सरकारी अनाज मंडी को खत्म करने का मंसूबा नहीं होने देंगे पूरा, गेहूं की खरीद में लगाई शर्तें हटाने की मांग

चरखी दादरी जयवीर फोगाट 

 संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर इलाके की खाप, विभिन्न किसान, मजदूर, सामाजिक, व्यापारी और कर्मचारी संगठनों ने आज दादरी की नई अनाज मंडी में मंडी बचाओ अभियान के तहत विरोध प्रदर्शन कर सरकारी मंडी बचाने और गेहूं की खरीद पर अनावश्यक शर्तें हटाने के साथ भूमि रिकॉर्ड की शर्त को रद्द करने संबंधित अपनी मांगो को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन ड्यूटी मजिस्ट्रेट जिला बाल कल्याण अधिकारी वजीर सिंह दांगी को सौंपा।  कार्यक्रम की अध्यक्षता आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रामकुमार रिटोलिया ने की और मंच संचालन सचिव विनोद गर्ग ने किया। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।                 

उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज देश के अन्नदाता के साथ मजदूर, कर्मचारी, और व्यापारी समेत हर वर्ग ये समझ गया है कि तीन कृषि कानून महज बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। इनसे किसानों को बड़ा नुकसान तो होगा ही, प्राइवेट मंडी खुलने से सरकारी मंडी बंद हो जाएंगी। इससे एमएसपी खत्म होने के साथ मजदूरों को खाने के लाले पड़ जाएंगे वहीं आढ़ती भी अपने काम धंधे से हाथ धो बैठेंगे। उन्होंने तत्काल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन कृषि कानून रद्द करने को कहा।               

उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम FCI गेहूं खरीद पर अनावश्यक शर्तें लगा रहा है।  दरअसल, ये हालात आंदोलनकारी किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने के समान हैं। खरीद की सामान्य शर्तें पांच दशकों से हैं, लेकिन ये नई शर्तें सरकारी खरीद प्रणाली पर एक और हमला है।               

 उन्होंने कहा कि नई शर्तों के तहत, गेहूं का टोटा 4% से 2% तक कम हो गई है। इस बार खरीदे जाने वाले गेहूं के लिए नमी की दर 14% से घटाकर 12% कर दिया गया है। जो अन्य घटा-मिट्टी 4% तक है उसे  0% के लगभग कर दिया है।  ये स्थितियां वास्तव में एमएसपी को तोड़ने के लिए हैं। गेहूं की खरीद को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा।  सरकार का यह निर्णय बहुत ही निंदनीय और तर्कहीन है। इसको लेकर किसानों में बेहद नाराजगी है।             

  उन्होंने कहा कि दावा किया जाता है कि गेहूं की फसल का भुगतान भूस्वामी को किया जाएगा, जबकि जमीन पर वास्तविकता यह है कि बहुत कम काश्तकार हैं और कुछ काश्तकारों के इतने छोटे भूखंड  है जिस पर खेती करना उचित नहीं है। उन्हें मशीनरी और अन्य तकनीक की जरूरत है।  परिणामस्वरूप, अनुबंध के आधार पर मजबूरियों का भुगतान करना पड़ता है।             

 किसानों ने मांग करते हुए कहा कि भूमि मालिकों को गेहूं की फसल का भुगतान करने के बजाय, खेत में फसल उगाने वाले किसान को इसे औपचारिक रूप से दिया जाना चाहिए, अन्यथा यह हमारे चल रहे संघर्ष में एक बड़ा बदलाव लाएगा। आंदोलन नए पड़ाव में जायेगा। इससे जो परिणाम होंगे उसके लिए केंद्र सरकार और भारतीय खाद्य निगम और इसके अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी। उन्होंने कहा कि गेहूं की खरीद के लिए एफसीआई द्वारा भूमि रिकॉर्ड जमा करने की शर्तों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।               

  इस अवसर पर दादरी से निर्दलीय विधायक और खाप सांगवान 40 के प्रधान सोमबीर सांगवान, फौगाट खाप 19 के प्रधान बलवन्त नम्बरदार, श्योराण खाप 25 के प्रधान बिजेंद्र बेरला, कश्मीर सिंह, राजबीर शास्त्री, ओमप्रकाश कलकल, शमशेर फौगाट, रामकुमार कादयान, राजू मान, नितिन जांघू, धर्मेन्द्र छपार, कृष्ण फौगाट, रणधीर घिकाड़ा, विनोद मोड़ी, जगबीर घसोला, राधेश्याम हड़ौदिया, राजकुमार घिकाड़ा, अत्तर सिंह घसोला, रणबीर फौजी, सुनील पहलवान, रामकुमार सोलंकी, कंवर झोझू, यादवेंद्र, योगेश इमलोटा ने अपने विचार रखे। इस मौके पर नरसिंह डीपीई, सुरेश फौगाट, राजकुमार हड़ौदी, कमलेश भैरवी, राजेश झोझू, सुरजभान सांगवान, प्रवीण चेयरमैन, लीलाराम फौगाट, वेदपाल, देवेंद्र घसोला, सीताराम, सुरेन्द्र कुब्जानगर, जगदेव सिंह, जगदीश हुई इत्यादि मौजूद थे।

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