-कमलेश भारतीय लीजिए मित्रो आखिरकार जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव और विश्वासमत लेने से पहले ही पुडुचेरी की नारायण सामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार औंधे मुंह गिर गयी । आओ जश्न मनायें । जैसे हमने मध्य प्रदेश की सरकार के गिरने पर मनाया था । कमलनाथ भी विश्वासमत लेने से पहले ही भाजपा और अपने ही महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के आगे ढेर हो गये थे । जश्न तब भी मना था । राजस्थान में सचिन पायलट के माध्यम से कांग्रेस सरकार गिराने में भाजपा के चाणक्य को सफलता नहीं मिली जिसकी टीस अभी बाकी है । पश्चिम बंगाल के चुनाव के बाद इस टीस और कांटे को निकालने की कोशिश कर सकते हैं । इसीलिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पुडुचेरी की सरकार गिराये जाने पर सबसे ज्यादा मुखर हैं और इनकी कड़ी आलोचना करते कह रहे हैं कि सत्ता के लिए भाजपा किसी भी हद तक जा सकती है । भाजपा ने पुडुचेरी की सरकार गिराने के लिए अनैतिक तरीके अपनाए और यह भी कि कहा कि भाजपा अपने तौर तरीकों से लोकतंत्र को खत्म करने पर तुली है । पहले वहां किरण बेदी के माध्यम से शासन चलाने की कोशिश की गयी । वे चुनी हुई सरकार के कामों में परेशानियां पैदा करती रहीं । अब धन-बल से सरकार गिरा दी । अब क्या कहें कि यह लोकतंत्र की मंडी सब राज्यों में फैलती जा रही है और जनता मार्केट की सस्ती चीजों की तरह विधायक बिकाऊ हैं विधायक । बिके और सरकार गिरी । यह बात गलत हत्थकंडे से सरकार को गिराना का फाॅर्मूला हर राज्य में फिट किया जा रहा है । आजमाया जा रहा है । कर्नाटक में भी फिट और हिट रहा । महाराष्ट्र में थोड़ी जल्दबाजी में निशाना चूक गये नहीं तो वहां भी जश्न मनाने का मौसम बन गया था । चुपके चुपके आधी रात को शपथ तो दिला ही दी थी । कमी तो नहीं छोड़ी थी लेकिन वहां पंवार जैसे चाणक्य से मुकाबला था । मणिपुर का दलबदल तो इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा । जहां मात्र दो सदस्यों के बल पर कांग्रेस को सत्ता में आने से रोक दिया था । वाह । कमाल । जश्न मनाओ इन तौर तरीकों पर । बेशक अपने समय में राज्यपाल के माध्यम से एन टी रामाराव की सरकार गिराने की कोशिश का काला अध्याय कांग्रेस के नाम दर्ज है । हरियाणा में चौ देवीलाल को इसीलिए राज्यपाल तपासे को ठुड्ढी पकड़नी पड़ी जब संविधान की धज्जियां उड़ते देख न पाये । कांग्रेस के चौ भजन लाल के नाम पूरी सरकार का दल बदल का कीर्तिमान दर्ज है जो थोक दलबदल का अनुपम उदाहरण है । झारखंड में पहली बार सूटकेस से सरकार खरीदने का बड़ा कीर्तिमान भी हमारे ही प्रदेश के नेता के नाम है । चुनाव के एकदम बाद निर्दलीय विधायकों पर नज़र रखने में भी हमें कमाल हासिल है । बेशक बाद में संख्या बल पूरी हो जाने पर नैतिकता के नाम पर गोपाल कांडा का समर्थन नहीं लिया हो । पर जब सासंद सुनीता दुग्गल हंस हंस कर चौ रणजीत चौटाला व गोपाल कांडा को हेलीकाप्टर से दिल्ली ले जा रही थीं तब कोई विरोध क्यों नहीं किया ? उन्हें क्या दिल्ली की सैर करवाने ले गये थे हेलीकाप्टर में ? तो मित्रो । आज फिर जश्न मनाने का दिन है पुडुचेरी की कांग्रेस सरकार के गिरने पर और वहां लगेगा राष्ट्रपति शासन ताकि विधानसभा चुनाव में पूरा दबाब बनाया जा सके । तो आइए संविधान और मर्यादा को एक बार फिर दफन कर आएं । जय बोलो बिकाऊ विधायकों की । Post navigation लोकतंत्र और प्रचंड बहुमत , मज़बूत सरकार का नेता अगर तानाशाह हो जाए तो वो किसी की नहीं सुनता स्वतंत्रता के अधिकार और जांच के अधिकार के बीच एक संतुलन ?