“होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी” डॉ. नितिका शर्मा

जहाँ कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश भर में दहशत मचाई हुई है, वहीं इसका एक जानलेवा परिणाम भी है जिसके बारे में जानकरी होना अत्यंत आवश्यक है। इस बीमारी का नाम है “मयूकोरमाइकोसिस” जिसे “ब्लैक फंगस” के नाम से भी जाना जाता है। यह कहना है गुरूग्राम की “होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी” डॉ. नितिका शर्मा का।

Picture of this disease mucormycosis

बीते कुछ समय में कोरोना से ठीक हुए मरीजों में कोरोना से ठीक होने के 12 से 20 दिनों के बाद मयूकोरमाइकोसिस होने के कई मामले सामने आए हैं। यह बीमारी साइनस, फेफड़े, दिमाग तथा आंखों को प्रभावित करती है। जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जैसे कैंसर , एड्स और मधुमेह के मरीजों में यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। कोरोना के इलाज के लिए दिए जाने वाले स्टेरॉइड के इंजेक्शन के अत्यधिक प्रयोग से भी इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं बुखार, सरदर्द, नाक तथा आंखों पर सूजन, नाक तथा आंखों की चमङी पर लालिमा , चेहरे पर दर्द तथा आंखों से अचानक कम या धुंधला दिखाई देना हैं। इसका समय पर इलाज जितना महत्वपूर्ण है , उतना ही जरूरी है इसका बचाव।

डॉक्टर नितिका शर्मा के अनुसार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करके इस जानलेवा बीमारी की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जिसके लिए आर्सेनिक एल्बम-30, हेपरसल्फ, कैलकेरिया कार्ब, जस्टिसिया-क्यू , थूजा, ब्रायोनिया एल्बम एवं सल्फर जैसी होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन, संतुलित और पौष्टिक आहार, प्रतिदिन व्यायाम, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, तनावमुक्त जीवन तथा मधुमेह के मरीजों को सीजिजियम जंबोलिनम तथा सिफलैंडरा जैसी होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन अत्यंत कारगर है। डॉ. नितिका शर्मा का यह भी कहना है कि किसी भी होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन पंजीकृत होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह उपरांत ही करें।

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