भारत और थाईलैंड के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के नए स्तर तक ले जाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम

दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की निष्क्रियता, अमेरिका चीन में मची खींचतान, बांग्लादेश चीन संबंधों के बीच भारत के लिए बिम्सटेक अति महत्वपूर्ण

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

प्रस्तावना: क्षेत्रीय समीकरणों में बिम्सटेक का उभार

दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की निष्क्रियता, अमेरिका-चीन के बीच तनाव और बांग्लादेश-चीन के बढ़ते समीकरणों के बीच भारत के लिए बिम्सटेक (BIMSTEC) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भारत का छठवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में थाईलैंड दौरा बेहद अहम रहा।

बिम्सटेक क्यों है भारत के लिए महत्वपूर्ण?

चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति
बंगाल की खाड़ी में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनज़र, भारत बिम्सटेक के माध्यम से इस क्षेत्र में संतुलन कायम करना चाहता है।

सार्क की निष्क्रियता का विकल्प
पाकिस्तान की असहयोगात्मक नीतियों के चलते सार्क निष्क्रिय हो चुका है। ऐसे में बिम्सटेक एक व्यवहारिक और सशक्त विकल्प बनकर उभरा है।

श्रीलंका-बांग्लादेश के साथ समीकरण सुधारने का मंच
बिम्सटेक भारत को इन देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंध मजबूत करने का मंच प्रदान करता है।

व्यापार और निवेश को बढ़ावा
भारत बिम्सटेक को व्यापार, तकनीक और कनेक्टिविटी का अहम साधन मानता है, जिससे सीमापार व्यापार और आर्थिक विकास को गति मिलती है।

भारत-थाईलैंड संबंध: रणनीतिक साझेदारी की नई ऊंचाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और थाई प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता में दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा, डिजिटल टेक्नोलॉजी, जैव-प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप्स और फिनटेक जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। कुछ प्रमुख समझौते इस प्रकार हैं:

डिजिटल टेक्नोलॉजी सहयोग हेतु भारत और थाईलैंड के मंत्रालयों के बीच एमओयू।

गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के विकास हेतु सांस्कृतिक समझौता।

एमएसएमई, हथकरघा, हस्तशिल्प एवं पर्यटन क्षेत्र में आपसी सहयोग।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत की एक्ट ईस्ट नीति और थाईलैंड की एक्ट वेस्ट नीति एक-दूसरे की पूरक हैं।” इस मौके पर थाईलैंड की ओर से उन्हें ‘द वर्ल्ड टिपिटका’ पुस्तक भी भेंट की गई।

बिम्सटेक का इतिहास और भूमिका

बिम्सटेक (BIMSTEC: Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) की स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा के माध्यम से हुई थी। इसके सात सदस्य देश हैं:

दक्षिण एशिया: भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका

दक्षिण-पूर्व एशिया: म्यांमार, थाईलैंड

संगठन व्यापार, पर्यटन, कृषि, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्रों में बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देता है। थाईलैंड 2022 से इसका अध्यक्ष है और बांग्लादेश अगला अध्यक्ष बनेगा।

निष्कर्ष:

भारत का मजबूत कूटनीतिक और रणनीतिक कदम।छठा बिम्सटेक शिखर सम्मेलन भारत के लिए कूटनीतिक, सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यंत सफल रहा। भारत और थाईलैंड के बीच बढ़ती सामरिक साझेदारी, बिम्सटेक की रणनीतिक भूमिका, और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के प्रयास इस सम्मेलन की विशेषताएं रहीं। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत आने वाले वर्षों में बिम्सटेक को अपनी विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ बनाएगा।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!