भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

बुधवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत हुई। पहली बार लगा कि कुछ संवाद हुआ और उस संवाद में केंद्र सरकार कुछ पीछे हटी। उन्होंने माना कि हम कानून डेढ़ साल के लिए स्थगित कर देते हैं। खैर, इसके पीछे कारण 26 जनवरी की परेड रही हो। 

प्रश्न यह है कि क्या किसान इस बात को मानेंगे, क्योंकि उनका कहना तो यह है कि कानून रद्द कर दिए जाएं। यदि किसानों की मानें तो ये कानून उनके लिए मौत हैं। तो क्या वे डेढ़ वर्ष तक अपनी मौत को टालने के लिए रजामंद होंगे? क्योंकि डेढ़ वर्ष बाद कानून तो लागू होंगे ही न। 

इधर हरियाणा की तरफ देखें तो मंगलवार को प्रदेश स्तर से आदेश आए थे कि हर जिला मुख्यालय पर कांग्रेस,किसान नेता चढूणी का पुतला फूंका जाए और उसकी औपचारिकता निभाई भी गई।

इधर हरियाणा की तरफ देखें तो मंगलवार को प्रदेश स्तर से आदेश आए थे कि हर जिला मुख्यालय पर कांग्रेस.किसान नेता चढूणी का पुतला फूंका जाए और उसकी औपचारिकता निभाई भी गई।

अब गुरुग्राम की ओर देखें तो भाजपा की ओर से प्रचारित किया जा रहा है कि गुरुग्राम का प्रदर्शन सबसे बेहतर था। जबकि भाजपा के अंदर से ही आवाजें आ रही हैं कि जिले के चार विधायक हैं, वहां कोई भी नहीं था। और उससे बड़ी बात, जिले में किसान सेल भी है, तो किसान सेल के जिला अध्यक्ष और यहीं रह रहे प्रदेश अध्यक्ष की उपस्थिति भी नहीं थी। जब यह किसान आंदोलन को असफल बनाने के लिए किया जा रहा है और प्रदर्शन करने वालों में ही भाजपा के ही किसान सम्मिलित नहीं हैं तो इसका औचित्य क्या है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार की असफलता को देखते हुए बुधवार को चंडीगढ़ में भाजपा के शीर्ष नेताओं और प्रदेश प्रभारी की मंत्रणा हुई है। उसमें क्या हुआ अभी पता नहीं।

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