कितलाना टोल पर धरने के 138वें दिन सांसद और विधायकों के प्रति झलका गुस्सा

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

11 मई, कमजोर और नकारा जनप्रतिनिधि चुनने का खामियाजा जनता आज भुगत रही है। यह बात वक्ताओं ने कितलाना टोल पर चल रहे किसानों के अनिश्चितकालीन धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारा दुर्भाग्य है कि मौजूदा सांसद और अधिकतर विधायकों ने किसान आंदोलन में मदद करना तो दूर इस महामारी में ऑक्सीजन और दवाईयों की कमी को लेकर आवाज तक उठाना मुनासिब नहीं समझा है। लेकिन वो भूल रहे हैं कि वो जिस कुर्सी पर वो बैठे हैं वह जनता की ही देन है। उन्होंने कहा कि समय आने पर इनका हिसाब जरूर चुकता किया जाएगा।                   

उन्होंने कहा कि सरकार के दावों के विपरीत लंबे समय से गेहूं डालने के बाद भी किसानों को उनकी फसल का भुगतान नहीं हुआ है। दूसरी और खरीद बंद होने से किसान परेशान हैं लेकिन सरकार आंखें बंद किये हुए है। इसकी मार मजदूरों पर भी पड़ रही है और उनको खाने के लाले पड़े हुए हैं। उन्होंने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि जल्द इसका हल नहीं निकाला तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है। उन्होंने सरकार से गरीबों के लिए साढ़े सात हजार प्रति माह गुजारा भत्ता, 35 किलो अनाज के साथ उन्हें प्राइवेट अस्पताल फ्री में इलाज करवाने की मांग भी रखी।                     

 संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कितलाना के टोल प्लाजा पर चल रहे धरने के 138वें दिन खाप सांगवान चालीस के सुरजभान सांगवान, किसान सभा के रणधीर कुंगड़, रिटायर्ड कर्मचारी संगठन के सुखदेव पालवास, सुरेन्द्र कटारिया, मीरसिंह निमड़ीवाली, संतोष देशवाल, राजबाला कितलाना ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि तीन काले कानून को लेकर जनप्रतिनिधियों के रुख से लोगों में पहले ही नाराजगी थी रही सही कसर इस महामारी के दौरान उनके आचरण ने पूरी कर दी। सत्तापक्ष से जुड़े जनप्रतिनिधि सिर्फ बयानवीर बने हुए हैं।           

 इस अवसर पर मास्टर ताराचन्द चरखी, सुरेन्द्र सरपंच कुब्जानगर, रणधीर घिकाड़ा, सज्जन कुमार सिंगला, रामानन्द धानक, रघबीर सारगंपुर, रामफल देशवाल, कप्तान रामफल डोहकी, ईश्वर पटवारी, शबीर हुसैन, सुबेदार सतबीर सिंह, सुरेन्द्र डोहकी, सत्यवान बलियाली, रामोतार बलियाली, सत्यवान कालूवाला, रामोतार बलियाली, रमेश कोच, राजकरण सरपंच, परमजीत फतेहगढ़, नन्दराम घिकाड़ा, ओमप्रकाश प्रजापति, ज्ञानीराम पैंतावास खुर्द इत्यादि मौजूद थे।

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