भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक बहुत समय से इंतजार के बाद कोरोना वैक्सीन आखिर आ ही गई और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके टीकाकरण का शुभारंभ किया और बड़े उत्साह से देशभर में इसके कार्यक्रम चल रहे हैं। यद्यपि इसमें विवाद भी हैं कि क्या यह वैक्सीन नुक्सानदेह तो नहीं। गुरुग्राम में भी आज इसका उद्घाटन हुआ और इसका सेंटर मेदांता द मेडिसिटी में बनाया गया है और उस कार्यक्रम को मुख्यमंत्री ने प्रत्यक्ष देखा। अच्छा लगा कि मुख्यमंत्री को गुरुग्राम के कार्यक्रम का या यूं कहें गुरुग्राम का इतना ध्यान है। गुरुग्राम की जनता में एक चर्चा अवश्य सुनी गई कि गुरुग्राम में जो हरियाणा को सबसे अधिक राजस्व देता है, जिस पर मुख्यमंत्री का विशेष ध्यान है, स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है, जीएमडीए के माध्यम से न जानें कितना पैसा इस पर खर्च भी किया जा चुका है लेकिन फिर भी सरकार के पास कोविड सेंटर बनाने का स्थान अपना उपलब्ध नहीं हुआ। उसके लिए निजी अस्पताल मेदांता द मेडिसिटी में जाना पड़ा। गुरुग्राम जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान और वर्तमान में किसान आंदोलन के समर्थन में धरने पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष चौ. संतोख सिंह से बात हुई तो उनका कहना था कि वास्तव में यह बहुत शर्म की बात है गुरुग्राम सबसे अधिक राजस्व देता है, यहां इतनी सुविधाएं तो होनी ही चाहिएं कि हमें निजी अस्पताल पर निर्भर न रहना पड़े। उनका कहना था कि यह सरकार के लिए शर्म की बात है कि वह गुरुग्राम में सरकारी अस्पताल में ऐसा स्थान उपलब्ध नहीं करा पाई। इस बात पर ख्याल आया कि गुरुग्राम कष्ट निवारण समिति के चेयरमैन भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं और स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी जिले के लिए सबसे आवश्यक होती हैं फिर भी उनका ध्यान इस ओर क्यों नहीं गया। इससे आगे बहुत अनुभवी गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह हैं और फिर गुरुग्राम की जनता द्वारा चुने हुए चार विधायक भी हैं, जो यह कहकर थकते नहीं कि हम गुरुग्राम के विकास के लिए अनवरत परिश्रम कर रहे हैं। इनके अतिरित गुरुग्राम में जीएमडीए बनाई गई, उसके सर्वेसर्वा अनुभवी आइएएस वीएस कुंडू हैं। उन्हें स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य भी दिया हुआ है, इसके अतिरिक्त जनता के चुने हुए 35 पार्षद भी हैं और उन्हीं पार्षदों के अनुभवी सांसद द्वारा बनाई हुई मेयर टीम भी हैं। किसी आवाज इस बारे में क्यों नहीं उठती। इन सबकी तो वास्तविक जिम्मेदारी तो है ही लेकिन इनके अतिरिक्त विपक्ष की जिम्मेदारी भी तो बनती है, जो सरकार को यहां की कमियों के बारे में बताए। लेकिन चुनाव के वक्त अनेक पार्टियों के अनेक उम्मीदवार दावा कर रहे थे कि हम हारें या जीतें लेकिन जनता की सेवा में लगे ही रहेंगे, कहां हैं वे? दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार, तीसरे नंबर पर रहे मुख्य विपक्षी दल का दावा करने वाले कांग्रेस के उम्मीदवार क्यों नहीं नजर आते, अब जनता के बीच जनता की समस्याओं के लिए? ऐसे ही सवाल जनता एक-दूसरे से पूछकर मन बहला लेती है। कोविड की दो वैक्सीन आई हैं पहली कोवैक्सीन और कोविशील्ड। उसमें कोविशील्ड को तो सुरक्षित माना जा रहा है और कोवैक्सीन की सुरक्षा में संदेह बताया जा रहा है और उस संदेह को जनता में विश्वास में बदला आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों ने, जिन्होंने कोवैक्सीन लगवाने से इंकार कर दिया। अब सच्चाई क्या है, यह जान सकें हम इतने विशेषज्ञ तो नहीं लेकिन संदेह जरूर है। आम जनता को तो यह पता है कि कोविड से लडऩे के लिए वैक्सीन आ गई है और उसके टीके लगाए जा रहे हैं। अब यह कितनों को पता होगा कि उसे कोविशील्ड लग रही है या कोवैक्सीन। अब यह तो आने वाला समय बताएगा कि यह कोविशील्ड और कोवैक्सीन का विवाद बढ़ता है या नहीं। वैसे वर्तमान में कोविड का जो कहर बरपा था, वह अब शांत होता नजर आ रहा है। जहां अकेले गुरुग्राम में 700-800-1000 मरीज प्रतिदिन आते थे वहीं आज पूरे हरियाणा में 200-250 आ रहे हैं, जबकि किसान आंदोलन में अनेक लोग एकत्रित हैं और राजनैतिक दलों के कार्यक्रमों में कहीं भी कोविड के गृहमंत्रालय द्वारा बताए निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। खैर जो भी है हमारी समझ से बाहर की बात है। आप सोचिए और निर्णय लीजिए, हमने जो देखा वही बताया। Post navigation दामन-चोली का साथ अभियान के तहत बाजारों में हुए कार्यक्रम किसानों की बात नहीं सुन रही है सरकार -चौधरी संतोख सिंह