“कुटिल चाले” शाख को “चारचांद” लगाएगी या ” मट्टी पलीत ” कराएंगी समय करेगा तय।
अपनी साख बनाने की चाह ने सबसे निचले दर्जे तक पहुंचा दिया सीएम को।

अशोक कुमार कौशिक 

कहते हैं शासन की डोर “पुनर्जन्म के पुण्य कर्मों “के चलते मिलती है। जब तक उसके पुण्य क्षीण नहीं होते वह सत्ता का सुख भोगता है। यह भी सत्य है “सत्ता” मिलने पर “मद” आ ही जाता है। यह मद तब ज्यादा बढ़ जाता है तब शासक अपने चारों ओर चाटूकारों के “जाल” से जकड़ जाता हो। उसे अपने बारे में “चिकनी चुपड़ी” बातें अच्छी लगने लगती है। यह लोग उसकी भावना के अनुरूप वैसी ही “मीठी सलाह” परोस देते हैं जो शासक को तो अच्छी लगे, भले ही वह “जनहितेषी” ना हो।

हजारों साल पुरानी कहावत है कि अगर “सलाहकार” काबिल हों तो “नाकाबिल” शख्स को भी “महान” बना देते हैं और अगर सिपहसालार “नकारा” हो तो काबिल आदमी का भी “बंटाधार” हो जाता है। अब इन काबिल सिपहसालारो की सलाह “शाख” में “इज़ाफा” करेंगी या “मिट्टी पलीत” इसका निर्धारण आने वाला समय करेगा।

इतिहास बताता है कि अपने क्षेत्र के नौ बेहद काबिल सलाहकारों यानी “नौ रत्नों” के बलबूते पर अकबर  “महान” शासक के रूप में आज भी “ख्याति” प्राप्त है, जबकि दूसरी तरफ सारी “काबिलियत” होते हुए भी नाकाबिल सिपहसालारो के कारण फिरोजशाह तुगलक “तुगलकी फरमान” के तौर पर पूरी दुनिया में “बदनाम” हो गया।

 क्या हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी “नकारा सलाहकारों” की जकड़ में फंसे हुए हैं। या वह एक कुशल राजनेता की भांति राजनीति के “शतरंज” पर अपने “पासे” बड़े सोच समझकर फेंक रहे हैं। उनके सिपहसालारो की “सोच” यह भी हो सकती है कि पार्टी से पहले व्यक्तिगत छवि को तवज्जो दी जाए। जैसा उनके आका नरेंद्र मोदी किया जा रहा हैं। खट्टर मोदी का हुबूहू अनुकरण करते प्रतीत हो रहे। उनके सिपहसालार उनको बेहतर सलाह न देकर शाख को रसातल में बैठाने की ओर अग्रसर तो नही है। हम ऐसे ही कुछ बेतुके और तुगलकी निर्णयो पर आज बात करेंगे।

कृषि कानूनों को लेकर किसानों में ” खलनायक” के रूप में कुख्यात हो चुके मनोहर लाल खट्टर की “मनोहारी छवि” चमकाने के चक्कर में उनके सिपहसालार उनकी शख्सियत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सरकार के भरकस प्रयास के बावजूद भी किसान आंदोलन टस से मस नहीं हो रहा। किसान आंदोलन को लेकर अनेक प्रयोग किए जा रहे है। वह अभी भी पूर्णतया कारगर नहीं बैठे हैं। अब नया प्रयोग यूट्यूबर धरमू व कर्मू के द्वारा करने का प्रयास किया गया। किसानों ने इन दोनों पत्रकारों को अपने से दूर रहने की चेतावनी दे रखी थी। जिसे धरमू द्वारा जींद में अनदेखा किया गया फल स्वरूप मामला मार पिटाई में तब्दील हुआ।

दूसरा नया ताजा प्रयोग मुख्यमंत्री के सिपहसालारो की राय पर टिकरी बॉर्डर के किसानों को लेकर एक “षड्यंत्र” रचा गया ऐसा किसानों का आरोप है। जिसका “मोहरा” पश्चिमी बंगाल की एक लड़की को बनाकर 5 या 6 किसानों पर सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज करके किसान आंदोलन को बदनाम करने का कुटिल प्रयास किया जा रहा है। इस मामले में मैं लड़की के पिता ने वीडियो जारी करके कहा है कि उसने दो ही आदमियों के नाम पुलिस को दिए थे। वैसे इस मामले में काफी “पेच” है जो समय आने पर खुलेंगे। यह मामला इसलिए “शंका” के दायरे में आता है कि जैसे ही पुलिस ने मामला दर्ज किया भाजपा का आईटी सैल और आरएसएस के लोग यकायक सक्रिय हो गए।

मुख्यमंत्री को प्रसिद्धि दिलाने के लिए “ऐरी- गैरी” जगह भी सीएम को पहुंचाने का काम किया जा रहा है। ऐसा ही गत दिवस बेहद खराब नजारा चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर देखने को मिला। देश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री को ऑक्सीजन लाने के लिए खाली टैंकरों को रवाना करते हुए देखा गया।

 कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन के टैंकरों को लेने की अगवानी करते हुए अभी तक देश का कोई मुख्यमंत्री सामने नहीं आया लेकिन खट्टर के नाकारा सिपहसालारो ने उन्हें खाली टैंकरों को रवाना करने के लिए एयरफोर्स स्टेशन पर पहुंचा दिया। टैंकरों को रवाना करने का कार्यक्रम आयोजित करना पूरी तरह से बेवकूफीयाना था। यह तो एमएलए के लेवल का भी नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री को वहां ले जाकर सिपहसालारो ने उनका “मजाक” बनाने का काम कर दिया है।

अभी ऐसा ही एक और निर्णय के लेकर हरियाणा सरकार ने राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि कोविड-19 के संक्रमण के चलते सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए विभिन्न मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करते हुए तहसीलों में पंजीकरण कार्य( रजिस्ट्रेशन ऑफ़ डीड्स ) को ना रोका जाए और पंजीकरण का कार्य निरंतर जारी रखा जाए ताकि लोगों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। 

 इस संबंध में आज हरियाणा के वित्त आयुक्त  और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने एक पत्र राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को जारी किया है। इस बारे में तहसीलों में कर्मचारियों और उप-रजिस्ट्रारों की अनुपलब्धता के बारे में विभिन्न जिलों के नागरिकों से शिकायतें भी प्राप्त हो रही हैं। इसलिए सभी उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी तहसील कार्यशील हो और कर्मचारियों की अनुपलब्धता के कारण पंजीकरण का कार्य प्रभावित नहीं होना चाहिए।

सरकार का यह निर्णय भले ही राजस्व को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया। पर यह है कॉविड 19 की दूसरी खतरनाक लहर में अच्छा निर्णय नहीं माना जा सकता। इसके कारण तहसीलों में भीड़ बढ़ेगी और संक्रमण का खतरा भी बढ़ेगा क्योंकि दूसरी लहर का संक्रमण पहली से ज्यादा खतरनाक है।  

अब बात करते हैं प्रदेश की आमजन की सेवा के लिए करीबन 2.5 लाख प्रति की कीमत के 492 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदे गए है जिनको जिलेवार भाजपा पार्टी कार्यालयों में रखा जाएगा । 

देश में कोरोना की दूसरी लहर का भीषण कहर जारी है। ऐसे में तमाम राज्य ऑक्सीजन की किल्लत का सामना भी कर रहे हैं । ऐसे में ऑक्सीजन सिलेंडर की भी बड़े पैमाने पर कमी सामने आ रही है । ऑक्सिजन कॉन्सेंट्रेटर बेहद फायदेमंद मेडिकल डिवाइस है , जो आसपास की हवा से ऑक्सीजन को एक साथ इकट्ठा करता है. पर्यावरण की हवा में 78 फीसदी नाइट्रोजन और 21 फीसदी ऑक्सीजन गैस होती है. दूसरी गैस बाकी 1 फीसदी हैं। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इस हवा को अंदर लेता है, उसे फिल्टर करता है, नाइट्रोजन को वापस हवा में छोड़ देता है और बाकी बची ऑक्सीजन मरीजों को उपलब्ध कराता है । 

सरकारी मद से की गई खरीद को पार्टी कार्यालयो में रखने का निर्णय कुछ “बेतुका” ही नहीं अटपटा भी है।मुख्यमंत्री खट्टर के सलाहकार उनको जिले के समय अस्पतालों में भेजने की बजाय पार्टी कार्यालय में क्यों रखवा रहे हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का ये फैसला अपनी गिरती साख को बचाने में एक “औछा ” निर्णय ही कहां जाएगा। इससे सरकार की शाख में “चार चांद”  लगने से रहे उल्टा गठबंधन दल भी अपने कार्यालय में ऐसा करने के लिए दबाव बना सकता है।

खट्टर को व्यक्तिगत छवि चमकाने के चक्कर में अजूबे और बेतुके निर्णय उनके नकारा सलाहकार दे रहे है। ऐसा ही एक और निर्णय प्रदेश के मान्यता प्राप्त पत्रकारों का जिले के मीडिया सेंटरों में वैक्सीनेशन देने का निर्णय भी है। अब सीएम भले ही इन मान्यता प्राप्त पत्रकारों के माध्यम से अपनी व्यक्तिगत छवि का ग्राफ ऊंचा उठाने की फिराक में है। इसे इसलिए बेतुका बताया जा रहा है कि इसमें गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया। मेरे नजरिए से पत्रकार पत्रकार होता है । चाहे वह मान्यता प्राप्त पत्रकार हो या गैर मान्यता प्राप्त। उनको भी समाज के अन्य तबकों की तरह ही महत्व दिया जाना चाहिए। वैक्सीनेशन का प्रोग्राम सभी वर्गों को ध्यान में रखकर अलग स्थानों पर चलाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से वैक्सीनेशन का प्रोग्राम भी चलता रहेगा और भीड़ भी एकजुट नहीं हो पाएगी।

परदेस में फैली भीषण कोरोना महामारी के बीच जनता की रक्षा के लिए कारगर रणनीति बनाने की बजाय मुख्यमंत्री के बेहद कीमती समय को इस तरह पब्लिसिटी के लिए बर्बाद करना यह साबित करता है कि खट्टर जी के सलाहकार हालात को पहचानने की बजाय मुख्यमंत्री की मिट्टी पलीत करने का काम कर रहे हैं।

इससे पहले भी कई मौकों पर मुख्यमंत्री को खराब हालात में फंसाने का काम उनके सिपहसालार कर चुके हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो प्रदेश के इतिहास में सबसे खराब मुख्यमंत्री के साथ साथ सबसे नकारा मुख्यमंत्री का खिताब भी खट्टर साहब को दिलवाकर ही उनके सिपहसालार दम लेंगे।

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