गुरुग्राम, दिनांक 23 फरवरी 2021- आज श्री राधा कृष्ण मंदिर, सेक्टर 23A कार्टरपुरी, गुरुग्राम श्री राम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान का विशेष कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के संरक्षक पूजनीय रवि पुरी महाराज बाबा प्रकाश पुरी आश्रम गुरुग्राम, मुख्यअतिथि के रुप में माननीय इंद्रेश कुमार जी अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विशिष्ट अतिथि के रुप में माननीय विजय जी प्रांत प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा एवं माननीय अशोक चौरसिया जी राष्ट्रीय अध्यक्ष नेपाली संस्कृति परिषद तथा इस कार्यक्रम में सानिध्य प्राप्त हुआ लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर जे.बी.एस यादव जी का। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमान धर्मपाल यादव जी समाजसेवी

इस कार्यक्रम में काफी बड़ी संख्या में लोगों का आगमन हुआ और उन्होंने मुख्य वक्ता की बातों को बड़े ही धैर्य से सुना तथा इस विशेष निधि संग्रह कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर अपना योगदान भी दिया।
“सबके राम हैं और सब में हैं राम।” से आरभ करते हुए माननीय इंद्रेश जी अपने वक्तव्य में रामजी की महिमा रामजीवन में कितने महत्वपूर्ण  करना है तो राम की समर्पण और त्याग और सभी जीवो से लगाओ को भी अपने जीवन में लाना होगा।

उन्होंने कहा की जो मां का नहीं और मातृभूमि का नहीं, वह दुनिया में किसी का भी नहीं। मां जन्म देती है और मातृभूमि उसका पालन पोषण करती है। अगर धरती माता ना हो तो हम में से कोई जन्म नहीं ले सकता। धरती मां का सम्मान नहीं तो किसी के पास ना कोई अन्न है, ना जल है। भारत माता आधार देती है। अपना अन्न भी देती है। वायु भी देती है। और जल भी देती है। धरती नहीं है तो सब ठन ठन गोपाल हैं।

जब बेटी पैदा होती है तो घरवाले कहते हैं लक्ष्मी आई है जब बेटी ब्याह कर दूसरे घर जाती है तो कहते हैं भाग्यलक्ष्मी आई है यह हमारी सनातन धर्म की परंपरा थी कहां से यह कुचलन और अधर्म पैदा हो गया कि बेटियां बोझ हो गई। हम उस भारतीय परंपरा के हैं जहां पर जब नारी का हरण हुआ तो हरण करने वाले का सर्वनाश कर कर वापस अपनी मर्यादा को हम लेकर आए।

जब हमारी स्त्री का चीर हरण हुआ तो महाभारत सजाया था। भारतवासियों को भारतवर्ष की परंपरा को भूलना नहीं। जहां नारी का सम्मान नहीं वहां पर राक्षस दुराचारी बसते हैं।

प्रभु राम जब वन-वन में भटक रहे थे तो उन्होंने शबरी के पास आकर के उसके झूठे बेर और उसका आदर सत्कार को ग्रहण किया था, उन्होंने यह नहीं सोचा था यह मलीन गरीब महिला के जूठे बेर में खा रहा हूं कुछ बेर खाने से और राम बने मर्यादा पुरुषोत्तम राम बने वह मंत्रों में है जीवन में है और संसार के कण-कण में बस गए। माननीय इंद्रेश जी  ने अपने वक्तव्य में सभी श्रोता जन और आए हुए राम भक्तों को राम के साथ जीवन जीने के लिए कुछ संकल्प कराएं और कहा अगर आप राम के नारों को अपने जीवन में उतारना चाहते हैं तो इन संकल्पों का दृढ़ता से पालन करना होगा उनके संकल्पों में बुद्धि और शरीर में से छुआछूत को अपने जीवन से दूर करना, अपने आसपास गली मोहल्ला में रहने वालों की चिंता करना आसपास का कोई भी व्यक्ति भूखा पेट ना सोए और बिना कपड़ों के ना रहे उसके लिए चिंता करना तथा उसकी व्यवस्था करना। जीवन में जल और भोजन का निरादर नहीं करना है। अगर जीवन में इन चीजों का पालन किया तो राम राज्य आ जाएगा।

कार्यक्रम की इसी श्रृंखला में माननीय प्रांत प्रचारक विजय जी ने अपने वक्तव्य में इस अभियान के संकल्प को समझाने का प्रयास किया कि यह संकल्प राम से जोड़ने वाला है राम से जुड़ने वाला है और हर एक व्यक्ति समाज को इस राम मंदिर से जुड़ना है हम हर उस के पास जाएंगे क्यों राम से जुड़ना चाहता है। जिस प्रकार श्रीराम ने रास्ते में सबका सहयोग लेकर उनमें  नल-नील जामवंत, हनुमान, अंगद, सुग्रीव, निषाद, राज, जटायु आदि और रावण का अंत किया था। उसी प्रकार हम सभी मिलकर मंदिर से राष्ट्र निर्माण करेंगे। विजय जी ने कहा कि जैसा की माननीय इंद्रेश जी ने संकल्प के संकल्पों के द्वारा  कुरीतियों को अपने से दूर करने का वचन लिए तथा अपनी चिंता के साथ-साथ समाज की भी चिंता करनी है का संकल्प कराया, अगर उसका  पालन हम सभी करेंगे तो समाज में रामराज्य की स्थापना होगी। यह समय समय बड़ा अद्भुत है जिस प्रकार राम जी के सहयोग में जो जो लोग उनके जीवन में आए उन्होंने पहले कोई संकल्प किया था कि जब भी राम आएंगे तो हमें उनकी सेवा में आना है उसी प्रकार हम सब भी आज राम काज में लगे हैं तो यह हमारा पुण्य भाग गए कि हम राम काज में लगे हुए। उन्होंने कहा “जब राम वन- वन बन गए, तो वह राम बन गए। तभी श्रीराम भगवान बन गए।” इसी प्रकार “हम भी घर-घर जाएंगे और भवसागर तर जाएंगे” अभियान में सभी रामभक्तो सेवक से अपनी पूरी श्रद्धा के साथ जान फूंकने के लिए आवाहन किया।

इस कार्यक्रम में मंच संचालन श्रीमान अशोक दिवाकर जी ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप समाजसेवी यादव जी, हरीश शर्मा जी, जगदीश ग्रोवर जी, महावीर भरद्वाज जी, अजीत सिंह जी,  ब्रह्मप्रकाश कौशिक जी, महेश सारवान, अतरचंद्र जी, अमित शर्मा जी संजीव जी, अमन जी, एवं अनुराग कुलश्रेष्ठ जी उपस्थित रहे।

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