11 मार्च 2021 – किसानों के समर्थन में कांग्रेस द्वारा हरियाणा भाजपा-जजपा सरकार के विरूद्ध बुधवार को लाये गए अविश्वास प्रस्ताव 32 के मुकाबले 55 मतों से गिरने को स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने भाजपा-जजपा व निर्दलीय विधायकों की किसान विरोधी सोच व कुर्सीे और पैसो के मोह की ताकत की जीत बताया।

विद्रोही ने कहा कि इस अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से यह तो तय हो गया कि भाजपा के सभी 40 विधायक व जजपा के 10 और 6 निर्दलीय विधायकों के लिए किसान हित की बजाय कुर्सी व पैसा ज्यादा प्यारा है। आश्चर्य है कि जो जजपा व निर्दलीय विधायक विधानसभा सदन के बाहर किसान हित में मगरमच्छी आंसू बहाकर हितैषी होने का ढोंग कर रहे थे, वे सभी विधायक सदन में बेनकाब होकर हम दो-हमारे दो की लुटेरी सरकार के पक्ष में खडे नजर आये। जजपा व निर्दलीय विधायकों की यह धोखाधडी, दोगलापन बताता है कि वे कुर्सी व पैसों के कितने लालची है। कांग्रेस के सभी 30 विधायक व दो निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू व सोमबीर सांगवान अपनी बात के धनी निकले और उन्होंनेक किसानों के हित में अविश्वास प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया। 

विद्रोही ने कहा कि अब यह साबित हो गया है कि हरियाणा विधानसभा के मौजूदा 88 विधायकों में केवल 32 विधायक ही ईमानदारी से किसानों के साथ खड़े है जबकि 56 विधायक लुटेरी मोदी-शाह-अडानी-अम्बानी की गुलामी कर रहे है। सवाल उठता है कि जब जजपा व 6 निर्दलीय विधायकों ने किसानों के समर्थन में अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा-जजपा सरकार का साथ देना था तो वे सदन के बाहर किसान हित में मगरमच्छी आंसू बहाकर किसानों को भावनात्मक रूप से क्यों ठग रहे थे?

भाजपा के 40 विधायक तो पहले ही दिन से तीन काले कृषि कानूनों के पक्ष में खड़े थे, उनसे तो किसी हमदर्दी, समर्थन की आशा ही नही थी। पर 10 जजपा व 6 निर्दलीय विधायक किसान हित में मगरमच्छी आंसू बहाकर किसानों को क्यों ठगते रहे? अब हरियाणा के किसानों को तय करना होगा कि किसान वोटों से विधायक बने जजपा व निर्दलीय विधायकों को करारा सबक कैसे सिखाया जाये। विद्रोही ने कहा कि किसान हित में बड़ी-बड़ी बाते करके किसान वोट हडपने वाले धोखेबाज व ठग विधायकों को किसानों ने करारा सबक नही सिखाया तो भविष्य में भी किसान, मजदूर व कमेरे वर्ग के साथ ठगी का यह खेले योहिं चलता रहेगा। अब किसानों को भाजपा-जजपा व 6 निर्दलीय विधायकों से आर-पार की लड़ाई लडनी ही होगी। 

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