कर्पूरगौरं करूणावतरम, संसारसारं, भुजगेद्रहारम्।। सदावसन्तम् हृदयारविन्दे, भवम् भवानी सहितं नमामि।। भारत सारथी गुरुग्राम के इतिहास में शायद पहली बार श्याम मंदिर ट्रस्ट के प्रधान श्री बोधराज सीकरी एवं महिला मंडल की प्रधाना श्रीमती ममता सूटा की अगुवाई में एवं पूर्ण मैनेजमेंट के अथक प्रयासों से शिव-पार्वती विवाह उत्सव का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया। शिव भोले की बारात का प्रस्थान श्याम मंदिर न्यू कॉलोनी से सायं 5 बजे आरंभ हुआ, जिसमें सुसज्जित बग्गी पर बैठकर आराध्य भोले बाबा की बारात संगीत की धुन एवं बैंड, ढोल, नगाड़ों के साथ चल पड़ी। भोले की बारात में पर्याप्त संख्या में विभिन्न वेष-भूषा से सुसज्जित होकर भोले के गण भी बारात की शोभा को बढ़ा रहे थे। वहीं बारात में शामिल प्रधान श्री बोधराज सीकरी की अगुवाई में सभी गणमान्य व्यक्ति, ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी, समस्त महिला मंडल पूरा रास्ता फूलों की वर्षा करते हुए, झूमते-गाते हुए खुशी का प्रदर्शन कर रहे थे। मंदिर के पुजारी पं. भीमदत्त जी एवं पं. प्रेम शास्त्री जी का सहयोग सराहनीय रहा। बारात श्याम मंदिर, न्यू कॉलोनी गुरुग्राम से चलकर बाहर मुख्य सडक़ पर आकर केडीएच के सामने से होते हुई दशहरा ग्राउंड, गणेश मंदिर से निकलकर लगभग सायं 7 बजे श्याम मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची। यहां पर मां पार्वती पूर्ण रूप से सुसज्जित होकर दुल्हन के रूप में वरमाला लेकर स्वागत के लिए उपस्थित थीं। जब वरमाला भोले बाबा के गले में एवं मां पार्वती के गले में एक-दूसरे के द्वारा डाली जा रही थी तो उपस्थित जन समुदाय ने पुष्प वर्षा करके वातावरण को मनमोहक बना दिया। भोले बाबा एवं मां पार्वती को मंदिर के अंदर ले जाया गया, जहां उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की गई। तत्पश्चात उपस्थित भक्तजनों को कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए भंडारे का वितरण किया गया। इस भव्य आयोजन के लिए सभी उपस्थित जन समुदाय ट्रस्ट के प्रधान श्री बोधराज सीकरी, महिला मंडल की प्रधाना श्रीमती ममता सूटा एवं ट्रस्ट के पदाधिकारी राजेंद्र गोसाईं, राजेश सूटा, सुभाष ग्रोवर, अश्वनी वर्मा, आरके टंडन, विनोद यादव, मदन सतीजा, सीपी छाबड़ा, जगदीश रखेजा, एचएन बतरा, तिलक चानना एवं राजीव सहगल आदि की मुक्त कंठ से हर्षतरेक होकर प्रशंसा कर रहे थे। भगवान भोलेनाथ की कृपा आप पर सदैव बनी रहे। Post navigation राव इंद्रजीत से जाटोला खंडेवला नहर में पानी की मांग भाजपा का विश्वास मत : क्या यही है प्रजातंत्र का स्वरूप ?