बैंक स्क्वायर के सामने किया विरोध प्रदर्शन

रमेश गोयत

चंडीगढ़/पंचकूला। यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर, बैंक कर्मचारी और अधिकारियों की 9 ट्रेड यूनियनों की शीर्ष संस्था ने स्टेट बैंक आॅफ इंडिया, मेन ब्रांच, बैंक स्क्वायर, सेक्टर 17 के सामने गुरूवार को दोपहर में प्रदर्शन किया गया। बजट भाषण में वित्त मंत्री द्वारा घोषित 2 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और 1 सामान्य बीमा कंपनी की बिक्री के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। फोरम से जुड़े 500 से अधिक सदस्यों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन में भाग लिया।

बड़ी संख्या में महिला सदस्यों सहित प्रतिभागियों द्वारा जोरदार नारेबाजी से सरकार के कदम के खिलाफ सदस्यों का गुस्सा दिखाया गया। यूएफबीयू के विभिन्न घटकों में संजीव बिंदलिश, दीपक शर्मा, जगदीश राय, बीएस गिल और अन्य नेताओं ने अपने विचार साझा किए। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने देश की अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दिया, किसानों और छोटे उद्योगों को सार्वजनिक उपक्रमों ने संस्थागत ऋण के रूप में बड़ी मदद की। दुर्भाग्य से सरकार की उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण (एलपीजी) की नीति के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के उपकर्म धीरे-धीरे समाप्त किये जा रहे है। एक स्वर में सभी का मत था कि सभी को सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों की रक्षा के लिए इन विधानों का पूर्ण और एकजुट रूप से विरोध करना चाहिए।

बैंक और बीमा कंपनियां लोगों के पैसे का प्रबंधन करती हैं। उन्हें निजीकृत करने का मतलब है लोगों के पैसे को निजी निहित स्वार्थों के हवाले करना। बैंकों में ख़राब ण और एनपीए, कॉरपोरेट डिफाल्टरों की वजह से साल दर साल बढ़ रहे हैं। सरकार उन पर सख्त कार्रवाई करने के बजाय, इन खराब ऋणों को बैंकों के बैलेंस शीट से एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी या बैड बैंक में भेजकर बैलेंस शीट से हटाना चाहती है। इससे केवल कॉर्पोरेट डिफॉल्टर्स को फायदा होगा और सभी खराब ऋणों को चुपचाप माफ कर दिया जा रहा है। बैंकों के निजीकरण के कारण देश की प्रगति पर विपरीत असर पड़ेगा, जो दुर्भाग्यवश राष्टÑीय हित के लिए प्रतिगामी होगा।

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