भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट की सुविधा बंद की-बांग्लादेशी एक्सपोर्टर्स मुसीबत में – नेपाल भूटान बैन से से बाहर
भारत के ट्रांसशिपमेंट के आदेश से बांग्लादेश का एक्सपोर्ट खर्च तीन गुना बढ़ सकता है- प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर घातक असर होगा
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वर्तमान आधुनिक वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की गहराई और आपसी संवाद की शालीनता का असर न केवल निजी ज़िंदगी बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो उसका परिणाम दोनों देशों के संबंधों और व्यापार पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
ऐसा ही एक उदाहरण हाल ही में 8 अप्रैल 2025 को देखने को मिला जब भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा पर रोक लगा दी। यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रमुख द्वारा चीन यात्रा के दौरान भारत के खिलाफ की गई टिप्पणियों को लेकर विवाद खड़ा हुआ।
भारत का निर्णायक कदम

ट्रांसशिपमेंट सुविधा समाप्त
भारत ने 2020 से बांग्लादेश को यह सुविधा प्रदान की थी, जिसके तहत वह भारतीय जमीन का उपयोग करके नेपाल, भूटान, म्यांमार सहित अन्य देशों में अपने निर्यात भेज सकता था। अब भारत के इस फैसले से बांग्लादेश के व्यापार पर भारी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय भारत के हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर अत्यधिक दबाव और देरी को देखते हुए लिया गया है। हालांकि नेपाल और भूटान को इस फैसले से छूट दी गई है। इसका तात्पर्य है कि अब भी बांग्लादेश इन दोनों देशों में भारत के रास्ते निर्यात कर सकता है।
बांग्लादेशी बयान से उपजा विवाद
मार्च 2025 में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चीन की यात्रा के दौरान भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को ‘लैंडलॉक्ड’ बताते हुए चीन को आमंत्रित किया कि वह इस क्षेत्र में व्यापार और निवेश करे। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश इस क्षेत्र के लिए समुद्र तक पहुंच का एकमात्र जरिया है।
भारत ने इस बयान को भारत की संप्रभुता और सामरिक महत्व के विरुद्ध माना। इसके जवाब में भारत ने बांग्लादेश की संवेदनशील ‘ट्रांसशिपमेंट’ सुविधा को समाप्त कर एक तरह की ‘आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक’ की।
आर्थिक असर: बांग्लादेशी एक्सपोर्टर्स मुश्किल में
इस फैसले का सीधा असर बांग्लादेश के निर्यात कारोबार पर पड़ा है। भारत के बंदरगाहों और हवाई अड्डों का उपयोग नहीं कर पाने की स्थिति में बांग्लादेश को अब अन्य रास्तों की तलाश करनी पड़ेगी, जिससे उसकी लागत तीन गुना तक बढ़ सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इससे बांग्लादेश की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर गंभीर असर पड़ेगा। पहले जहां ट्रांसशिपमेंट के ज़रिए कम समय और खर्च में व्यापार संभव था, अब न केवल समय ज़्यादा लगेगा, बल्कि अनिश्चितता भी बढ़ेगी।
भारतीय निर्यातकों को राहत
भारतीय परिधान और अन्य निर्यात उद्योगों को इससे लाभ मिलने की संभावना है। एपेरेल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल लंबे समय से यह मांग कर रही थी कि बांग्लादेश को दी जा रही यह सुविधा वापस ली जाए, ताकि भारतीय उद्योगों को ट्रांसपोर्ट और एयर कार्गो स्पेस की अधिक सुविधा मिल सके।
चीन की भूमिका और रणनीतिक पृष्ठभूमि
बांग्लादेश की चीन के प्रति झुकाव और भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से साझेदारी करने की कोशिशें भारत को स्वीकार्य नहीं रही हैं। लालमोनिरहाट जैसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में चीन को आमंत्रण देना और पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक सीमाओं पर टिप्पणी करना भारत की सुरक्षा नीति के खिलाफ देखा गया है।
निष्कर्ष
आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक’ का प्रभाव दीर्घकालिक
भारत द्वारा बांग्लादेश की ट्रांसशिपमेंट सुविधा समाप्त करना न केवल एक प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि यह एक सशक्त कूटनीतिक संकेत भी है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल बयानबाज़ी पर प्रतिक्रिया नहीं करता, बल्कि रणनीतिक स्तर पर ठोस और मर्मस्पर्शी फैसले लेने को तैयार है।
बांग्लादेश को यह समझना होगा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में संतुलन और परिपक्वता आवश्यक है। चीन के साथ संबंधों को मज़बूत करने में कोई बुराई नहीं, परंतु भारत के रणनीतिक हितों की अनदेखी कर बड़बोलेपन की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
अंततः यही प्रश्न उठता है: क्या बांग्लादेश को बड़बोलापन भारी पड़ गया? भारत की यह आर्थिक कार्रवाई सैन्य प्रतिक्रिया से कम मारक नहीं मानी जाएगी।
संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक, चिंतक, कवि, संगीत माध्यमा, सीए(एटीसी), एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र