14 मार्च 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने आरोप लगाया कि हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार सुप्रीम कोर्ट से गुडगांव, फरीदाबाद, मेवात के अरावली क्षेत्र के पहाडों में दोबारा से खनन करने की अनुमति लेकर अप्रत्यक्ष रूप से पत्थर खनन माफिया व भू-माफिया को दिल्ली के आसपास के अरावली क्षेत्र की पहाडियों को खत्म करके उन्हे समतल बनाने के षडयंत्र में शामिल होकर गुपचुप रूप से अरबो रूपये की लूट करने की फिराक में है। विद्रोही ने कहा कि 6 मई 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली व दिल्ली से सटे हरियाणा के अरावली क्षेत्र में पत्थर व बदरपुर खनन पर रोक लगाई थी। विगत 18 सालों से खनन व भू-माफिया खनन शुरू करवानें के लिए विभिन्न तिकडमे अपनाकर व सत्ताधारी नेताओ से मिलकर दोबारा से खनन शुरू करवाके अरावली क्षेत्र के बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने की फिराक लगे हुए है। लेकिन उन्हे लाख कुप्रयासों के बाद भी सफलता नही मिली। हरियाणा भाजपा सरकार बनने के बाद ऐसे कुप्रयास विगत छह साल से कुछ ज्यादा ही तेज हुए है। भाजपा सरकार ने तो हरियाणा विधानसभा में पंजाब भू-संरक्षण कानून 1901 में परिवर्तन करके गुडग़ांव व फरीदाबाद की बेशकीमती जमीन पर भू-माफिया का कब्जा करवाने का असफल कुप्रयास लोकसभा-विधानसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले कर चुकी है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि भू-माफिया से मिलकर अरबो रूपये लूटने का यह कुप्रयास सुप्रीम कोर्ट के दखल से सिरे नही चढ पाया था। अब एकबार फिर हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार खनन व भू-माफिया से मिलकर अरावली क्षेत्र में लगभग 2100 हैक्टेयर जमीन में दोबारा खनन प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगकर अरबो रूपये की अपनी लूट योजना को फिर से केन्द्र की मोदी सरकार के सहयोग से पूरा करने की फिराक में है। हरियाणा सरकार गुडग़ांव, फरीदाबाद सहित अरावली क्षेत्र में जिस लगभग 2100 हैक्टेयर जमीन पर खनन अनुमति मांग रही है, उसमें न तो पहले कभी पत्थर व बदरपुर का खनन होता था और यह क्षेत्र वन क्षेत्र व वन्य जीवों का सुरक्षित क्षेत्र रहा है। हरियाणा सरकार व केन्द्र सरकार मिलकर अरावली क्षेत्र में अधिसूचित वन क्षेत्र को छोड़कर अन्य ऐसे क्षेत्रों को परिभाषित वन क्षेत्र व वन सरंक्षण कानून 1980 के दायरे से बाहर निकालकर फिर से खनन शुरू करवाके बची हुई पहाडियों पर पत्थर खनन करके उन्हे समतल करने की फिराक में है। अरावली क्षेत्र की लगभग एक दर्जन पहाडियां पहले ही सत्तारूढ़े नेताओं के सहयोग से गायब करके समतल करके भू-माफिया कब्जा करके अरबो रूपये कमा चुके है। विद्रोही ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार परिभाषित वन क्षेत्रों व वन संरक्षण कानून 1980 के दायरे से अरावली क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों को बाहर कर देतो है तो बचे हुए वन व वन्य जीवों पर बहुत खतरा मंडरा जायेगा। खनन व भू-माफिया सत्तारूढ़ नेताओं व सरकारी अधिकारियों से मिलकर 2100 हैक्टेयर वन क्षेत्र जमीन में पत्थर खनन करके पहाडियों को गायब करके उसे समतल जमीन बनाकर कब्जा करके पर्यावरण व वन्य जीवों के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर देंगे। विद्रोही ने अरावली क्षेत्र में रहने वाले आमजनों, पर्यावरणविदों, सामाजिक संगठनों, पंचायतों, जागरूक नागरिकों से अपील की कि वे अरावली क्षेत्रे को बचाने के लिए आगे आये और केन्द्र की मोदी व हरियाणा की खट्टर सरकार के गुडग़ांव, फरीदाबाद व साथ लगते अरावली क्षेत्र में दोबारा खनन शुरू करके पहाडियों व वनों के गायब करने के खेल द्वारा अरबो रूपये कमाने की लूट के षडयंत्र को कामयाब न होने दे। Post navigation 26 मार्च को आंदोलन के 4 महीने पूरे और होगा भारत होगा पूर्ण बंद अपने ही शहर में बग़ावत नहीं रोक पा रहे राव इंद्रजीत