सैंकड़ो करोड़ की बेशकीमती जमीनों की रजिस्ट्रियां धड़ल्ले से हो रही हैं दिन रात मगर जरूरतमंद लोगों की रजिस्ट्रियों में अड़चनें डाल रखी हैं सरकार ने या यूँ कहें कि पूर्णतया प्रतिबंधित किया हुआ है परन्तु जिस जमीन पर सैंकड़ों केस चल रहे हैं उनकी रजिस्ट्रियाँ जनता से छिपाकर अधिकारीयों द्वारा करा दी जा रही हैं राजस्व की बड़ी चोरी के साथ । ताजा मामला सिलोखरा गांव तहसील वजीराबाद की 27 एकड़ जमीन जो धीरेंद्र बह्मचारी के आश्रम की थी , जिसपर क़ई दावेदारी के मुकदमे विचाराधीन हैं यहां तक कि आयकर विभाग की अदायगी भी नहीं की गई और बगैर आपत्ति पत्र के ही रिकार्ड में हेराफेरी कर अंधेरे में रजिस्ट्री कर दी गई वह भी सर्कल रेट से भी बहुत कम रेट पर – अब ऐसे ही तो तहसीलदार ,कानूनगो, पटवारी और गिरदावर तो इतना बड़ा निर्णय ले नहीं सकते बगैर वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के और तहसीलदार राजेश कुमार के ब्यानानुसार तो उन्होंने यह रजिस्ट्री डी,सी, साहब के आदेश मिलने उपरांत ही की है ऐसा अखबारों में छपी खबरों से जानकारी प्राप्त हुई – जीससे स्पस्ट होता है कि डी,सी,गुरुग्राम की भी संलिप्तता पूरे मामले में उभर कर सामने आ रही है मगर वह अपनी कोई भी प्रतिक्रिया देने से बचते हुए डीआरओ तथा ए,डी,सी, साहब से मामले की जानकारी लेने बाबत सरकारी सुझाव देते हुए दिखाई दे रहे हैं । डीआरओ साहब मैनुअल रजिस्ट्री कराने की परमिशन डीसी साहब द्वारा देने की बात कर रहे हैं वही किसी क्लर्क से वार्ता की रिकॉर्डिंग होने का दावा भी कर रहे हैं अर्थात अपनी गिरेबाँ बचाने के लिए जाँच की आंच रजिस्ट्री क्लर्क और तहसीलदार के ऊपर डाल दी गई है जिसमें पूर्णत्या इन्हीं दोनों को दोषी मानकर इन्हें ज्यादा से ज्यादा सस्पेंड कर दिया जाएगा और कुछ दिन बाद मामला शांत होने पर फिर से बहाल भी कर दिया जाएगा मगर बड़ा सवाल यह है कि आदेश राजेश को डी,सी, साहब ने दिए और क्लर्क से इंकार डीआरओ साहब ने किया और वह भी फोन पर जिसके साक्ष्य भी पेश किए जा सकते हैं सम्भवतः वह क्लर्क छुट्टी पर भी हो सकता है खैर जो भी वास्ता दिया गया और चाहें जो भी दलीलें दी जा रही हों – मगर राजस्व की चोरी तो की गई है उसका जिम्मेदार कौन है और जब आदेश डीसी साहब ने दिए हैं तो जवाब क्यों नहीं देते ? और ईस घाटे को कैसे और किनसे पूरा किया जाएगा ? डी,सी, साहब ,एडीसी साहब डीआरओ साहब और तहसीलदार साहब ही जिम्मेवार नहीं हो सकते ईस तथाकथित मामले में सरकार की सहमति के बगैर यह कार्य संभव नहीं ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं , वस्तुत स्तिथि यह है कि इस मामले की जाँच करे कोंन सरकार की तो पहले की भी कई जांच के परिणाम सामने नहीं आ सके हैं ! अतः हम आम नागरिक गुरुग्रामवासी चाहते हैं कि जीरो टोलरेंस की बात करने वाली सरकार यह जांच सीबीआई के सुपुर्द कर दूध का दूध और पानी का पानी करके दिखाए अन्यथा कोंग्रेस से भी भृस्टाचारी सरकार साबित हो जाएगी खट्टर सरकार – जिसमे हर जगह भृस्टाचारीयों का ही बोलबाला है , प्रत्येक विभाग में भृस्टाचार अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है और भृस्टाचारी मस्त हैं सरकार की कृपा से तथा जनता के हितों की खुली लूट चल रही है । पुलिस अधिकारी कहता है कि वह एसएचओ साहब के लिए रिश्वत लेने गया था जिसे रंगे हाथों पकड़ा गया खेड़कीदौला थाने का मामला ! नगर निगम का डीटीपी डिपार्टमेंट जिसमे कार्यरत कर्मचारियों ने उगाही छेड रखी है , जिससे मिली उसे छूट और जो असमर्थ है उसके जाएंगे टूट वाली नीति अपना रखी है – यदि सांठ गांठ है तो चाहें पांच मंजिला इमारत तैयार करो कोई रोकटोक नहीं फिर चाहें कितना ही मीडिया और शोशल एक्टिविस्ट शोर मचा लें – भूमाफियाओं का बोलबाला है , तमाम नई कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं , नशाखोरी और तस्करी जोरों पर है एक्साईज डिपार्टमेंट ,नारकोटिक्स डिपार्टमेंट गहरी नींद में सोए हुए हैं , नशीली दवाओं की बिक्री किसी से छिपी नहीं है प्रसाशन मोन है , पुलिस बेबस और लाचार नजर आ रही है , केवल आम जनता के चालान काटने पर लगा रखा है उनकों शायद । Post navigation क्या नया इतिहास रचेगा 30 दिसंबर ? आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन से ग़रीब पर पड़ेगी महँगाई की मार