कोर्ट ने कहा कि मानवता बची है कि नहीं?
मोदी सरकार के लिए लोगों से ज्यादा स्टील उद्योग जरूरी। 
देश में ऑक्सीजन पर मचा है हाहाकार।
मोदी का उपदेश धैर्य, संयम, अनुशासन, मर्यादा, गाइडलाइंस का पालन।
उनके गुर्गों ने देश के कुछ बड़े मीडिया संस्थानों को आज लिखित नोट भेजा है। इस नोट को जाने-माने एक्टिविस्ट आकार पटेल ने साझा किया है।
भक्तो का कहना मीडिया विपक्ष से भी इस सवाल को क्यों नहीं पूछ रहा?

अशोक कुमार कौशिक

 देश में चहु ओर अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर मारामारी चल रही है। राज्य सरकारें एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रही है और केंद्र सरकार चुप्पी साधे हैं। राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में आक्सीजन की कमी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की जमकर खिंचाई की। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि आक्सीजन की कमी के कारण हम लोगों को मरते हुए नहीं देख सकते। क्या केंद्र सरकार के लिए लोगों की जिंदगी महत्वपूर्ण नहीं हैं। आपको इंडस्ट्री की चिंता है जबकि लोग मर रहे हैं। इससे तो यही लगता है कि सरकार को लोगों की जिंदगी से मतलब नहीं है। हमारी चिंता सिर्फ दिल्ली नहीं है, हम जानना चाहते हैं कि पूरे देश में आक्सीजन की कमी पर केंद्र सरकार क्या कर रही है।

कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

पीठ ने दो टूक कहा आप भीख मांगिए, उधार लीजिए या फिर चोरी करिए, यह आप पर है। पीठ ने यह सख्त टिप्पणी दिल्ली समेत कई राज्यों में मैक्स अस्पताल संचालित करने वाले बालाजी मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। पीठ ने यह कहते हुए बृहस्पतिवार तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी कि हम उम्मीद करते हैं कि याचिकाकर्ता समेत अन्य अस्पतालों की आक्सीजन की कमी को पूरा किया जाएगा।

केंद्र की जिम्मेदारी सप्लाई सुनिश्चित करना

आक्सीजन की सप्लाई कमी कई बार बढ़ी है और यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सप्लाई सुनिश्चित करे। पीठ ने कहा कि किसी भी कीमत पर अस्पतालों में काेरोना मरीजों के लिए तत्काल आक्सीजन की आपूर्ति करें। पीठ ने सवाल उठाया कि आखिर स्थिति की गंभीरता पर केंद्र सरकार क्यों नहीं जाग रही है। पीठ ने कहा कि हम हैरान है कि अस्पतालों में आक्सीजन की कमी है और स्टील प्लांट अब भी चल रहे हैं। पीठ ने कहा अदालत ने मंगलवार को कहा था कि पेट्रोलियम और स्टील की आक्सीजन सप्लाई बंद करिए, आपने क्या किया।
क्या हमारे अंदर कोई मानवता बची है या नहीं

पीठ ने कहा कि आक्सीजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के कंधों पर है और अगर जरूरत पड़े तो स्टील और पेट्रोलियम की पूरी आक्सीजन सप्लाई मेडिकल इस्तेमाल के लिए डायवर्ट की जा सकती है। पीठ ने कहा कि क्या हमारे अंदर कोई मानवता बची है या नहीं। पीठ ने कहा कि अगर टाटा अपने आक्सीजन को मेडिकल इस्तेमाल के लिए डायवर्ट कर सकते हैं तो फिर बाकी क्यों नहीं कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आक्सीजन जल्द ही अस्पतालों में पहुंच जाएगी। इसके साथ ही यह भी बताया कि मैक्स अस्पताल की एक शाखा में आक्सीजन पहुंच चुकी है। इस पर पीठ ने कहा कि हमें पता है कि आप आक्सीजन उपलब्ध कराएंगे।

दिल्ली के कई अस्पताल आक्सीजन की कमी से जूझ रहे

पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल में दो घंटे में आक्सीजन सप्लाई मिल जाएगी, लेकिन दिल्ली के कई अस्पताल आक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। आप आदेश जारी कर सकते हैं कि यह राष्ट्रीय आपदा है और कोई इंडस्ट्री न नहीं कहेगी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के आक्सीजन सप्लाई के प्रभारी अतिरिक्त सचिव ने पीठ को बताया कि अभी आठ हजार मैट्रिक टन का उत्पादन किया जा रहा है। जवाब में पीठ ने कहा कि तथ्य यह है कि आक्सीजन की कमी है और हमें इसे पूरा करना है। वहीं, दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसल राहुल मेहरा ने कहा न तो हम आक्सीजन का ना उत्पादन करते हैं न ही स्टोर और ट्रांसपोर्ट, फिर आखिर हम कैसे जिम्मेदारी ले सकते हैं।

 भारत का ऑक्सीजन निर्यात

2019-20 : 4502 मीट्रिक टन।2020-21 : 9300 मीट्रिक टन।
 मोदी का उपदेश धैर्य, संयम, अनुशासन, मर्यादा, गाइडलाइंस का पालन।
यानि कि ऑक्सीजन, बेड, वेंटीलेटर, रेमडेसिवियर, एम्बुलेंस की कमी से अगर कोई मरीज़ छटपटा रहा हो,मर रहा हो तो वह संयम आदि बनाए रखे, ज्यादा छटपटाए नहीं,शांत रहे,आख़िर थोड़ी देर में उसे शांत हो ही जाना है,फ़िर काहे इतनी छटपटाहट ? मोदी का स्मरण करे,उनके उपदेश का जाप करे और टूटती छूटती साँसों को निर्लिप्त और साक्षी भाव से सिर्फ़ दर्शक की तरह देखे और अपने प्राण को इस हाल में भी अब तक शरीर के अंदर रहने के लिए आभार प्रकट करते हुए चुपचाप शरीर से बाहर निकल जाने दे। अपनी ऑक्सीजन,दवा, बेड आदि की ज़रूरतों को कम करें। 

परिजनों को भी संयम का पालन करना चाहिए। दवा ऑक्सीजन बेड आदि के लिए संयम बनाए रखें। मरीज़ अगर मर जाए तो रोएँ,चीखें,चिल्लाएं नहीं। एक दिन सबको जाना है। जिसने जन्म लिया उसे एक दिन मरना तो हई है। कल उसने जीवनरक्षक दवाओं का भंडार होने की बात कही थी तो आज शाम तक स्थिति ठीक क्यों नहीं हुई। 2400/- की रेमेडिसिवेयर 50,000 हज़ार में ब्लैक मार्केट में उपलब्ध है। तमाम आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए गए हैं। उन पर अंकुश कौन लगाएगा? कौन नहीं जानता कि ऐसे लोगों का समर्थन किस पार्टी को रहता है? यही लोग हैं जो लॉकडाउन की माँग सबसे ज़्यादा कर रहे हैं।

श्मशान में अगर गए हैं तो अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए संयम बनाए रखें,सकारात्मक रहें यह सोच के कि आपके पीछे भी लोग हैं। और हाँ लाइन सीधी रखें। मीडिया वाले श्मशान कब्रिस्तान की फ़ोटो और वीडियो न बनाएं वरना एकदम खालिस राम जी वाली मर्यादा का ध्यान करते हुए योगी सरकार की तरह श्मशानों पर मजबूरी में फोकट में टिन लगवानी पड़ेगी। और हाँ बेड के लिए अगर सीएमओ की चिट्ठी पूरे देश मे लखनऊ की तरह अनिवार्य कर दी जाए और फ़िर भी चिट्ठी या बेड तमाम दौड़भाग पर भी न मिल पाए तो यह सोचकर कि भगवान जो करता है अच्छा ही करता है, संयम बनाए रखें।

अगर दिन भर खड़े रहने के बाद वैक्सीनेशन न हो पाए या फिर सुबह ही पता चल जाए कि उपलब्ध नहीं है तो सकारात्मक बने रहें कि इसमें भी कुछ न कुछ अच्छाई होगी,यह सोच के संयम बनाए रखें। कोई यह न पूछे कि सवा साल में क्या तैयारी की ? संयम और मर्यादा बनाए रखना है। अगर आप कुंभ के साधु नहीं हैं तो मोदी की रैली में जाएं और गाइडलाइंस का पालन करें चुपचाप सुनें, बीच बीच में जय श्री राम और हर हर मोदी घर घर मोदी का नारा लगाते रहें गाइडलाइंस का पालन करें।

क्या मोदी बौखला गये है?

उनके भाषण का जब उल्टा असर हुआ तो अब खेल मीडिया के ज़रिए खेलने की तैयारी है। उनके गुर्गों ने देश के कुछ बड़े मीडिया संस्थानों को आज लिखित नोट भेजा है। इस नोट को जाने-माने एक्टिविस्ट आकार पटेल ने साझा किया है। नोट आलेख के साथ है।

जिसमें कहा गया है कि गांधी परिवार ऑक्सिजन की कमी, बेड की कमी, मेडिकल सिस्टम फेल होने, प्रवासी मज़दूरों के फिर से पलायन को लेकर जो झूठ फैला रहा है उस पर मीडिया उनसे सवाल क्यों नहीं पूछ रहा। गांधी परिवार ने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई उस पर सवाल क्यों नहीं पूछ रहा। मीडिया विपक्ष से भी इस सवाल को क्यों नहीं पूछ रहा?

उसके गुर्गों ने ने एक तरह से इशारा कर दिया है कि टीवी चैनल और अख़बार गांधी परिवार ख़ासकर राहुल गांधी की जवाबदेही इस मामले में शामिल करें ताकि लोगों का ध्यान सरकार की नाकामी से हटकर गांधी परिवार की तरफ़ जाए। यह लिखित नोट मीडिया को एजेंडा सेट करने के लिए भेजा है।

इस आलेख को राहुल या गांधी परिवार के समर्थन में नहीं लिखा गया है। हमारा मक़सद है कि नीचता की जितनी पराकाष्ठा हो सकती है, यह उसका अंतिम पड़ाव है।कोरोना महामारी में किसी की जवाबदेही तय करने की बजाय ध्यान बँटाने के लिए गांधी परिवार और विपक्ष से सवाल पूछने को कहना निम्नस्तरीय हरकत है।