चुनाव, रैली का आयोजन क्यों जारी?जून जुलाई तक शादी के मुहुर्त करोना खा जायेगा फिर चार माह के लिए मलमास लग जायेगा ।बच्चे ऑनलाइन क्लास करके अपनी सेहत खराब कर रहे हैं, उनके कान,आंख और दिमाग पर काफी बुरा असरइन क्षेत्रों के उद्धार के लिए सरकार व प्रशासन को कोई सुगम रास्ता निकालना होगा। अशोक कुमार कौशिक कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के कारण एक बार फिर से शिक्षक संस्थान, टेंट, कैटरीग, हलवाई, बैंड बाजा तथा घोड़े वालो के धंधे से जुड़े लोगों के चेहरों पर चिंता की लकीरें बढा दी है। इस क्षेत्र से जुड़े लोग काफी बेचैन दिखाई दे रहे। कोविड-19 की बंदिशों के चलते फिर से अंकुश लगाए जाने से इससे संबंधित लोग आर्थिक त्रासदी की ओर बढ़ रहे है। स्कूलों सहित सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया है। निजी स्कूल के शिक्षकों के हालात काफी खराब है। कई शिक्षकों को स्कूल से हटाया जा रहा है और जिन्हें नहीं हटाया गया है समय पर उन्हें 50 प्रतिशत भी सैलरी नहीं दी जा रही है। आज शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों, बस के ड्राइवर व कंडक्टर सहित स्टाफ के लोगो को अपनी रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। चलाए तो उन पर महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होगा और वे अपराधी साबित कर दिए जाएंगे। पूरा करियर बर्बाद और ऊपर से बदनामी अलग से चिपक जाएगा उनके माथे पर। पिछली बार सरकार ने ऑनलाइन क्लास का झुनझुना थमा दिया था । कई जगहों पर नेटवर्क भी सही से नहीं आता है मात्र 25 से 30 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन क्लास कर पाते हैं । न तो उन्हें पढ़ने में मन लगता है और न ही शिक्षकों को पढ़ाने में । ऊपर से इंटरनेट और मोबाइल का खर्चा अलग से बढ़ जाता है। बच्चे ऑनलाइन क्लास करके अपना सेहत खराब कर रहे हैं उनके कान,आंख और दिमाग पर काफी बुरा असर हो रहा है। कोरोना के रोकथाम के नाम पर शिक्षण संस्थानों को बार बार बंद करना कहाँ तक उचित है। पूरा बाजार खुला हुआ है,बड़ी बड़ी रैलियाँ हो रही हैं देश में। ऐसे में कोरोना का कोई खतरा नहीं है क्या? माना कि बच्चे यदि स्कूल नहीं जाएंगे तब कोरोना से बच जाएंगे मगर उनके पैरेंट्स तो बाजार जाएंगे न?,ऑफिस जाएंगे न?,इधर उधर जाएंगे ही जायेंगे ? तब क्या उन्हें कोरोना नहीं होगा और जब उन्हें कोरोना होगा तब जाहिर है उनके बच्चों को भी कोरोना होगा तब ऐसे में बच्चों का बचाव कोरोना से मुश्किल है । यह तभी सम्भव है जब इनके पेरेंट्स भी बाहरी दुनिया से संपर्क न रखें जो कि बिल्कुल असंभव है। पिछले साल नया सेशन शुरू ही होने वाला था कि लॉकडाउन लग गया और इस साल भी ठीक वैसा ही हो रहा है। अभिभावकों को राजी कर लिया गया है कि स्कूल/कॉलेज की बंदी ही उनके बच्चों के जीवन की गारंटी है । जबकि यह सफेद झूठ है। स्कूल कॉलेज में शिक्षकों के दिशा निर्देश में बच्चे कोरोना गाइड लाइन का अच्छे से पालन करते हुए कक्षाएं कर सकते हैं। बाजारों,होटलों,टूरिस्ट स्पॉटो पर भले ही कोरोना गाइड लाइन का अच्छे से लोग पालन नहीं करते हों मगर स्कूलों में बच्चे अवश्य पालन करेंगे और वे इन मामलों में अपने घर पर अपने पेरेंट्स को भी इस बारे में जागरूक कर पाएंगे। इसलिए सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे सभी शिक्षण संस्थानों को खोल दें और कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए पठन पाठन का कार्य फिर से शुरू करें। शिक्षा के बाद पिछले एक वर्ष से हॉस्पिटैलिटी,वेडिंग डेकोर एंड इवेंट इंडस्ट्री कोविड-19 के कारण बेहद तकलीफ़ ओर कष्ट में है । मार्च 2019 से जून 2019 में विवाह मुहूर्त के समय लॉक डाउन लगा रहा। फ़िर 20 दिनों के अंतराल में नवंबर दिसंबर में मुहूर्त मिले तब करोना के असर के साथ ही शादियां हुईं। फिर जनवरी से मध्य अप्रैल तक पंडितों ने विवाह मुहूर्त ही नहीं निकाले । सभी शादी ब्याह व्यापार से जुड़े लोगों द्वारा यह सोचकर संतोष किया कि दो खराब समय ( corona & inauspisious period ) एक साथ निकल जायेंगे । हम सब अप्रैल ऑनवर्ड अच्छे पोटेंशियल बिजनेस का इंतजार करने लगे ओर ये आशा कि की अप्रैल ऑनवार्ड शानदार व्यापारिक माहोल मिलेगा लेकिन ऐसा कतई नहीं हुआ। करोना पलटकर दुगनी ताकत से आया ओर सब डिस्टर्ब कर दिया । इतनी परेशानी में तो शादी व्यापार से जुड़े लोग करोना से कम विभिन्न आर्थिक कठिनाइयों से ज्यादा मारे जायेंगे । सरकार ओर प्रशासन को भी समय देखकर कई अप्रिय ओर कठिन निर्णय लेना होते है लेकिन अब ये एक ऐसा समय आया है कि विभिन्न प्रतिबंधों के साथ – साथ रोजगार,व्यापार पर आने वाले प्रभाव को भी ध्यान में रखना होगा । कोई मास्क ना पहने , सड़क पर थूक दे , शॉप्स पर अनुशासन का पालन ना करे , जेल में डाल दो , वह भी चलेगा । लेकिन रोजगार ओर व्यापार से जुड़ी चीजों पर अनुपयुक्त प्रतिबंध बेहद खतरनाक ओर गंभीर परिणाम देगा क्योंकि ऊपर से नीचे तक जुड़े लोगों कि बडी चेन है । शासन प्रशासन को इस कठीन परिस्थिति को ध्यान में रखकर ही बेहद व्यावहारिक ओर उपयुक्त निर्णय लेने होंगे । केवल 50 लोगो के साथ शादी को परमिट करना , होटल , मैरेज गार्डन, कैटरर , इवेंट, हलवाई, बाजे वाले व घोड़ी वाले से जुड़े हर व्यापारी व अन्य वर्ग को अभूतपूर्व ओर असहनीय नुकसान पहुंचाएगा । 50 मेहमानो के साथ शादी करने वाला इनमें से किसी व्यापारी कि सेवा नहीं लेगा । अगर मेहमानों कि संख्या 250-400 भी कर दे तो इंडस्ट्री चलती रहेगी। भले ही कोविड आचार संहिता के सख़्त नियम लागू कर दें , पालन ना करने पर भारी अर्थदंड लगा दे , यह चलेगा , लेकिन अव्यवहारिक ओर अनुपयुक्त नियम बनाकर हॉस्पिटैलिटी , वेडिंग इंडस्ट्री का गला घोटने से बचना चाहिए । होटल , गार्डन से लेकर बैंड वाले तक सब बेकार बैठे रहेंगे । साल भर के इंतजार के बाद अप्रैल से जुलाई तक शादियों के मुहुर्त मिले थे लेकिन 50 मेहमानों कि सीमा के कारण अप्रेल के आगे कि बुक्ड शादियां कैंसल होने लगी है । व्यावहारिक और बहुत गंभीरतापूर्वक सोचकर नियम बनाना होगें । लेकिन 50 लोगों कि संख्या में तो इंडस्ट्री बिलकुल नहीं चलना है । इंडस्ट्री दम तोड देगी । जून जुलाई तक शादी के मुहुर्त करोना खा जायेगा फिर चार माह के लिए मलमास लग जायेगा । ये बहुत गंभीर स्थिति है । शादियों से जुड़े व्यापारों था शिक्षा संस्थानों कि बडी श्रृंखला है । सरकार-प्रशासन ओर जननेताओं को इस भावना से अवगत होना चाहिए ताकि वे कोई उपयुक्त निर्णय ले सकें । इन क्षेत्रों के उद्धार के लिए सरकार वैसा प्रशासन को कोई सुगम रास्ता निकालना होगा। वरना इस देश पर तो शनि ग्रह लग ही गया है जो हमेशा मनहूसियत का ही तांडव कर रहा है। Post navigation अटेली, महेंद्रगढ़ व नांगल चौधरी नगर पालिका की मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन ये कुंभ मेले कभी कम न होंगे, अफसोस तुम न होंगे