भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम – गुरुग्राम नगर निगम में यूं तो भ्रष्टाचार का बोलबाला बताया जाता है परंतु आज हम केवल स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 और सफाई की बात करेंगे।सफाई के लिए नगर निगम के कर्मचारी, ठेकेदारी के कर्मचारी और इकोग्रीन ही मुख्य रूप से कार्य कर रहे हैं। अब नगर निगम के कर्मचारियों की तो बात क्या करें, यदि वे सक्षम होते सफाई के लिए तो सफाई के ठेके देने की आवश्यकता क्यों पड़ती? उनमें कर्मचारी तो काम करते हैं लेकिन उनकी संख्या पर्याप्त नहीं है और उसमें भी कुछ को अधिकारियों के यहां कार्य करना पड़ता है। आमतौर पर देखा जाता है कि वे झंडे लगाए हड़ताल पर बैठे होते हैं। अब बात करें सफाई के ठेकेदारों की तो गुरुग्राम में चार जोन हैं और चारों जोनों के लिए चार अलग-अलग कंपनियों को काम दिए हुए हैं। मेरी याद में 2018 में टेंडर खुले थे और 2019 से इन कंपनियों ने कार्य करना आरंभ किया था। टेंडर एक वर्ष के लिए दिया गया था तो एक वर्ष तो फरवरी 2020 को खत्म हो गया था। उसके बाद अब तक वही कंपनियां काम कर रही हैं। अब पता नहीं किन प्रावधानों के अनुसार उन्हीं को बिना टेंडर हुए काम बढ़ा दिया जाता है। और देखें तो शायद 2020 के अप्रैल-मई में कुछ क्षेत्रों को निगम में मिलाया गया था, जिनमें डीएलएफ, सैक्टर-29 और भी क्षेत्र थे। उन क्षेत्रों के लिए या तो सफाई के लिए अलग-अलग टेंडर निकालकर कार्य किया जाना चाहिए था या फिर जो ठेकेदार कार्यरत थे, उन्हीं को उनके क्षेत्र के साथ लगते हुए क्षेत्रों को मिलाकर बढ़ा देना चाहिए था लेकिन हुआ यह कि एक नए ठेकेदार को इन स्थानों की सफाई का ठेका दे दिया गया। प्रश्न यह है कि सरकार के विभाग नियमों से चलते हैं या अपनी मर्जी से और जहांं नियम तोड़े जाते हैं, वहां भ्रष्टाचार की बू आती ही आती है। वर्तमान में निगम पूरे जोर-शोर से लोगों को यह बताने में जुटा हुआ है कि कूड़ा तीन अलग-अलग डिब्बों में रखें, सफाई का ख्याल रखें। प्रश्न यह है कि वर्षों से यही बात निगम समझाता रहा है। जब वह इतने समय में इनकी कार्यशैली से समझ में नहीं आई तो अब स्वच्छ सर्वेक्षण के नाम पर अभियान चला साफ सडक़ पर फोटो खिंचवाकर क्या वह समझ आ जाएगी। सफाई का सबसे अधिक दारोमदार इकोग्रीन कंपनी पर है। निगम आजतक उनकी गाडिय़ों में न तो जीपीएस लगवा पाया, न ट्रेंड ड्राइवर लगवा सका, न उनका कोई टाइम-टेबल बनवा सका। ऐसे में क्या स्वच्छ सर्वेक्षण का प्रचार कर यह वास्तव में शहर को साफ करना चाहते हैं या केवल वाहवाही लूटना चाहते हैं। Post navigation सरकार सत्ता के नशे में नहीं सुन रही किसानों की आवाज़-चौधरी संतोख सिंह अभियान हिफाजत का महिला कॉलेज, डी.ए.वी. स्कूल भौंडसी में आयोजन