बीते 93 दिनों से बजीराबाद के ग्रामींण बैठे थे धरना दिये.
श्मशान घाट शिफ्ट होने पर किया सभी का आभार व्यक्त

फतह सिंह उजाला

गुरूग्राम। जिला के गांव वजीराबाद में आबादी के बीच बनाए जा रहे श्मशान भूमि को हटाने की मांग पिछले कई माह से बजीराबाद श्मशान हटाओ संघर्ष समिति द्वारा की जा रही थी। सीएम के आदेश पर श्मशान घाट हटाए जाने पर समिति व ग्रामीणो ने प्रदेश के  सीएम मनोहरलाल खट्टर, डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, स्थानीय एमएलए सुधीर सिंगला, जिला प्रशासन, पार्षदों तथा धरने को समर्थन करने वाली तमाम सरदारी व पक्ष-विपक्ष के नेताओं का आभार व्यक्त किया है।

बजीराबाद श्मशान घाट हटाओ संघर्ष समिति एवं बजीराबाद गांव के पूर्व सरपंच सूबे सिंह बोहरा ने सीएम सहित सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि वर्ष 2007 से बजीराबाद गांव के ग्रामीण आबादी के बीच बने श्मशान भूमि को हटाने के लिए कई बार विरोध प्रकट कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि गांव में श्मशान भूमि का होना तो ठीक है, लेकिन नियमानुसार आबादी के बीच श्मशान भूमि नहीं होनी चाहिए। संघर्ष समिति द्वारा पिछले करीब 93 दिनों से शांतिपूर्वक धरना दिया जा रहा था। धरने के दौरान पक्ष-विपक्ष के कई नेताओं के साथ निगम की मेयर से लेकर सभी पार्षदों ने समय-समय पर आकर अपना समर्थन दिया। ग्रामीणों द्वारा प्रदेश के सीएम, डिप्टी सीएम, सांसद , एमएलए , पूर्व सांसद डा. सुधा यादव, राव दान सिंह, भूपेंद्र यादव, कैप्टन अजय यादव सहित अनेक राजनैतिक दलों के लोगों से मांग की गई थी कि गांव के बीच बने श्मशान भूमि को हटाया जाए।

उन्होंने बजीराबाद गांव की सरदारी एवं सभी लोगों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि सभी के सहयोग से शांतिपूर्वक संघर्ष करने पर मुख्यमंत्री द्वारा श्मशान भूमि को हटाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि शनिवार को स्थानीय विधायक सुधीर सिंगला ने धरने पर आकर मुख्यमंत्री का आदेश सुनाया, जिसके बाद ग्रामीणों ने धरना समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि गांव में भले ही लोग विभिन्न दलों से संबंध रखते हों, लेकिन इस संघर्ष के दौरान ग्रामीणों ने साबित कर दिया गया कि सबसे पहले गांव की समस्या और उसके बाद राजनैतिक दल हैं। प्रैसवार्ता के दौरान अशोक पहलवान, कुलदीप सिंह बोहरा, सुरेंद्र यादव, राजपाल कालू, कालू नंबरदार हरेराम नंबरदार आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर राजू, दया नंबरदार, टीकाराम नंबरदार, कृष्ण नंबरदार, जयपाल कालू नंबरदार, नरेश पौमी, अजीत यादव, धर्मपाल, बोदन, महीपाल हांडा आदि मौजूद रहे।

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