दीपा शर्मा


सिनेमा जगत के देशभक्त नायक
मनोज कुमार, भारतीय सिनेमा का एक ऐसा नाम है जिसे देशभक्ति और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। 24 जुलाई 1937 को एबटाबाद (अब पाकिस्तान) में जन्मे मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ बसा।
फिल्मी सफर की शुरुआत
मनोज कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1960 में फिल्म कांच की गुड़िया से की। शुरुआती दौर में रोमांटिक और सामाजिक फिल्मों में काम करने के बाद उन्हें 1965 में शहीद फिल्म से असली पहचान मिली। यह फिल्म भगत सिंह के जीवन पर आधारित थी और इसमें मनोज कुमार ने खुद भगत सिंह की भूमिका निभाई। इस फिल्म ने उनकी छवि एक राष्ट्रवादी अभिनेता के रूप में स्थापित की।
‘भारत कुमार’ की छवि

मनोज कुमार की ‘भारत कुमार’ की छवि फिल्म पूरब और पश्चिम (1970) से और मजबूत हुई। फिल्म में उन्होंने एक ऐसे भारतीय युवक की भूमिका निभाई, जो विदेश में भारतीय मूल्यों का प्रतीक बनता है। इसके बाद रोटी, कपड़ा और मकान (1974) और क्रांति (1981) जैसी सुपरहिट फिल्मों ने उनकी देशभक्त छवि को और पुख्ता किया।
निर्देशन में योगदान
मनोज कुमार न केवल एक कुशल अभिनेता थे बल्कि उन्होंने निर्देशन में भी अपनी छाप छोड़ी। उपकार (1967) उनकी निर्देशित पहली फिल्म थी, जिसमें ‘मेरे देश की धरती’ गीत आज भी देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद शोर, रोटी, कपड़ा और मकान जैसी फिल्मों ने उन्हें बहुमुखी प्रतिभा के रूप में स्थापित किया।
पुरस्कार और सम्मान

मनोज कुमार को सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले। उन्हें 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उपकार, पूरब और पश्चिम जैसी फिल्मों के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड्स भी मिले। 2016 में भारतीय सिनेमा के प्रति उनके योगदान को मान्यता देते हुए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया।
वर्तमान में मनोज कुमार
मनोज कुमार ने सिनेमा से धीरे-धीरे दूरी बना ली, लेकिन उनकी फिल्मों का असर आज भी दर्शकों पर कायम है। उनकी फिल्मों में निहित सामाजिक संदेश और देशभक्ति की भावना आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है।
निष्कर्ष
मनोज कुमार एक ऐसे अभिनेता और निर्देशक हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा को देशभक्ति और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ नई ऊँचाईयों पर पहुँचाया। उनकी फिल्मों में देशप्रेम, आदर्शवाद और भारतीयता की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। ‘भारत कुमार’ के नाम से लोकप्रिय मनोज कुमार सिनेमा के उस युग का प्रतिनिधित्व करते हैं जब सिनेमा समाज में बदलाव का माध्यम था।