आप भाजपा विरोधी है…तो आप देशविरोधी है ?

–  विकास, एकता, संविधान, रोज़गार, शिक्षा, शांति पर अब कुछ कहने मात्र से ही आप भाजपा विरोधी हो जाते है।
– भाजपा समर्थक वही लोग हैं, जो आँखें बंद कर और कानों को सुन्न कर धार्मिक नफरत की चिलम फूँक रहे हैं।
– हिंदू के जागने का मतलब कमल का बटन दबाना ही है या कुछ और भी?

अशोक कुमार कौशिक

कल एक मित्र ने हमसे कहा कि अगर आप भाजपा विरोधी है तो आप देश विरोधी है। इस प्रश्न का उत्तर उससे बात करने पर जो सवाल मेरे मन मे आये वो आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।  विकास, एकता, संविधान, रोज़गार, शिक्षा, शांति जैसे विषयो पर अब कुछ कहने मात्र से ही आप भाजपा विरोधी हो जाते है।  ना काला धन पकड़ा गया। ना 15 लाख आए। दो करोड़ रोज़गार भी पकौड़े की कढ़ाही में तले जा चुके। महँगाई बढ़ गई। जीडीपी गिर गया। दिल्ली में कानून व्यवस्था लचर हो गई। सरकारी कम्पनियाँ रिकॉर्डतोड़ रफ़्तार पर बेच दी गई। किसानों की बदहाली हो गई। प्रैस फ्रीडम इंडेक्स, डेमोक्रेसी इंडेक्स से लेकर पर्यावरण इंडेक्स में भारत की वरीयता नीचे गिरती जा रही है। जातिवाद बढ़ रहा है। धार्मिक नफरत बढ़ रही है। अगर गाय के मूत्र और गोबर से कोरोना वायरस से बचाव होने की बात का अगर आपने विरोध कर दिया, तो आप भाजपा नेता के बयान के विरुद्ध हो गए, और इसलिए भाजपा-विरोधी हो गए।

आपके द्वारा कही गयी किसी एक बात से आपको भाजपा विरोधी, देश विरोधी और न जाने किस किस शब्दो से जोड़कर देखा जाता है। कुछ साल पहले तक “भारतीय एकता ज़िंदाबाद”  इंकलाब जिंदाबाद जैसे नारे देशभक्ति का नारा हुआ करते थे वही अब ये भाजपा-विरोधी नारा हो गये है। आप कहीं पर बोल दो कि “भारतीय संविधान ज़िंदाबाद”, और यह काफी है आपको भाजपा-विरोधी का तमगा मिलने के लिए। बाकी सब छोड़ो यार, अब तो “इंसानियत ज़िंदाबाद” कहने पर भी लोग समझ जाते हैं कि आप भाजपा विरोधी है ।आपने देश में शिक्षा, रोज़गार, अर्थव्यवस्था की बात कर दी, तो आपको भाजपा विरोधी देश विरोधी घोषित कर दिया जाएगा । कोई न्यायधीश (जस्टिस मुरलीधर)कानून के प्रति निष्ठावान रहकर कहता है कि दिल्ली हिंसा में जिन नेताओं के भड़काऊ भाषण की भूमिका थी, उन पर कार्यवाही हो, तो वह न्यायधीश भाजपा-विरोधी हो जाता है। रातों-रात ट्रांसफर के ऑर्डर बन जाते हैं।

द वायर और अभिसार शर्मा तो फिर भी थोड़ा “मोदी ये, मोदी वो” करते रहते हैं। झूठ तो नहीं, लेकिन कुछ ज़्यादा ही गर्मजोशी वाली बयानबाज़ी कर देते हैं, लेकिन रविश कुमार ने क्या कर दिया? कहीं बीएसएनएल के कर्मचारियों को ज़बरदस्ती रिटायर कर देने की खबर दिखा रहे हैं। कभी सीआरपीएफ के जवानों का प्रदर्शन दिखा रहे हैं। कभी दिल्ली नगर निगम के अध्यापकों को तीन महीने से तंख्वाह नहीं मिलने की खबर को कवर कर रहे हैं। कभी एसएससी के अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन दिखा रहे हैं। कभी देहरादून के आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्रों को पुलिस द्वारा लाठियों से पीटे जाने को कवर कर रहे हैं,कभी किसानों की मार्च दिखा रहे हैं। कहीं जेएनयू की फीस वृद्धि की सच्चाई बता रहे हैं। कहीं नजफगढ़ में किसी लाइब्रेरी के लिए डिमांड की खबर दिखा रहे हैं। “आम लोगों के दर्द को आवाज़ देने के लिए” उन्हें रेमन मैगसेसे पुरस्कार मिल गया, लेकिन भारत में रविश कुमार और रेमन मैगससे पुरस्कार दोनों ही भाजपा विरोधी हो गए। पता नहीं कहाँ से लोग उनकी वीडियो की क्लिप काटकर, इधर-उधर से जोड़कर तो कभी कुछ फोटोशॉप कर कुछ का कुछ चलाते रहते हैं।

नोबेल प्राइज़ विजेता अभिजीत बनर्जी तो भाजपा सरकार के साथ काम कर चुके हैं, लेकिन जैसे ही उन्होंने अर्थव्यवस्था पर चिंता ज़ाहिर की, वे भी भाजपा-विरोधी हो गए। कितने भाजपा नेता उनके पीछे पड़ गए, और क्या क्या कहने लगे। नोबेल प्राइज भी भाजपा-विरोधी हो गया। रघुराम राजन तो कब के भाजपा-विरोधी हो ही चुके थे। अमेज़न के प्रमुख जेफ़ बेज़ोस राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की मूर्ति के आगे नतमस्तक हुए, तो वे भाजपा विरोधी हो गए। माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख ने यह कह दिया कि मेरे साथ अमेरिका में भेदभाव नहीं हुआ, और हैदराबाद में हमने दिवाली और ईद इकट्ठे मनाई है, तो वे भी भाजपा विरोधी हो गए।

टाइम पत्रिका पर प्रधानसेवक की फोटो छपने का खूब जश्न मनाया गया था, लेकिन कुछ सालों में वह भी भाजपा विरोधी हो गई। न्यू यॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट भी भाजपा-विरोधी घोषित किए जा चुके हैं। 2014 के चुनाव तक भाजपा का समर्थन एक “विचार” था। आपका व्यक्तिगत राजनैतिक विचार। आप कह सकते थे कि मोदी जी का गोधरा दंगों में कोई हाथ नहीं था। कोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट दी है। मैं भाजपा का समर्थन करता हूँ, क्योंकि मैं यूनिफॉर्म सिविल कोड चाहता हूँ। आर्टिकल 370 को निरस्त होते हुए देखना चाहता हूँ। मैं काले धन को बंद होते हुए देखना चाहता हूँ। मैं देश में विकास चाहता हूँ। लेकिन अब तो विकास ही भाजपा-विरोधी हो गया है। विकास की बात करते ही भाजपा-समर्थक आप पर टूट पड़ेंगे अपने अजीबोगरीब कुतर्कों के साथ। लेकिन भाजपा तो अब खुद अपनी सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली, कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे जैसे हाईवे बनवाने वाली, या उज्जवला योजना जैसी खूबियों की बात नहीं करती चुनावी कैंपेन में। ज़्यादातर भाजपा समर्थकों को इन सबके बारे में पता भी नहीं है। क्योंकि इनके बारे में पता होने का मतलब होगा कि आपको गिरती हुई अर्थव्यवस्था, बढ़ती हुई बेरोज़गारी, कॉलेजों की फीस वृद्धि, बढ़ते हुए आतंकवाद, फ्लॉप हो गई नोटबंदी और जीएसटी के बारे में भी पता होगा। यह सब पता हुआ तो आप भाजपा समर्थक कैसे रह पाएँगे।

अब तो भाजपा अपनी चुनिंदा उपलब्धियों के बजाए खुले में “संयोग-प्रयोग”, “हिंदू-मुस्लिम” कर रही है। भाजपा के नेता भड़काऊ बयान दे रहे हैं। संसद को भाजपा सहित सभी पार्टियों के मुजरिमों और जुर्म-आरोपियों से गंगा की तरह साफ़ कर देने वाले मोदी हमेशा की तरह मौन हैं। किसी को पार्टी से निकालना तो छोड़ ही दो। गंगा की सफाई की डिमांड करते हुए प्रोफेसर जी डी अग्रवाल 118 दिन के अनशन के बाद और प्रधानमंत्री कार्यालय को तीन चिट्ठी लिखने के बाद शहीद हो गए।अगले दिन प्रधानसेवक ने उन्हें ट्विटर पर श्रद्धांजलि दे दी। जिस गंगा की तरह संसद को साफ़ करने की बात हुई थी, ना तो गंगा साफ़ हुई, और संसद में मुजरिम भी बहुत ज़्यादा बढ़ गए।

भाजपा का आईटी सैल बेशर्मी से हर रोज़ झूठ और अफवाह फैला रहा है। ऑल्ट न्यूज़ हर रोज़ उनके झूठों को पकड़ता है, लेकिन शर्म जैसी छोटी-मोटी चीज़ों से भाजपा आईटी सैल का कोई वास्ता नहीं है। उनका मानना है कि जितने लोगों को ऑल्ट न्यूज़ से सच पता चल जाए, तो चल जाए। झूठ तो लाखों लोगों में पहुँचा ही दिया। एक बार तो प्रतीक सिन्हा जी को भाजपा आईटी सैल का डॉक्यूमेंट मिल गया। उन्होंने ‘थ्री इडियट्स’ के रणछोड़ दास चांचड़ की तरह डॉक्यूमेंट में कुछ शब्द बदल दिए, और देखते ही देखते भाजपा नेता और भाजपा समर्थक भाजपा के खिलाफ ट्वीट करते हुए दिखे।भाजपा आईटी सैल का ध्रुव सक्सेना तो पाकिस्तान के लिए भारत की जासूसी करते हुए पकड़ा गया। दस और लोगों के साथ। अच्छी बात है कि भाजपा ने उससे संबंध होने की बात को नकार दिया, वर्ना “किसी भारतीय के पाकिस्तान के लिए जासूसी करने” का विरोध करने पर भी आप भाजपा विरोधी बन जाते। वैसे अभी आतंकवादियों के साथ पकड़े गए डीएसपी दविंदर सिंह की आलोचना करना भी भाजपा विरोधी हो चुका है। दविंदर सिंह अगर आतंकवादियों के साथ पकड़ा गया, तो इसमें भाजपा की क्या गलती है यार? वैसे जाने क्यों दिन-रात आतंक-आतंक चिल्लाने वाले भाजपाई भी इस पर बिल्कुल चुप हैं।

मालेगाँव ब्लास्ट के आतंकी विस्फोट की आरोपी और भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर जब शहीद अफसर हेमंत करकरे के बारे में बकवास करने लगी, तो भारतीय सेना और शहीदों की बात करने वाले हेमंत करकरे के बारे में अनाप-शनाप फैलाने लगे। हेमंत करकरे भी भाजपा विरोधी हो गए। पुलवामा शहीद बबलू संतरा की पत्नी मीता संतरा ने युद्ध जैसी चीज़ पर शोक जता दिया, तो उन्हें भाजपा के ट्रोल्स द्वारा तंग किया जाने लगा। कारगिल के शहीद की बेटी गुरमेहर कौर ने भारत पाकिस्तान के बीच शांति की इच्छा कर दी, तो वे भाजपा के ट्रोल्स के निशाने पर आ गईं।

जिन्हें यह सब नहीं दिखता, मुझे तो वे भाजपा समर्थक वही लोग दिखते हैं, जो आँखें बंद कर और कानों को सुन्न कर धार्मिक नफरत की चिलम फूँक रहे हैं। वे यह तो कह रहे हैं कि जागो हिंदू जागो। लेकिन कोई यह नहीं बताता कि जागकर करना क्या है। हिंदू के जागने का मतलब कमल का बटन दबाना ही है या कुछ और भी?

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