सत्संग फरमाते हुए प्रकट किए।              

हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि इंसान की दीवानगी केवल परमात्मा के प्रति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन वस्तुओं के लिए अभिमान जागता है उनके लिए दीवानगी आपको गफलत के रास्ते पर ही लेकर जाएगी। उन्होंने ने कहा कि जगत भावना से परे रहकर ही इंसान प्रभु भक्ति के रास्ते पर चल सकता है। यदि आप में सबल निर्बल अमीर गरीब ऊंच-नीच छोटे बड़े की भावना है तो आप प्रभु भक्ति के काबिल नहीं है। हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि यदि आप में आपके बल ताकत धन वैभव या दूसरी किसी सांसारिक वस्तुओं का अभिमान है,उसके प्रति दीवानगी है तो यह दीवानगी व्यर्थ है क्योंकि मौत तो एक दिन सबको आनी है। उन्होंने कहा कि इंसान का जीवन क्षणभंगुर है यह सदा रहने वाला नहीं है सदा रहने वाली तो केवल एक ही वस्तु है और वह है परमात्मा की भक्ति।                 

 उन्होंने फरमाया कि इंसान ने जितने नाते इस संसार में आकर अर्जित किए हैं वह सब नाते गरज और मर्ज के हैं। जब तक उनकी गरज पूरी होती है वह आपके साथ हैं। गरज पूरी होते ही कोई आपके साथ नहीं है। गुरु महाराज जी ने कहा कि जब तक इस दुनिया में हो तब तक नेक और पुण्य कार्य करते रहो परोपकार और परहित की भावना मन में रखो क्योंकि जैसा आप औरों के साथ करोगे वैसा ही बर्ताव आप दूसरों से पाओगे। उन्होंने कहा कि यह हैरानी की बात है कि इंसान परमात्मा के ऊपर विश्वास ना करके अपनी बुद्धि और चतुराई पर विश्वास करता है। वह भूल जाता है कि इंसान की चाहना से कुछ नहीं होता। होता वही है जो परमात्मा चाहता है।          

उन्होंने कहा कि युग युगांतर से संत महात्मा इंसान को यही चेतावनी देते आ रहे हैं कि परमात्मा की रजा में रहना सीख लो तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि परमात्मा की इच्छा में रहने से ही इंसान का हित और फायदा है। हुजूर महाराज जी ने कहा कि हैरानी इस बात की भी होती है कि इंसान चलता तो अपनी बुद्धि और चतुराई के अनुसार है लेकिन परिणाम गलत आने पर वह कोसता परमात्मा को है। उन्होंने कहा कि अभी समय आपके हाथ में है अब भी चेत जाओ अपने कर्मों को ऐसा बनाओ जिससे आपका जगत भी बने और अगत भी बने। उन्होंने कहा कि इंसानी चोले में हमें अनमोल अवसर मिला है यदि यह अवसर चूक गए तो फिर 84 योनियों में भटकना पड़ेगा।                  

  गुरु महाराज जी ने कहा कि वर्तमान में करोना संकट ने इंसानी अजमत को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि यदि इंसान परमात्मा की मौज में रहना सीख ले तो इन प्राकृतिक आपदाओं से और संकटों से बच सकता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति से प्रेम परमात्मा से ही प्रेम है अगर हम प्रकृति के खिलाफ काम करेंगे तो समझो हमने प्रभु रजा के खिलाफ काम किया है। उन्होंने फरमाया कि सीधी सी बात है यदि इंसान प्रभु के कामों में दखल देगा तो प्रभु भी इंसान के कार्यों में दखल करेगा। हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि किसी भी कर्म का परिणाम उस कर्म के होने के बाद ही इंसान पाता है यदि इंसान को कर्म करने से पहले उसका परिणाम पता हो तो वह कोई भी गलत कर्म करने से हिचकेगा। उन्होंने कहा कि एक सरल सूत्र है कि आप कर्म ही ऐसे करो जिसके परिणाम सुखद हो।

उन्होंने कहा कि केवल संत महात्मा ही जीव के कर्मों का परिणाम पहले बता कर उसे चेताते हैं कि यदि हमने प्रभु की भक्ति नहीं की तो हमें पछताना पड़ेगा लेकिन इंसान इस सांसारिक गफलत में सोया पड़ा है। वह संतों की वाणी पर ध्यान नहीं देता। यदि इंसान संत वचनों पर ध्यान धर ले और उन्हें मान ले तो वह सभी आपदाओं, शोग, संशयो और भ्रमों से छुटकारा पा सकता है। उन्होंने कहा कि यह हैरानी की बात है कि इंसान हाजिर से तो हुज्जत करता है और गुप्त की तलाश करता है।उन्होंने फरमाया कि हाजिर संतों की मौज मे रहो और सभी विपत्तियों से दूर रहो। गुरु महाराज जी ने कहा कि यह दुनिया एक सराय की भांति है और जीव मुसाफिर। जीव का आवागमन का चक्कर इसी तरह चलता रहेगा। यदि इस आवागमन से छुटकारा पाना चाहते हो तो किसी पूर्ण संत की शरण में जाकर उनकी सेवा टहल करो उनके वचन की पालना करो और उनके बताए रास्ते पर चलो।

उन्होंने कहा कि यह इंसानी चोला आपके लिए एक औजार की भांति है लेकिन यह औजार है बेगाना। जो इस औजार से सही काम लेना जानता है वही अपने जीवन को सफल बना पाता है। उन्होंने फरमाया कि भक्ति से पहले आप नेकी करना सीखो और नेक काम की शुरुआत घर से ही होती है। गुरु महाराज जी ने कहा कि घर में रहकर प्यार प्रेम सच्चाई से भक्ति करो। घर में बड़े बुजुर्गों की इज्जत करो। परहित और परोपकार पर बल दो। छोटों को अच्छी शिक्षाएं दो और उन्हें नेक रास्ते पर चले चलने की सलाह दो। किसी के प्रति ईर्ष्या द्वेष ना रखो। प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण करो

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