चौराहों पर रेड सिग्रल होते ही वाहन चालकों से पैसे मांगने पहुंच जाते हैं बच्चे, वृद्ध व महिलाएं

गुरुग्राम, 3 अप्रैल (अशोक): केंद्र व प्रदेश सरकार भिक्षावृति पर कानून बनाकर रोक लगाई हुई है, लेकिन इन कानूनों का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। विभिन्न प्रदेशों के महानगरों में तो भिक्षावृति का बुरा ही हाल है।

बच्चों व दिव्यांगों से भीख मंगवाने के लिए कई गिरोहों का भंडाफोड़ भीसमय-समय पर होता रहा है। साईबर सिटी गुडग़ांव का देश में ही नहीं, अपितुविदेशों में भी बड़ा नाम है। गुडग़ांव के विभिन्न चौराहों पर भीख मांगने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, जो एक चिंता का विषय है। जिला प्रशासन इन भिखारियों की धरपकड़ भी समय-समय पर करता रहा है,

लेकिन कुछ दिन बाद ये फिर किसी अन्य स्थान पर भीख मांगते देखे जा सकते हैं। शहर के मुख्य चौक-चौराहों, मंदिरों, बस स्टैण्ड, मॉल्स आदि सार्वजनिक स्थानों पर बड़ी संख्या में बच्चे, महिलाएं व वृद्ध भीख मांगते दिखाई देते हैं। चौराहों पर रेडलाईट के होते ही गोद में बच्चा लिए महिलाएं वाहनों पर टूट पड़ती हैं और तरह-तरह की मिन्नतें कर कुछ न कुछ ले ही लेती हैं। यदि कोई वाहन चालक इनको पैसे न देता तो ये उसके पीछे ही पड़ जाती हैं, जिसके कारण अक्सर यातायात जहां प्रभावित हो जाता है, वहीं वाहनों की चपेट में आने से दुर्घटना का भय भी बना रहता है। जानकारों का कहना है कि गुडग़ांव में आस-पास के प्रदेशों से ये लोग भीख मांगने के लिए आते हैं। बताया जाता है कि विभिन्न प्रदेशों से काम की तलाश में ये लोग गुडग़ांव आते हैं, लेकिन अशिक्षित होने के कारण इन्हें काम नहीं मिल पाता।

जिस पर ये लोग पेट भरने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में भीख मांगना शुरु कर देते हैं। जो इनकी आदत बन जाती है। शहर के सोहना चौक, सैक्टर 4/7, बाबा प्रकाशपुरी, महावीर चौक, सिद्धेश्वर चौक, बस स्टैण्ड, झाडसा रोड, हाईवे व मेट्रो स्टेशनों के आस-पास भी ये लोग सक्रिय रहते हैं। जब भी रेडलाईट पर वाहन रुकते हैं तो ये वाहनों के बीच से गुजरते हुए वाहन चालकों से पैसे मांगने शुरु कर देते हैं। हालांकि यातायात पुलिस इनको समय-समय पर हटाती रहती है, लेकिन इन पर कोई प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। जिला प्रशासन ने कई बार भिखारियों के प्रति अभियान भी चलाया है, लेकिन वह कागजों में ही सिमट कर रह गया। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि भिक्षावृति एक अपराध है। शहर में इसक आंकड़ा भी श्रम विभाग पुलिस प्रशासन के सहयोग से तैयार किया जा रहा है, तभी आगे कार्यवाही की जा सकती है।

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