बीजेपी की एकता की पोल खुली, राव इंद्रजीत का कद घटा उमेश जोशी चुनाव छोटा था, लेकिन, बड़े नेता के कद का फैसला होना था। रेवाड़ी नगर परिषद के उप प्रधान पद के चुनाव के बहाने बीजेपी के दो धड़ों में शक्ति परीक्षण हो रहा था। फैसला यह होना था कि क्या केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अभी भी अपने गृह नगर रेवाड़ी के निर्विवाद और कद्दावर नेता हैं? इस परीक्षा में राव इंद्रजीत पूरी तरह विफल रहे हैं। परिषद के उपप्रधान पद के चुनाव में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने पूरी ताकत झोंक रख रखी थी। वे अपने कृपापात्र श्याम चुघ को उपप्रधान बनाना चाहते थे जबकि श्याम चुघ का पार्टी के भीतर भारी विरोध था। राव इंद्रजीत का अहंकार ही कहा जाएगा कि उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को नजरंदाज कर दिया। राव इंद्रजीत एक बिंदु पर रस्साकशी में फंस गए थे; यदि श्याम चुघ के सिर से हाथ हटाते हैं तो चुनाव से पहले ही हार स्वीकार करने जैसा हो जाता। जनता में यह संदेश भी जाता कि केंद्रीय मंत्री उपप्रधान भी नहीं बनवा सकते हैं तो कोई उसकी हैसियत क्यों स्वीकार करे। श्याम चुघ के सिर से हाथ नहीं हटाते हैं। राव इंद्रजीत के सामने समर्थन जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। ऐसी स्थिति में पार्टी में घमासान होना तय था। इस घमासान से पार्टी में एकता के दावों की पोल तो खुलनी ही थी, राव इंद्रजीत का कद कटना और साख को बट्टा लगना भी लाज़िमी था। रेवाड़ी नगर परिषद चुनाव के बाद 30 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में चेयरमैन पद भाजपा के खाते में गया था। हालांकि 31 पार्षदों में से भाजपा महज सात ही जीत सकी थी लेकिन केंद्र व प्रदेश में सरकार होने के कारण 31 में से अधिकतर पार्षद केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत को समर्थन देने के लिए उनके जन्मदिन पर हाज़िरी लगाने पहुंच गए थे। उस समय ऐसा लग रहा था कि राव इंद्रजीत जिसके सिर पर हाथ रख देंगे उस पर आम सहमति बन जाएगी। राव इंद्रजीत ने अपने चहेते श्याम चुघ पर वरद हस्त रख दिया। 15 फरवरी को चुनाव होना था लेकिन ठीक एक दिन पहले 14 फरवरी को बीजेपी के अंदर एक धड़े ने करीब 14 पार्षदों को अपने पाले में कर लिया। राव इंद्रजीत को इस बग़ावत की भनक लगी तो चुनाव टाल दिया गया। उपप्रधान चुनाव को लेकर लंबे समय से गहमागहमी थी। बीजेपी शनिवार को 25 पार्षदों को सैर सपाटे के लिए ले गई थी। गुरुग्राम के एक पांच सितारा होटल में पार्षद ठहरे थे; रविवार सुबह उनको लोकनिर्माण विश्रामगृह में लाया गया था। लोकनिर्माण विश्रामगृह में पार्षदों की संख्या 27 हो गई थी। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत, बीजेपी के चुनाव पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और पार्टी के प्रदेश महामंत्री संदीप जोशी रेस्ट हाउस में पार्षदों से बातचीत के लिए पहुंच गए थे। अतिरिक्त उपायुक्त राहुल हुड्डा रिटर्निंग अधिकारी की हैसियत से चुनाव कराने के पहुँच गए थे। चुनावी बैठक में चेयरपर्सन पूनम यादव की तरफ से उपप्रधान पद के लिए श्याम चुघ के नाम का प्रस्ताव रखा गया। राव इंद्रजीत ने पहले ही कह दिया था कि उपप्रधान किसे बनाना है, उसके नाम की पर्ची चेयरपर्सन पूनम यादव को दे दी गई है। श्याम चुघ के विरोध में वार्ड नंबर 5 के पार्षद लोकेश यादव ने भी नामांकन कर दिया। दो प्रत्याशी होने के कारण गुप्त मतदान कराया गया। श्याम चुघ को 18 तो लोकेश यादव को 14 वोट मिले। बीजेपी के साथ रेस्ट हाउस में जहां 27 पार्षद थे वहीं नगर परिषद हाउस में महज 18 ही रह गए। सीधे तौर पर कहा जाए तो यह राव इंद्रजीत के खिलाफ बगावत है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बगावती खेमे को बीजेपी के ऐसे गुट से ताकत मिल रही है जो राव इंद्रजीत का कद छोटा करना चाहता है। राजनीति की नब्ज पहचानने वालों को उस गुट का नाम बताने की ज़रूरत है। राव इंद्रजीत को टंगड़ी मारने वाले गट के मुखिया कौन हैं, पूरा प्रदेश जानता है। रेवाड़ी नगर परिषद में उपप्रधान का पद जैसे-तैसे बीजेपी को मिल गया है। लेकिन, राव इंद्रजीत को यह उपलब्धि बहुत महंगी पड़ी है; साख पर चोट खा कर यह पद पाया है। कुल 32 वोटों में से श्याम चुघ को 18 तो उनके प्रतिद्वंदी लोकेश यादव को 14 वोट मिले हैं। दो और वोट लोकेश यादव के पक्ष में चले जाते तो राव इंद्रजीत के श्याम चुघ 16 पर सिमट जाते जबकि जीते के लिए 17 वोट ज़रूरी थे। ऐसी स्थिति में राव साहब कहाँ छुपते। राव इंद्रजीत बाल बाल बच गए और किसी तरह साख बच गई लेकिन निर्विवाद और कद्दावर नेता का खिताब नहीं जीत पाए। राव इंद्रजीत की साख विधानसभा चुनाव में ही धराशायी हो गई थी। उन्होंने रणधीर कापड़ीवास का विधानसभा टिकट कटवा कर सुनील कुमार को टिकट दिलवाया था। पिता पुत्री ने खूब ज़ोर लगाया लेकिन सुनील कुमार को नहीं जिता पाए। उसे उतने वोट भी नहीं दिला पाए जितने वोट से 2014 में रणधीर कापड़ीवास चुनाव जीते थे। कापड़ीवास 45466 वोट के अंतर से जीते थे जबकि सुनील कुमार को कुल 42553 वोट मिले; बीजेपी को इस चुनाव 25.93 प्रतिशत वोट का नुकसान हुआ। इस चुनाव ने साबित कर दिया था कि राव इंद्रजीत अब बाउंस चेक की तरह हैं जिसमें रकम तो करोड़ों में भरी हुई है लेकिन असलियत में उसकी वैल्यू शून्य है। Post navigation अरावली क्षेत्र में दोबारा खनन करके पहाडियों व वनों के गायब करने के खेल खेल रही हरियाणा सरकार : विद्रोही दक्षिणी हरियाणा में आज जो भाजपा का प्रभाव वह राव इन्द्रजीत सिंह की बदौलत : विद्रोही