मुख्यमंत्री को नहीं किसी पर विश्वास या फेसमेकिंग से अत्याधिक प्यार ?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरूग्राम। कोरोना ने हरियाणा में भी कोहराम मचा रखा है। सारी व्यवस्थाएं चरमराई सी नजर आ रही हैं। लोगों में असुरक्षा और असंतोष की भावनाएं पनप रही हैं। कहीं-कहीं आक्रोश भी दिखाई दे रहा है। ऐसे में सभी की निगाह सरकार और उसके कार्यों पर होती है।

आज माननीय मुख्यमंत्री ने कई स्थानों का स्वयं दौरा किया। जैसा कि होता है, उनके साथ प्रशासनिक अमला और अन्य विधायक भी थे। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या मुख्यमंत्री को किसी पर विश्वास नहीं, जो स्वयं ही उन स्थानों का दौरा करने चले गए, जबकि इस आपदापूर्ण समय में सारे प्रदेश की आंखें, आशाएं मुख्यमंत्री पर टिकी हैं और वह सब आशा करते हैं कि मुख्यमंत्री अपने सांसदों, विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों को सचेत करें कि वह प्रदेश के हर नागरिक तक पहुंचकर उनकी परेशानियों को दूर करने का प्रयास करें। माना कि आपदा बड़ी है लेकिन आपदा से डरा तो नहीं जा सकता, उसका सामना करना ही पड़ेगा। अत: यदि अधिकारी ईमानदारी से प्रदेश की जनता को कार्य करते हुए लगें तो जनता का भी विश्वास लौट आएगा।

वर्तमान में मुख्यमंत्री का मुख्य कार्य यह है कि वह संपूर्ण प्रदेश की स्थिति का ध्यान रखें विपक्ष के विधायकों को तो वह नहीं कह सकते लेकिन अपने सभी विधायकों को तो कह सकते हैं कि जाकर अधिकारियों और जनता का ख्याल रखें और जहां कहीं कोई काम में कोताही करे तो उस पर कार्यवाही करें। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के पास गुप्तचर विभाग भी है, सीएम फ्लाइंग भी है, यदि कहीं भ्रष्टाचार होता है तो वह उसकी सूचना मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकते हैं।

सरकार में एक स्वास्थ विभाग भी है और यह सब जिम्मेदारियां स्वास्थ विभाग की हैं और स्वास्थ विभाग के मंत्री भी अनिल विज हैं, जो गब्बर के नाम से प्रसिद्ध हैं। ऐसे में वह उनसे स्वास्थ विभाग की सभी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं और जहां कहीं कमी लगती है, वह उन्हें सलाह भी दे सकते हैं। क्या उन्हें स्वास्थ मंत्री पर विश्वास नहीं?

इन सबके अतिरिक्त भाजपा का संगठन भी हरियाणा में बहुत बड़ा है और संगठन के कार्यकर्ताओं की गिनती भाजपा के अनुसार ही 35 लाख के आसपास है। अत: इतनी लंबी कार्यकर्ताओं व भाजपा पदाधिकारियों के होते हुए स्वयं अस्पतालों और बैडों का निरीक्षण करने जाएं तो यह बात तो ऐसे ही लगी जैसे एक सिविल इंजीनियर दिखाने के लिए मसाला बनाने लग जाए।

 आज सायं ही समाचार प्राप्त हुआ  26 आइपीएस और 13 एचपीएस का तुरंत प्रभाव से तबादला कर दिया तो प्रश्न यह है कि जब सारे प्रदेश में धारा 144 लगी हुई है, आवागमन पर पाबंदी है तो ऐसे में तुरंत प्रभाव से तबादला करना कहां तक उचित है। दूसरी बात यह भी है कि इस कोरोना महामारी के आपदाकाल में जब अधिकारियों के एक-एक मिनट कीमती है, ऐसे में अधिकारियों का स्थानांतरण करना कहां तक उचित है। ये अधिकारी तो जहां वे नियुक्त थे, अपने क्षेत्र को भली प्रकार से जानते थे। नए अधिकारियों को क्षेत्र समझने में भी समय लगेगा और आपदाकाल में दिनों की बात नहीं मिनटों का समय भी महत्वपूर्ण है।

अब प्रश्न उठता है कि क्या मुख्यमंत्री को किसी पर विश्वास नहीं है या इस आपदाकाल में फोटो खिंचवाकर फेसमेकिंग कर रहे हैं।

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