स्क्रिय राजनीतिक दलों से पांच जनवरी तक सुझाव मांगे गए.
वर्तमान खर्च सीमा 10 प्रतिशत बढ़ाई गई तत्काल लागू भी हुई.
हरियाणा में एमपी के लिए 77 लाख तो एमएलए के लिए 30. 80 लाख

फतह सिंह उजाला

गुरूग्राम । लोकसभा और विधानसभा चुनावों में एक उम्मीदवार के चुनावी खर्च की सीमा कितनी हो, इस बारे में जिला निर्वाचन कार्यालय ने गुरूग्राम जिला में कार्यरत राजनीतिक दलों से 5 जनवरी तक सुझाव मांगे हैं।

ये सुझाव भारत निर्वाचन आयोग की ओर से मांगे जा रहे हैं। आयोग नेे मतदाताओं की संख्या बढ़ने और लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में वृद्धि तथा अन्य कारणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार के चुनावी खर्च की सीमा के विषय की जांच करने के लिए कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में पूर्व आईआरएस अधिकारी हरीश कुमार तथा महासचिव एवं महानिदेशक (खर्च) शामिल हैं। कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 19 अक्टूबर 2020 को चुनाव नियम संचालन 1961 के नियम 90 में संशोधन को 19 अक्टूबर 2020 को अधिसूचित किया था जिसमें वर्तमान खर्च की सीमा 10 प्रतिशत बढ़ाई गई थी। यह वृद्धि तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गई।

चुनावी खर्च की सीमा में संशोधन की आखिरी अधिसूचना सन -2014 में 28 फरवरी को की गई थी। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए संशोधन अधिसूचना 10 अक्टूबर 2018 को जारी हुई थी। आयोग का मानना है कि मतदाताओं की संख्या बढ़ने तथा मुद्रास्फीति सूचकांक में वृद्धि के बावजूद पिछले 6 वर्षों में लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव के लिए खर्च की सीमा नही बढ़ाई गई। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए कमेटी का गठन किया गया है जो अलग-अलग राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में मतदाताओं की संख्या तथा उससे चुनावी खर्च पर प्रभाव, लागत सूचकांक में बदलाव व हाल के चुनाव में उससे उम्मीदवारों के खर्च पर असर का आंकलन, राजनीतिक दलों तथा अन्य हितधारकों के सुझाव लेने के अलावा चुनावी खर्च से संबंधित अन्य पहलुओं की जांच करके अपनी रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करेगी। विधि एवं न्याय मंत्रालय की 19 अक्टूबर 2020 को जारी अधिसूचना के अनुसार हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए अधिकतम खर्च की सीमा 77 लाख रूपये तथा विधानसभा चुनाव के लिए अधिकतम खर्च की सीमा 30 लाख 80 हजार रूपये निर्धारित की गई

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