पुत्र राव इंद्रजीत के राजनीतिक गढ़ पटौदी में राव विरेंद्र को भूले समर्थक.
संयुक्त पंजाब, हरियाणा, केंद्र की राजनीति में चलता था राव का दाव.
राव पिता और पुत्र को राजनीतिक आका मानने वाले जयंती पर भूले
फतह सिंह उजाला


हरियाणा की राजनीति में पहले महेंद्रगढ़ और अब गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र के पटौदी हलके को रामपुरा हाउस अर्थात राव परिवार को अभेद्य राजनीतिक गढ़ माना जाता है। मौजूदा समय में केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह हो या फिर अतीत में उनके पिता स्व राव बिरेंद्र सिंह के समय का चुनावी दौर, पटौदी की जनता व इनके समर्थकों ने आजतक निराश नहीं किया। लेकिन हैरानी की बात है कि अहीरबहुल हलके में पटौदी ने ही अपने इलाके के पहले एमएलए और इसके साथ ही अहीरवाल से बने हरियाणा के पहले सीएम राव विरेंद्र सिंह को उनके देहांत के बाद 100वीं जयंती पर याद करने की जरूरत तक नहीं समझी। सीधे सरल शब्दों में ‘पटौदी के’ एमएलए और अहीरवाल के पहले ‘सीएम बेगाने’ हो गए।

राव विरेंद्र सिंह 24 मार्च 1967 से 2 नवंबर 1967 तक हरियाणा के सीएम, अहीरवाल से पहले और आखिरी सीएम बनने वाले एकमात्र नेता रहे हैं। सीएम बनने से पहले राव विरेंद्र सिंह ने अपनी विशाल हरियाणा पार्टी से ही पटौदी हलके से चुनाव लड़ा और जीता भी था। यह बात भी किसी से छिपी नहीं कि राव विरेंद्र सिंह की अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन में संयुक्त पंजाब, हरियाणा, केंद्र व उसके बाद आज भी राजनीति में स्व. राव बिरेंद्र सिंह और उपके नाम की तूती बोलती रही है । हरियाणा को अहीरवाल के पटौदी से पहला सीएम देने के बावजूद, रामपुरा हाउस भक्त, राजा राव विरेंद्र सिंह सहित अब राव इंद्रजीत सिंह के जयकारे लगाने वालों ने ‘हरियाणा को अहीरवाल का पहला सीएम देने वाले अभेेद्य राजनीतिक गढ़ पटौदी में ही बिसरा दिया’। हरियाणा का सीएम बनने व इस पद से हटने के बाद राव विरेंद्र सिंह केंद्र की राजनीति में एक प्रकार से चाणक्य की भूमिका में सक्रिय रहे। सबसे दबंग पीएम कहलाई स्व इंदिरा गांधी भी राव की राजनीतिक कूटनीति की मुरीद थी।
हरियाणा के अहीरवाल व पटौदी से हरियाणा को पहले सीएम देने वाले राव परिवार के राजनीतिक गढ़ पटौदी में ही राव बिरेंद्र सिंह की जयंती पर यहां पूर्व विधायक बिमला चैधरी सहित हजारों की संख्या में समर्थक होने के दावेदारों ने राजा राव बिरेंद्र सिंह की जयंती मनाने सहित उनकी याद में दो फूल अर्पित किए जाने तक को तवज्जो नहीं दी।
रामपुरा हाउस, राव परिवार समर्थक इस बात से भी हैरान है कि, अब केंद्र में राव इंद्रजीत सिंह बीते 15 वर्षो से मंत्री है, पटौदी क्षेत्र के ही दो गांवों को बतौर सांसद गोद ले, विकास कार्य कराए गए हैं। ऐसे में कम से कम अहीरवाल से हरियाणा को पहला सीएम देने वाले इलाके पटौदी में, हरियाणा के अहीरवाल के पहले सीएम राव विरेंद्र सिंह के नाम पर कोई न कोई संस्थना, भवन, सड़क, स्टेडियम, का नामकरण राव इंद्रजीत सिंह को अपने पिता के अमरत्व की निशानी के रूप में रखे जाने पर गंभीरता से मंथन करते हुए तत्काल पहल सहित अमल भी करना चाहिए। हरियाणा में सीएम रहने वाले पंडित भगवत दयाल, बंसीलाल, चैधरी देवी लाल के नाम से आज कोई न कोई संस्थान मौजूद है। लेकिन यह राजनीतिक विडंबना से भी कम नहीं कि हरियाणा को अहिरवाल से पहला सीएम देने वाले स्व. राव बिरेंद्र सिंह और उनके केंद्र में लंबे समय से मंत्री पद पर बैठे पुत्र राव इंद्रजीत सिंह के रातनीतिक गढ़ में अहीरवाल के पहले सीएम स्व. राव बिरेंद्र सिंह के नामकरण का कोई एक संस्थान तक भी नही बन अथवा बनवाया जा सका है।