वक़्फ़ के नए कानून उम्मीद को पाँच विपक्षी पार्टियों ने अलग- अलग याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
मुसलमान वक़्फ़ अधिनियम 1923 को भारतीय गज़ट में अधिसूचना जारी कर निरस्त किया गया
केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी कर वक़्फ़ के बदले लाए गए कानून उम्मीद को लागू करने की तारीख बताई जाएगी व नियम बनाए जाएंगे
-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

भारत में एक और महत्वपूर्ण विधायी बदलाव के रूप में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 अब कानून का रूप ले चुका है। यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित होने के पश्चात 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही “यूनिफाइड मैनेजमेंट, एंपावरमेंट, इफीशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद)” नामक कानून के रूप में अस्तित्व में आया। यह अधिनियम भारतीय गज़ट में अधिसूचित कर आम जनता की जानकारी हेतु प्रकाशित भी किया गया है।
विपक्षी दलों की चुनौती
इस कानून के विरुद्ध पाँच प्रमुख विपक्षी दलों ने अलग-अलग याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की हैं। उनका तर्क है कि यह कानून असंवैधानिक है और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। कांग्रेस समेत अन्य दलों ने सरकार से इसे वापस लेने की मांग की थी।
1923 के वक्फ अधिनियम का अंत
नए कानून के अस्तित्व में आने के साथ ही मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को भारतीय गज़ट में अधिसूचना जारी कर निरस्त कर दिया गया है। अब यह स्थान उम्मीद अधिनियम 2025 ने ले लिया है।
अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं

- वक्फ बोर्ड की संरचना: केंद्रीय वक्फ परिषद में अब 22 सदस्य होंगे, जिनमें चार से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं होंगे। इसमें इस्लाम के सभी फिक्हों को प्रतिनिधित्व मिलेगा।
- वक्फ संपत्तियों का नियंत्रण: वक्फ बोर्ड की देखरेख के लिए चैरिटी कमिश्नर की नियुक्ति का प्रस्ताव है, जो संपत्तियों के प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा।
- सामाजिक सुरक्षा प्रावधान: विधवा, तलाकशुदा महिलाएं और अनाथ बच्चों की संपत्तियों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा।
- न्यायिक व्यवस्था: वक्फ विवादों के निपटारे हेतु न्यायाधिकरण को अधिक अधिकार दिए गए हैं। अपील की व्यवस्था भी शामिल है।
- राष्ट्रीय संपत्तियों की सुरक्षा: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत आने वाली संपत्तियों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा।
क्यों लाया गया यह कानून?

सरकार के अनुसार, 2006 में देश में 4.9 लाख वक्फ संपत्तियां थीं, जिनसे मात्र 163 करोड़ रुपये की आय हुई थी। 2013 के संशोधन के बाद भी यह आय केवल तीन करोड़ बढ़ी। आज देश में 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन प्रबंधन कमजोर रहा है। यही इस कानून का आधार बना।
जिला कलेक्टर की भूमिका
नए अधिनियम में जिला कलेक्टर की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगी। वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को लेकर जब मामला कलेक्टर को भेजेगा, तो जांच प्रक्रिया के नियम बनाए जाएंगे। इन नियमों को केंद्र सरकार अधिसूचित करेगी।
नियम निर्माण की प्रक्रिया
कानून पारित होने के बाद, केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर इसे लागू करने की तारीख तय करेगी। इसके लिए नियमों का मसौदा केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय तैयार करेगा। कुछ नियमों के लिए सार्वजनिक परामर्श भी लिया जाएगा, जिसकी अवधि न्यूनतम 30 दिन रखी जाएगी। कानून बनने के छह माह के भीतर सभी नियम प्रकाशित होने की आशा है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के अनुसार, यह कानून कई स्तरों पर वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और पारदर्शिता लाने में सहायक हो सकता है। हालांकि उन्होंने इस पर सवाल उठाया कि “पाँच साल से मुसलमान” की शर्त को कैसे परखा जाएगा, यह स्पष्ट नहीं है।
निष्कर्ष
सारांश रूप में, वक्फ (संशोधन) विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद नया कानून “उम्मीद” अस्तित्व में आ चुका है। यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता, जवाबदेही और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक अहम पहल माना जा रहा है। हालांकि इसके कुछ प्रावधानों को विपक्षी दलों और विशेषज्ञों द्वारा चुनौती दी गई है, फिर भी यह एक ऐतिहासिक और संरचनात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र