10 अप्रैल 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने आर्य समाज के 146वे स्थापना दिवस पर सभी आर्य समाजी बहन-भाइयों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देते हुए अपने कार्यालय में आर्य समाज के संस्थापक परम वैदिक विद्वान महर्षि दयानंद सरस्वती के चित्र को प्रणाम किया1
विद्रोही ने कहा कि आज से 146 वर्ष पूर्व 10 अप्रैल 1875 को महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना करके उस समय भारत में फैले पाखंडवाद, अंधविश्वास व धर्म गुरुओं की लूट के खिलाफ शंखनाद करके पूरी दुनिया को वेदों का ज्ञान देने व पुरातन सनातनी भारतीय सभ्यता-संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने का बीड़ा उठाया, जिसके चलते पूरे देश में धार्मिक पाखंडवाद, अंधविश्वास के खिलाफ ऐसी जनचेतना आर्य समाज के माध्यम से फैली जिसके चलते धर्म को दुकान मानकर लोगों को मूर्ख बनाकर, उन्हें ठगकर धर्म की दुकान चलाने वाले पाखंडीयो में खलबली मची और धर्म के नाम पर लोगों को ठगने की उनकी दुकान को भारी क्षति हुई1
स्वामी दयानंद सरस्वती, आर्य समाज द्वारा पैदा की गई चेतना का ही यह प्रभाव था कि आजादी आंदोलन में हिस्सा लेने वाले 70 से 75 प्रतिशत लोग आर्य समाज की विचारधारा से प्रभावित थे1 आर्य समाज ने देश में एक नई चेतना पैदा करके पाखंड, अंधविश्वास, कुरुतियों के खात्मे के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई1लेकिन जब से आर्य समाजी हिंदुत्व के नाम पर संघी हिन्दूत्तव के पिछलग्गू बने तबसे आर्य समाज अपना तेज, पाखंड, अंधविश्वास के खिलाफ लडऩे की धार खोकर महर्षि दयानंद के दिखाए रास्ते से भटकने के कारण अप्रसांगिक होता जा रहा हैं1
विद्रोही ने आर्य समाज के 146 स्थापना दिवस पर दुनिया भर के आर्य समाजियों से आग्रह कि वे अपना विश्लेषण करके संघीयो के जाल से निकलकर एक बार फिर से महर्षि दयानंद सरस्वती के दिखाए रास्ते पर चलकर पाखंड, अंधविश्वास और कुरुतियों के खिलाफ लडक़र वेदों के सही ज्ञान को फैलाकर आर्य समाज की गरिमा, तेजस्विता और पुरानी धार को कायम करके सही अर्थों में अपने आप को महर्षि दयानंद का अनुयाई बनाएं1