भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। यह आदेश स्थानी निकाय मंत्री अनिल विज का है। गत वर्ष भी ऐसे ही आदेश दिए गए थे। उनका क्रियांवयन नहीं हो पाया था। कारण बताया था कोरोना। स्थितियां अब भी वही हैं और फिर यह आदेश निकाय मंत्री अनिल विज का है, मुख्यमंत्री का नहीं। जहां तक मुझे ज्ञात है कि डेपुटेशन परअधिकारी मुख्यमंत्री की सहमति से ही जाते हैं। तो देखना होगा कि मुख्यमंत्री का रवैया क्या रहता है।

हम बात करें गुरुग्राम निगम की तो यहां इंजीनियरिंग विंग में लगभग 65-70 अभियंता डेपुटेशन पर हैं। यदि उन्हें वापिस भेज दिया गया तो निगम का कार्य कैसे चलेगा। वर्षों से ऐसा ही चल रहा है। निगम नई भर्ती कर नहीं रहा है। कोरोना काल में वैसे भी सरकार नई नियुक्तियां नहीं कर रही। इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है अन्य विभागों का और कमोवेश यही स्थिति सभी निकायों में होगी।

यहां चर्चा यह है कि डेपुटेशन पर जो कर्मचारी लगते हैं, वे किसी मंंत्री या चंडीगढ़ कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी के आशीर्वाद से लगते हैं और वह आशीर्वाद किस प्रकार मिलता है, यह लिखना उचित नहीं लगता लेकिन जानकार लोग समझ सकते हैं और जब उस आशीर्वाद की समयावधि समाप्त हो जाती है तो फिर आशीर्वाद प्राप्त करना होता है और इसीलिए इस प्रकार के आदेश होते हैं। सच्चाई क्या है, यह तो डेपुटेशन वाले ही बता सकते हैं लेकिन चर्चा यही है।

निगम के डेपुटेशन पर लगे हुए कर्मचारी इससे चिंतित नजर नहीं आ रहे। उनका कहना है कि एक तो कोरोना, दूसरे बच्चों की पढ़ाई आदि अन्य भी कारण हैं, जिनके कारण अभी हमें पुराने विभाग में नहीं भेजा जा सकेगा। स्पष्ट कोई कुछ कहता नहीं लेकिन किसी के चेहरे पर जाने का डर भी दिखाई नहीं दे रहा है। मंत्री के आदेशों का ऐसा हाल देखकर आश्चर्य होता है।

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