भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है। हर व्यक्ति कोरोना से डरा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग रोज आंकड़े उम्मीद से अधिक घोषित करता है। आज के आंकड़े को देखो तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा उसकी संख्या 2549 बताई गई है।

कोरोना के मरीजों संख्या 2549 से कहीं अधिक है ऐसा गुरुग्राम की जनता का मानना है। आज गुरुग्राम गांव, राजेंद्रा पार्क, अशोक विहार, राजीव नगर आदि स्थानों से समाचार मिले कि प्राथमिक सेंटरों पर कोरोना टेस्टिंग रोक दी गई है। इससे यह अनुमान लगा कि प्रशासन जनता में घबराहट न फैले शायद इस कारण टेस्टिंग की संख्या सीमित कर रहा है। इस बारे में जानने के लिए सीएमओ वीरेंद्र यादव को 9654231756 पर फोन लगाया तो उस पर आवाज आती रही कि यह नंबर अस्थाई रूप से सेवा में उपलब्ध नहीं है। इस पर गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला को फोन लगाया। जैसा कि अमूमन होता है कि वह फोन उठाना उचित नहीं समझते, शायद कार्यों में व्यस्तता के कारण या फिर सवालों के जवाब से बचने के लिए। यह तो वही जानें लेकिन यह नहीं पता लगा कि सीएमओ का फोन क्यों नहीं मिल रहा और टेस्टिंग प्रशासन की ओर से सीमित की गई है या कुछ सेंटरों पर टेंस्टिंग किट की कमी पड़ गई, क्योंकि टेंस्टिंग कराने वालों की संख्या आशा से कहीं अधिक है।

गत वर्ष जब कोरोना फैला था, लॉकडाउन लगाया गया था, तब किस प्रकार कोरोना की दहशत को कम करने में जनप्रतिनिधि लगे हुए थे आपको याद होगा। इस बार कोरोना की लहर उससे भी कहीं अधिक घातक है। कोरोना मरीजों की संख्या भी गत वर्ष की अपेक्षा अधिक आ रही है लेकिन किसी जनप्रतिनिधि के कार्य तो क्या ब्यान भी कोरोना के बारे में नहीं आए है। सभी अपने पार्टी या व्यक्तिगत कार्यों में मशगूल हैं।

हरियाणा सरकार की ओर से रोज नई गाइडलाइन जारी की जा रही हैं। आज भी अनिल विज की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी बनी है और वरिष्ठ अधिकारी जिलों की समीक्षा के लिए भी नियुक्त किए गए हैं। तात्पर्य यह है कि हम यह कह सकते हैं कि हरियाणा सरकार तो इस बीमारी की गंभीरता को समझ रही है, किंतु स्थानीय जनप्रतिनिधि जाने क्यों अंजान हैं?

गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रवासी मजदूर पलायन करने लग गए हैं। गत वर्ष निगम, रेडक्रॉस और स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर जगह सैनेटाइजेशन कराया जाता था लेकिन इस वर्ष आज तक कहीं सेनेटाइजेशन की बात नहीं सुनी गई है। जनता के ऊपर पाबंदियां लगाई जा रही हैं, मास्क पर चालान बढ़ाए जा रहे हैंं। इसी प्रकार लोगों से स्वयं कोरोना की गाइडलाइन का अनुकरण करने के लिए कहा जा रहा है किंतु स्थानीय प्रशासन क्या कर रहा है, वह अपनी जिम्मेदारी कितनी निभा रहा है, यही प्रश्न है?

गत वर्ष नगर निगम के अधिकारी व पार्षद कोरोना के समय लोगों के गली-मौहल्लों को सेनेटाइज कर रहे थे, सेनेटाइजर, मास्क बांट रहे थे, खाना भी बांट रहे थे। इस वर्ष लॉकडाउन नहीं है तो खाना न बांटना तो समझ आता है लेकिन पिछले एक वर्ष से जो लोगों की आर्थिक स्थिति कोरोना के कारण खराब हुई है, उसको देखते हुए सेनेटाइजर, मास्क आदि का वितरण गरीब-मजलूम लोगों में तो करना ही चाहिए। सेनेटाइजेशन सार्वजनिक स्थानों पर, बाजार भी सार्वजनिक स्थान में आते हैं, बाजारों में करना चाहिए। माना कि निजी प्रतिष्ठान अपने परिसर में स्वयं जिम्मेदारी लेकर सेनेटाइजेशन करेंगे लेकिन उन्हें प्रेरणा तो सरकार द्वारा सेनेटाइजेशन करने पर ही मिलेगी।

निगम कार्यशैली पर नजर डालें तो इस समय वह लोगों की स्थिति पर नजर न डालते हुए अपने निर्माण कार्यों की रूपरेखा बनाने पर लगी हुई है। अब कोई इनसे पूछे कि जब कोरोना इतना बढ़ रहा है, प्रवासी मजदूर जा रहे हैं, कोरोना गाइडलाइन में सोशल डिस्टेंसिंग का नियम लागू है तो ऐसे में निर्माण कार्य कैसे होंगे?

अब बड़ा प्रश्न यह है कि नागरिकों ने जिन प्रतिनिधियों को अच्छा मान अपने लिए चुना है, चाहे वह नगर पार्षद है, जिला पार्षद हैं या विधायक हैं या फिर सांसद क्या ये सभी अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझकर प्रशासन और शासन के कोविड-19 बचाव के किए कार्यों की ओर नजर रखकर उन्हें प्रोत्साहित कब करेंगे?

गत वर्ष अनेक कंपनियों ने सीएसआर (कंपनी सोशल रेस्पोंसिबिलिटी) के तहत बहुत पैसा गुरुग्राम प्रशासन को दिया था। इस बार शायद वह पैसा मिल नहीं सकेगा, क्योंकि वह पैसा आता देख सरकार ने सभी कंपनियों से वह लगभग ले लिया। कहा तो यह गया कि कंपनियां स्वेच्छा से दे रही हैं, शायद स्वेच्छा से ही दिया हो या सरकार की अपील को मानते हुए दिया हो लेकिन वह सारा पैसा कोविड-19 से बचाव के लिए प्रयोग नहीं हुआ।

सरकार ने उसे अपने प्रचार का साधन भी बना लिया। बार-बार समाचार आते रहे कि दुष्यंत चौटाला ने इतनी स्कूटी महिलाओं को प्रदान की, सीएसआर के तहत अर्थात सीएसआर के पैसे से तो सरकार का प्रचार किया गया। अब शायद उनका फंड भी कम हो गया है। अत: इस बार जो पिछले वर्ष जिम्मेदारी कंपनियों ने सीएसआर के तहत निभाई थी, वह भी सरकार को ही निभानी पड़ेगी। सरकार कितनी सक्षम होगी, यह देखने की बात है।

error: Content is protected !!