-कमलेश भारतीय जी हां । गुलाम नवी आजाद काम पे लग गये हैं । जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत भावुक होकर गुलाम नवी को राज्यसभा से विदाई देते कहा था कि आजाद मेरे मित्र है, उनकी सेवाओं का सम्मान किया जायेगा और वे खाली नहीं रहेंगे । लीजिए । प्रधानमंत्री ने उन्हें अपने वादे के अनुसार काम दे दिया -कांग्रेस को कमज़ोर करने का, जी 23 के बैनर तले । खाली नहीं बैठे गुलाम नवी। तुरंत काम पे लग गये और जम्मू में शोर मचा दिया कि कांग्रेस कमजोर होती जा रही है । इसलिए हम केसरिया पहनने जा रहे हैं जो धीरे धीरे भगवे में बदल जाएगा । है न बढ़िया काम मिला और कितनी तेज़ी से अंजाम दिया । वाह । क्या कर्ज उतार रहे हैं , अपनी उस पार्टी का जिसने न जाने कितने पद और सम्मान दिये । यही राजनीति का आज का सच है । कैसे काम पे लग गये । इस पर विरोध भी शुरू हुआ है । रोहतक के कृष्ण मूर्ति हुड्डा ने कांग्रेस हाई कमान को इन 23 नेताओं पर कार्यवाही की मांग की है । आखिर यह बगावत नहीं तो क्या कही जाये ? राज बब्बर इसे गांधी 23 कब रहे हैं । गांधी ने क्या ये रास्ते सुझाये थे ? असहमति को विरोध न मानिए । आप असहमत हैं तो पार्टी के अंदर अपनी बात रखिए न कि बाहर जाकर अपने बयान दीजिए । पार्टी आपकी है और आप ही इसे कमजोर करने पर तुले हो । वैसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब राजग गठबंधन से नाता तोड़ने का फैसला किया था तब एक पेंटिंग एग्जीविशन मे कमल का फूल बनाया था । ऐसे ही गुलाम नवी ने केसरिया रंग की पगड़ियां पहना कर कोई संकेत तो नहीं किया? अमित शाह ने वंशवाद को कांग्रेस के कमजोर होने का कारण बताया है । जय शाह कैसे क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के शीर्ष पर पहुंच गये ? क्या बड़े क्रिकेट सितारे थे ? नहीं । वे आपकी आंखों के तारे हैं । राजनाथ सिंह के बेटे विधायक हैं । प्रमोद महाजन की बेटी भी राजनीति में हैं । पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर सांसद हैं कि नहीं ? गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा कहां से आई ? सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी भी किसी दिन राजनीति में कदम रखेगी । चौ वीरेंद्र सिंह ने अपनी विरासत किसी कार्यकर्त्ता को नहीं अपने आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को ही सौंपी । राव इंद्रजीत अपनी बेटी आरती राव को राजनीति मे उतारने के अवसर ढूंढ रहे हैं । कितने उदाहरण चाहिएं पर इन्हें तो जनता की मांग पर राजनीति में उतारा गया न । ये तो बहुत लोकप्रिय सितारे हैं । राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने के लिए ऐसे ही पोस्टर लगे थे । पर यह वंशवाद है । आपकी संतानें खुद के दम पर आईं हैं । फर्क है अलबत्ता । बहुत फर्क है । दूसरी पार्टी के लोगों को काम पर लगाने का हुनर आपमें ही है । सचिन पायलट की भी काम पर लगाया था । सफलता नहीं मिली तो आपने ऐसे पल्ला झाड़ लिया जैसे पहचानते नहीं । जानते तक नहीं । मानेसर के होटल की मेहमानबाजी कौन कर रहा था ? मध्यप्रदेश में वंशवाद को ही बढ़ावा दिया । ज्योतिरादित्य कौन हैं ? अरे नहीं , उनकी तो दादी हमारी पार्टी में थीं और बुआ भी हमारे साथ है । यह वंशवाद कैसे हुआ ,? न भाई । इतना बड़ा इल्जाम? हम न सहेंगे ये झूठी बातें । बताओ न जनता को कि ये कौन हैं? नहीं । हम तो वंशवाद से अपनी पार्टी को कमजोर न होने देंगे । यार । क्या ले बैठे ? यह राजनीति है और यहां सब जायज है । आप समय बर्बाद न करो इन बातों पर । यह आम बात है । होता रहता है बड़ी बड़ी पार्टियों में । Post navigation आप भाजपा विरोधी है…तो आप देशविरोधी है ? भारतीय सांकेतिक भाषा शिविर संपन्न