मुकेश शर्मा,  राजनीतिक विश्लेषक

गुरुग्राम। मेडिकल सुविधाओं का आदर्श प्रचारित किया जाने वाला गुरुग्राम कोरोना की मार से  मानों मेडिकल सुविधाओं के नाम पर ध्वस्त हो गया है।यहाँ जान बचाना बहुत टेढ़ा मामला हो गया है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार फिलहाल अस्पतालों में जगह न मिल पाने के कारण घरों में उपचार की प्रतीक्षा कर रहे तड़पते मरीजों के लिए सुविधाजनक तरीके से ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने की कोई व्यवस्था नहीं है।लोग ऑक्सीजन के सिलेंडर भरवाने की इंतजार में रात के दो बजे तो कभी भरी दोपहरी में लम्बी- लम्बी लाइनों में खड़े होकर खून के आँसू रो रहे हैं।अपनों की जान बचाने के लिए उनसे जो भी बन सकता है, कर रहे हैं।

अस्पतालों में ऑक्सीजन बैड,आईसीयू बैड नहीं मिल रहे, वेंटिलेटर भी उपलब्ध नहीं हैं।अस्पतालों में ऑक्सीजन की शॉर्टेज चल रही है।एम्बुलेंस वाले,आम थ्रीव्हीलर वाले ज़रूरतमंदों से मुंहमांगे रेट माँग रहे हैं।

 जो दवाई आपको चाहिए, उसका आल्टरनेट शायद मिल जाए,मूल दवाइयां मार्केट से गायब हो रही हैं।रमडैसिवर की तो बात ही छोड़ो,ज़िंकोविट जैसी साधारण टेबलेट भी उपलब्ध नहीं है।छोटे, बड़े,फोटो खिंचवाने वाले नेता, समाजसेवी,सांसद, विधायक-सब नदारद।

लगता है कि मेडिकल व्यवस्था के मामले में मेडिकल हब के नाम से जाना जाने वाला गुरुग्राम इस मामले में पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।यहाँ व्यक्ति की जान की कोई कीमत नहीं है।वैसे तो पहले ही यहाँ मेडिकल सुविधाओं के नाम पर इतने बड़े बिल थमा दिये जाते रहे हैं कि पीड़ितों की रूह काँप जाए।अस्पताल-व्यापारी बेलगाम हो गए थे।लेकिन अब तो सारी मेडिकल व्यवस्था ही एक्सपोज हो गई है।

 मुख्यमंत्री अधिकारियों के दायरे से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं और संवेदनशून्य सरकारी अधिकारी ‘काम के नाम पर रस्म अदायगी’ के विशेषज्ञ हो चुके हैं।पद के अहंकार में डूबे सरकारी अधिकारी प्रायः आम लोगों से दूरी बनाये हुए हैं और गिड़गिड़ा रहे लोगों के निवेदनों के प्रति उदासीन होकर मात्र अपनी नौकरी की खानापूर्ति में जुटे हैं।सम्भवतः वे भूल रहे हैं कि एक दिन उन्हें भी रिटायर होकर इन्हीं आम लोगों से रूबरू होना है।

लेकिन सरकारी दावों के मुताबिक सब कुछ नियंत्रण में है, उपलब्ध है।मेडिकल अव्यवस्था की बातें निराधार हैं।लेकिन याद रखना, जिन लोगों ने इस लुंजपुंज व्यवस्था के कारण अपने परिजनों को खो दिया है, वे इसके जिम्मेवार लोगों को कभी माफ नहीं करेंगे।

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