भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम की साफ-सफाई का जिम्मा नगर निगम के ऊपर है और नगर निगम आजकल अनेक कार्यक्रम कर रहा है लोगों को सफाई के प्रति जागरूक करने के लिए। अभी हाल ही में सैक्टर-29 में एक बड़ा कार्यक्रम किया। उसका लक्ष्य भी यही बताया गया कि नागरिकों में सफाई के प्रति जागरूकता लानी है।

सफाई कर्मियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं

गुरुग्राम नगर निगम में वर्तमान में लगभग पांच हजार सफाईकर्मी निगम के पे रोल पर होंगे, जो सूचनाएं मिली उनके अनुसार सफाई कर्मियों के पास कूड़ा उठाने के लिए रेहडिय़ां और सफाई में प्रयोग होने वाला सामान नहीं है। और देखा गया है कि बार-बार वह रेहडिय़ों के लिए मांग भी करते रहते हैं तथा धरना-प्रदर्शन भी करते हैं। यदि सफाईकर्मियों के पास सामान ही नहीं होगा तो वह सफाई कैसे कर पाएंगे? इस ओर निगम का ध्यान नहीं जाता।

सफाई कर्मियों के गुरुग्राम में लगभग दौ सौ हाजिरी स्थान हैं लेकिन मजेदारी यह है कि कहीं भी एक कमरा भी नहीं है, जहां वह अपना सामान रख सकें और सुलभ शौचालय भी नहीं हैं। अब आप सोचिए ऐसी अवस्था में गर्मी, सर्दी, बरसात में उन्हें 10-5 मिनट सुस्ताना हो तो कहां सुस्ताएंगे? इसी प्रकार शौचालय मूलभूत सुविधाओं में आता है, उसके लिए भी सफाईकर्मी परेशान रहते हैं। लोगों से प्रार्थना ही करते हैं विशेष रूप से महिला सफाई कर्मी। बरसात में कहीं छज्जों के नीचे रहते हैं।

इसकी मांग सफाईकर्मी लंबे समय से कर रहे हैं। कम से कम गुरुग्राम के निगम को इस मामले में बहुत दूर न जाकर फरीदाबाद नगर निगम का ही अनुसरण कर लेना चाहिए। फरीदाबाद की स्थिति इनसे छुपी होगी, यह भी संभव नहीं।

ज्ञात हुआ है कि कूड़ा उठाने के लिए निगम के पास कोई ट्रैक्टर नहीं है। वह ठेकेदारों से लिए जाते हैं। जानकारी के अनुसार लगभग दौ सौ ट्रैक्टर निगम ने किराये पर ले रखे हैं और उनका किराया 23 हजार रूपए प्रति ट्रैक्टर मासिक दिया जाता है, जिसमें ड्राइवर की सैलरी और ट्रैक्टर पर खर्च ईंधन भी शामिल है।

मैं पाठकों से एक सवाल करना चाहूंगा कि क्या कोई इतने पैसे में एक महीने के लिए ट्रैक्टर लेकर दे सकता है? तात्पर्य यह कि यहां भी काम दौ सौ ट्रैक्टर का है, लगते आधे होंगे और वह भी दिन में तीन चक्कर लगाने की बजाय एक चक्कर में ही काम पूरा कर लेंगे। ऐसी अवस्था में कैसे माना जाए कि निगम सफाई के प्रति सजग है।

हमने इस बारे में माइकल सैनी से पूछा तो उनका कहना था कि इसमें सब लूट ही लूट है। जानें कहां-कहां से निगम का हर व्यक्ति अपनी कमाई का रास्ता ढूंढ रहा है। अभी मैं कुछ कहूंगा नहीं, मैंने आरटीआइ लगा रखी है देखो क्या जवाब आता है।

इसी प्रकार पूर्व बार अध्यक्ष संतोख सिंह से पूछा तो उनका कहना था कि अभी तो हम किसान आंदोलन में लगे हुए हैं लेकिन आपका मुद्दा सही है। क्षेत्र में सफाई का बुरा हाल है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में पहला स्थान तो क्या, पहले सौ में भी नाम आना मुश्किल है।

नगर निगम में मेयर टीम को काम संभाले तीन वर्ष से अधिक बीत चुके हैं। उनका हर पार्षद निगम क्षेत्र में हर जगह विद्यमान है और उसे निगम ने दो-दो आदमी सहायता के लिए भी दे रखे हैं। ऐसी स्थिति में ये चीजें निगम पार्षदों से छुपी हों, संभव लगता नहीं। यही बात मेयर, निगम अधिकारियों और कमिश्नर के लिए भी कही जा सकती है। तो क्यों ये सभी वास्तविक समस्याओं को सुलझाने की बजाय दिखावा करने पर आमादा हैं।

कुछ जनता के आदमियों से बात हुई लेकिन कोई भी अपने नाम से कुछ भी कहने को तैयार नहीं लेकिन उनकी बातों का लबोलबाब यह निकला कि हमाम में सभी नंगे। यही निगम की हालत है।

मंत्रियों और सांसद की भूमिका:

गुरुग्राम की कष्ट निवारण समिति के चेयरमैन मुख्यमंत्री स्वयं हैं और उनका दावा है कि जीरो प्रतिशत भ्रष्टाचार लेकिन वह स्वयं भी यहां भ्रष्टाचार देख गए, कुछ कह भी गए लेकिन हालात जस के तस हैं।स्थानीय निकाय मंत्री गब्बर के रूप में प्रसिद्ध अनिल विज हैं। वह कई बार जांच कराने की बात कह तो गए लेकिन वह जांच कब होगी, यह शायद उन्हें भी नहीं पता।

पिछले दिनों निगम की एक समीक्षा बैठक में वह सम्मिलित हुए थे और उस बैठक में बताया गया था कि 2020 में 155 से अधिक कार्य पास हुए, जिनमें से 18 पूरे हुए और 19 पर काम चल रहा है। इस पर भी गब्बर सिंह अनिल विज ने यह नहीं पूछा कि सौ से अधिक काम पास होने के बाद क्यों नहीं आरंभ हुए। यहां चर्चा है कि गब्बर तो नाम के गब्बर हैं।

बात करें यहां के सांसद राव इंद्रजीत सिंह की। बड़ी आन-बान-शान से पार्टी लाइन से हटकर अपनी मेयर टीम बनाई थी और वह मेयर टीम कितना अच्छा काम कर रही है, यह वह मेयर टीम और अधिकारियों से ही पूछ लेते हैं। कहा जाता है कि राव इंद्रजीत सिंह जमीन से जुड़े व्यक्तियों से जुड़े होते हैं, उन्हें सब समाचार मिलते रहते हैं तो गुरुग्राम नगर निगम की कार्यशैली के बारे में उन्हें न पता हो, यह भी संभव तो नहीं लगता।

आज तो हम केवल सफाई की बात कर रहे हैं और वह भी सफाई कर्मियों की सुविधाओं की, जोकि स्वच्छ शहर की नींव होते हैं। आगे और चलेंगे तथा बताएंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजैक्ट स्वच्छ भारत गुरुग्राम नगर निगम कैसे फलीभूत कर रहा है।

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