कौन विधायक किसानों के साथ और कौन किसान शोषक के साथ : विद्रोही

9 मार्च 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने कहा कि बुधवार को हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस द्वारा रखे अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग से शीशे की तरह साफ हो जायेगा कि कौन विधायक किसानों के साथ है और कौन विधायक किसान शोषक मोदी-भाजपा-अडानी-अम्बानी के साथ खड़े होकर हम दो-हमारे दो की गुलामी करते है।

विद्रोही ने कहा कि काले कृषि कानूनों, किसान आंदोलन, किसानों पर सरकारी दमन, उनकी मौतों पर भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव भाजपा सरकार को गिराने व कांग्रेस सरकार बनाने का प्रस्ताव न होकर हरियाणा के एक-एक नागरिक को बताना है कि कौन विधायक किसानों के साथ है और कौन किसान शोषक के साथ खड़े है। कांग्रेस का सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कमेरे व लुटेरे के बीच का संघर्ष है, जिसमें प्रदेश के सभी 90 विधायकों को अपनी स्थिति स्पष्ट करके साफ लाईन लेनी होगी कि वे किसानों के साथ है या किसानों को बर्बाद करके अपनी तिजौरियां भरने वालों के साथ है।

विद्रोही ने कहा कि बुधवार को हरियाणा विधानसभा में रखे कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के जो भी नतीजे सामने आये, लेकिन इतना तय है कि इस अविश्वास प्रस्ताव के बाद हरियाणा के ढाई करोड़ लोगों के सामने साफ हो जायेगा कि उनके चुनेे विधायक मतदाताओं की भावनाओं का सम्मान करते है या कुर्सी लालच व पैसों की खनक के सामने बिककर मतदाताओं व अन्नदाता किसानों के साथ धोखाधड़ी करते है। 

विद्रोही ने कहा कि किसानों के विगत 103 दिनों के आंदोलन में लगभग 300 किसान अपनी अमूल्य जान गवां चुके है, लेकिन चाहे केन्द्र की मोदी सरकार हो या हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार, दोनो सरकारे, भाजपा सांसद, विधायक किसानों की मौत को मजाक बनाकर बलिदानी किसानों व पूरी किसान कौम का अपमान कर रहे है। भाजपाई-संघी किसान आंदोलन में जान गवां चुके किसानों को श्रद्धाजंली देने व मृतक किसानों के प्रति सदभावना दिखाना तो दूर, इन मौत पर क्रूर अठ्ठास करके किसानों के अपार दुख को और बढ़ा रहे है। भारत के इतिहास में भाजपा-संघी सरकार ऐसी सरकार है जो किसान मौत को भी एक मजाक समझ रही है।

विद्रोही ने कहा कि जो पार्टी व नेता दिवंगत किसानों की आत्माओं को भी सम्मान देने को तैयार नही है, वे कितने क्रूर, आमानवीय प्रवृत्ति-सोच के लोग है, इस पर टिप्पणी भी बेमानी है। जो मृतकों का सम्मान नही कर सकते, वे जीवित व संघर्षरत किसानों का क्या सम्मान करेंगे।

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