विधान सभा के डिजीटलाइजेशन की तैयारी पूरी, 8 माह में पूरी होगी 19 करोड़ की परियोजना,
15 दिन के भीतर होंगे एमओयू पर हस्ताक्षर,
विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने की विधायकों और शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक

रमेश गोयत

चंडीगढ़, 19 जनवरी – हरियाणा विधान सभा के स्मार्ट बनने का रास्ता साफ हो गया है। करीब 8 माह बाद सदन की कार्यवाही, सचिवालय का कामकाज, पुस्तकालय समेत पूरी कार्यप्रणाली में कहीं भी कागज का प्रयोग नहीं होगा। योजना को सिरे चढ़ाने के लिए विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंगलवार को दो प्रमुख कमेटियों की साझा बैठक की। एक कमेटी में विधायक गण तथा दूसरी कमेटी में प्रदेश सरकार के शीर्ष अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में तय हुआ कि इस योजना के तहत विधान सभा सचिवालय अगले 15 दिन में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय और हरियाणा सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करेगा।

बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार के मिशन मोड प्रोजेक्ट के तहत विधान सभा के कामकाज को कागज रहित बनाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस परियोजना पर करीब 19 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसमें 60 फीसदी खर्च केंद्र सरकार तथा 40 फीसदी खर्च का वहन प्रदेश सरकार की ओर से किया जाएगा। परियोजना का संचालन केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय करेगा। उन्होंने बताया कि विधान सभा का डिजीटलाइजेशन होने के बाद न सिर्फ सदन की कार्यवाही की गुणवत्ता में सुधार होगा, अपितु राज्य सरकार के विभागों के साथ सूचना और दस्तावेजों का आदान प्रदान भी दक्षतापूर्ण ढंग से होगा।

हरियाणा के विधायकों को नई परियोजना के तहत कामकाज में निपुण बनाने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी निक्सी यहां तीन साल तक प्रशिक्षण देगी। इस काम के लिए चंडीगढ़ में ही एजेंसी का कार्यालय स्थापित होगा। डिजीटल प्रणाली को समझने के लिए विधान सभा की कमेटी जल्द ही राज्य सभा का दौरा करेगी। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि इस कमेटी को हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश की विधान सभा की कार्यप्रणाली का भी अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि इन दोनों ही प्रदेशों में डिजीटलाइजेशन हो चुका है।

गुप्ता ने कहा कि भविष्य में डिजीटलाइजेशन की भूमिका हर क्षेत्र में बढ़ने वाली है। इसलिए संसदीय कामकाज भी इससे अछूता नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि कागज रहित विधान सभा में कार्यवाही की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि विधान सभा प्रत्यक्ष रूप से प्रदेश की जनता के प्रति जवाबदेह है, इसलिए उसकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है। गुप्ता ने कहा कि यह परियोजना लोकतंत्र के सुदृढ़ीकरण में मील का पत्थर साबित होगी।

प्रशिक्षण की रूपरेखा तय करेगी शीर्ष कमेटी

राज्य विधान सभा नेवा के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय शीर्ष कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी की अध्यक्षता विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता कर रहे हैं। विधायक असीम गोयल, नैना सिंह चौटाला, प्रमोद कुमार विज, सुधीर कुमार सिंगला, चिरंजीव राव, वरुण चौधरी, नयन पाल रावत, प्रदेश सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव सदस्य हैं।  विधान सभा सचिव राजेंद्र सिंह नांदल इस कमेटी के सदस्य सचिव हैं। यह कमेटी इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए नियम और प्रक्रिया में परिवर्तन के लिए भी सिफारिश कर सकती है। विधायकों की दक्षता निर्माण के लिए प्रशिक्षण की रूप रेखा भी यही कमेटी तय करेगी।

तकनीकी और वित्त व्यवस्था के लिए कार्यान्वयन समिति

परियोजना की वित्तीय और तकनीकी प्रगति की समीक्षा के लिए राज्य स्तरीय सह नेवा कार्यान्वयन समिति भी इस बैठक में शामिल रही। इस समिति के अध्यक्ष विधान सभा सचिव राजेंद्र सिंह नांदल तथा सदस्य सचिव विधान सभा सचिवालय के संयुक्त सचिव नरेन दत्त हैं। समिति में प्रदेश सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, वित्त विभाग, संसदीय कार्य विभाग के सचिव, एनआईसी के राज्य सूचना अधिकारी, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सेवा निगमित के राज्य स्तरीय प्रतिनिधि बतौर सदस्य शामिल हैं। विधान सभा सचिवालय में सिस्टम एनालिस्ट सुनील नैन इस समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। यह समिति परियोजना के लिए निधि जारी करने की सिफारिश करने समेत उपकरणों के रखरखाव तथा समय-समय पर उनके प्रतिस्थापन के लिए सिफारिशें देगी। बैठक में वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, विशेष सचिव राज नारायण कौशिक, संसदीय कार्य विभाग के सचिव पंकज अग्रवाल वित्त सचिव जी. कमल किशोर एनआईसी से दीपक बंसल और दिनेश शर्मा उपस्थित रहे।

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