– बंगाल में मोदी जी की चुनावी रैली में महिला मुख्यमंत्री की स्कूटी का बैलेंस बिगड़ जाने का मजाक उड़ाते है।– किसी भी विपक्षी नेता ने मोदी के अटल घाट,कानपुर की सीढ़ियों पर लड़खड़ाकर गिरने का मजाक बनाया हो।– यूपी सरकार का महिला सम्मान जग जाहिर है ।– महिलाओं पर जो मुखर हैं, भद्दी, वाहियात, स्तरहीन टिप्पणियाँ करनी बंद नहीं कर देते तब तक महिला दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं। अशोक कुमार कौशिक आज महिला दिवस है। आपको ऐसी महिला से मिलवाते हैं, जो हथियार लेकर खेती करती है। ये हैं बापौली ब्लॉक के गांव गोयला खुर्द की पूर्व सरपंच किरण रावल। महिला होते हुए कभी कमजोर साबित नहीं होने दिया। पति हरि सिंह फौज में रहे हैं। खेतों की रखवाली के लिए किरण बंदूक लेकर चलती हैं। ट्रैक्टर व बाइक भी चलाना जानती हैं। किरण रावल ने बताया कि उसकी आठ बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। सभी बेटियों की शादी हो चुकी है, जिसमें से एक बेटी की शादी के बाद हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। दो बेटियां और बेटा पुलिस में है। मैं कक्षा 10 पास हूं, इसलिए पढ़ाई का महत्व समझती थी। बेटियों का पालन-पोषण भी उसी तरह से किया कि नाम रोशन करें। यमुना नदी के किनारे दो एकड़ भूमि है। उत्तर प्रदेश के गांव टांडा के किसान सीमा विवाद के चलते भूमि पर कब्जा करने के प्रयास में रहते हैं। इसलिए हाथों में बंदूक थामनी पड़ गई। इसी बंदूक से वे ठीकरी पहरा देने वालों की सुरक्षा भी करती हैं। किरण के मुताबिक घर के कामकाज सहित खेतीबाड़ी का काम खुद ही करती हैं। माता-पिता और भाई-बहन की मौत हो चुकी है। मायके की खेती सहित दूसरे कार्य भी खुद संभालती हैं। चौथे नंबर की लडक़ी का नाम रखा भतेरी किरण रावल ने बताया कि चौथे नंबर की बेटी जन्मी तो नाम भतेरी रखा गया। स्वजनों को लड़के की चाहत थी।ईश्वर को कुछ मंजूर था,भतेरी के बाद चार बेटियां और जन्मी। इसके बाद नौवें नंबर पर बेटा पैदा हुआ। बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं समझा। खेलकूद में लेती रही हिस्सा गांव सरपंच बनने के बाद पंचायत विभाग की महिला खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी किरण रावल हिस्सा लेती रही। रेस में वह प्रथम स्थान प्राप्त करती थी। सबसे पहले उन्होंने ही अपनी बेटियों को गांव से बाहर पानीपत भेजा था। डीसी ने दिए थे सोने के सिक्के किरण रावल ने बताया कि सरपंच के पद रहते हुए गांव के सरकारी स्कूल को अपग्र्रेड करवाया ताकि लड़कियों को बाहर पढ़ने न जाना पड़े। बेटियों को शिक्षित बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए। तत्कालीन डीसी एमआर आनंद ने सोने के दो सिक्के देकर सम्मानित किया था। भारत के राजनेताओं और पुरुषों की महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण टीवी देख रहा हूँ। सभी चैनलों पर पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दी चल रहा है। शायद जसोदाबेन ने भी टीवी देख ही ली होगी। कल महिला दिवस पर बंगाल में मोदी जी की चुनावी रैली थी। एक महिला मुख्यमंत्री की स्कूटी का बैलेंस बिगड़ जाने का मजाक उड़ा रहे थे। मुझे याद नही आता कि किसी भी विपक्षी नेता ने मोदी के अटल घाट,कानपुर की सीढ़ियों पर लड़खड़ाकर गिरने का मजाक बनाया हो । गिरावट के इस दौर में मणिशंकर अय्यर प्रासंगिक हो जाते हैं। कल कैबिनेट मंत्राणी स्मृति ईरानी ने भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ट्वीट किया था। उनके पति की पहली पत्नी और उनकी सहेली रही मोना ने वो ट्वीट तो अवश्य देखा होगा । कर्नाटक में बीजेपी की संस्कारी सरकार ने जल मंत्री रमेश जर्किहोली के नौकरी के बदले सैक्स सीडी वायरल होने के वावजूद अभी तक एफआईआर नही दर्ज की है। उल्टे वहाँ के बीजेपी कार्यकर्ता रमेश जर्किहोली के समर्थन में सड़कों पर आगजनी कर बवाल मचाये हुए हैं। यूपी सरकार का महिला सम्मान जग जाहिर है ।चिन्मयानंद टीवी नही देखता,ट्विटर पर नही है इसलिए महिला सम्मान के विषय उनके अमूल्य विचार पता नही चल सके हैं। अभी जल्दी ही माननीय सुप्रीम साहब भी एक रेप पीड़िता की शादी रेपिस्ट से मात्र इसलिए करवाकर महिला सम्मान का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर रहे थे कि उस बलात्कारी की सरकारी नौकरी बची रहे। जब तक, भाजपा को नापसंद करने वाले स्मृति ईरानी पर, कांग्रेस से नफरत करने वाले सोनिया गांधी पर, आम आदमी पार्टी हेटर्स अलका लाम्बा पर, और ये सभी मिल के मायावती, ममता बॅनर्जी, वृन्दा करात, श्रुति सेठ, अंजना ओम कश्यप, स्वरा भास्कर और उन तमाम महिलाओं पर जो मुखर हैं, भद्दी, वाहियात, स्तरहीन टिप्पणियाँ करनी बंद नहीं कर देते तब तक महिला दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं। एशिया कप फाइनल में वो खूबसूरत लडकियां अपनी टीम की प्रशंसक थी महज़, बंटवारे के वक्त छूटा हुआ माल नहीं। अनुष्का शर्मा का विराट कोहली की कमजोर फॉर्म से कोई लेना देना नहीं था। हिना रब्बानी खार पाकिस्तान की एक राजनेता है सेक्स ऑब्जेक्ट नहीं जिसके ऐवज में कश्मीर सौंपने की घोषणाएं की जाए। इतना कमजोर सेन्स ऑफ़ ह्यूमर ले के जीते हम लोग जब आज के दिन महिलाओं को दुर्गा, काली जैसे विशेषणों से नवाजते हैं तो हंसी आती है । भीख़ में मिला एक दिन नहीं चाहिये महिलाओं को । ख़ास तौर से तब जब वो फर्जी प्रतीत हो रहा हो । सम्मान रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में हो तभी प्रभावी है, एक दिन का शोरोगुल सम्मान कम अपमान ज्यादा है। महिला सशक्तिकरण के लिए मुझे शुभ शुभ बोलना देखना चाहिए,लेकिन क्या करूँ दिमाग मे कैमिकल लोचा है इसलिए गुस्से में अक्सर इधर उधर निकल जाता हूँ। मुआफ़ कीजियेगा । दुनिया के लिए होगा आज इंटरनॅशनल विमेंस डे, हम भारतीयों के लिए आठ मार्च है। Post navigation खेड़ा बोर्डर : कृषि कानून के खिलाफ एक और किसान ने निगला जहर ! स्त्री विमर्श का दिन: महिला दिवस