भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

भाजपा ने 10 मार्च को विश्वासत मत प्राप्त किया और उसके पश्चात भाजपा की खुशी की आलम देखते ही बनता था। मुख्यमंत्री कहते हैं कि मैं तो चाहता हूं कि हर छह महीने में अविश्वास प्रस्ताव आए और उप मुख्यमंत्री कहते हैं कि यह कांग्रेस की हताशा का प्रमाण है।

इतना ही नहीं, आज मुख्यमंत्री विधायकों के साथ जीत की खुशी में फिल्म देखने भी गए। जब यह कुछ था ही नहीं तो फिर इसकी इतनी खुशी? इससे पूर्व केंद्र सरकार यह निर्देश, अमित शाह से मीटिंगें, ये सब इंगित करती हैं कि भाजपा से इससे डरी हुई तो थी। अविश्वास प्रस्ताव से पूर्व निर्दलीय विधायकों की और जजपा विधायकों की भाषा भाजपा की सांस को अटका रही थी पर जो भी हुआ, विश्वास मत तो प्राप्त किया, खुशी तो बनती है।

अब बात करें प्रजातंत्र की तो कहा जाता है कि प्रजातंत्र प्रजा के लिए है, प्रजा के लोगों द्वारा है और प्रजा की भलाई के लिए है। प्रजा का अर्थ प्रदेश के निवासियों से है। विधानसभा में 32 के मुकाबले 55 विधायक सरकार के समर्थन में थे। 55 नहीं 56 भी कह सकते हैं।

56 से भाजपा का अच्छा नाता है। 56वें स्पीकर, जिन्होंने मत नहीं डाला वह भी सरकार के समर्थन में ही हैं, अत: हो गए न 56। अत: इनको देखकर लगता है कि जनता सरकार पर पूर्ण विश्वास करती है। 

अब धरातल पर आते हैं। धरातल पर स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में भी सभा नहीं कर पा रहे और कमोवेश ऐसी ही स्थिति सभी मंत्रियों और विधायकों के साथ है। यदि जनता का इतना बहुमत प्राप्त है तो फिर यह जनता में मीटिंगें क्यों नहीं कर पा रहे? सीधा-सा अर्थ है कि जनता विरोध कर रही है इन नेताओं का।

उपरोक्त स्थितियों को देखकर हमें या किसी को भी संकोच नहीं होगा कि प्रजातंत्र दिशा भटक रहा है। प्रजातंत्र में प्रजा की आवाज नहीं सुनाई दे रही, प्रजा का सम्मान नहीं है, सरकार राजतंत्र की तरह काम कर रही है, करे भी क्यों न। अधिकांश नेता, मंत्री अपनी योग्यता से नहीं अपितु मोदी के नाम से जीते हैं। अत: वह जनता के प्रति नहीं अपितु मोदी के प्रति जवाबदेह हैं और वे अपना कर्तव्य भली प्रकार निभा रहे हैं। और यही स्थिति प्रजातंत्र के ऊपर सवाल खड़े कर रही है।

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की हमने बात की। अब गृहमंत्री की ओर देखें तो विधानसभा में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर, निगमों पर और कानून व्यवस्था पर सरकार की फजीहत हुई, जबकि स्थानीय निकाय, स्वास्थ और गृह मंत्रालय गब्बर के नाम से मशहूर अनिल विज के पास है।

अनिल विज मंत्री तो हरियाणा के हैं लेकिन उनका सारा ध्यान पूरे देश पर रहता है और ट्वीट कर देश के नेताओं पर तंज कसते रहते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि वह इतने योग्य हैं तो अपनी योग्यता हरियाणा पर क्यों नहीं लगाते? और यदि उन्हें हरियाणा में दिलचस्पी नहीं है, देश में दिलचस्पी है तो मोदी के खास हैं तो कोई जिम्मेदारी केंद्र की संभाल लें। ऐसे ही सवाल हैं अनेक।

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