प्रधानमंत्री दे रहे ‘टीवी पर सफाई’ और मंत्री ‘चिट्ठियों की दुहाई’ पर नहीं चाहते ‘किसान की भलाई’!. न ‘ढोंग की नीति’, न ‘झूठ का प्रचार’ – तीन काले कानून खत्म करे भाजपा सरकार!. अपराध बड़ा हो तो सफाई ज्यादा देनी पड़ती है- यही कर रहे हैं मोदी जी! 31 दिन से हाड़ पिघलाती और रूह कंपकपाती सर्दी में देश का अन्नदाता किसान ‘दिल्ली के दरवाजे’ पर न्याय की गुहार लगा रहा है। अब तक 44किसानों की शहादत हो चुकी। मगर पूंजीपतियों की पिछलग्गू मोदी सरकार का दिल नहीं पसीजता। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार किसानों को ‘थका दो और भगा दो’ की नीति पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री टीवी पर सफाई और उनके मंत्री चिट्ठियों की दुहाई तो देते हैं, मगर मुट्ठीभर पूंजीपतियों की ‘सेवक’ मोदी सरकार ‘किसान दुश्मन’ बन बैठी है। कड़वा सत्य यह है कि मोदी सरकार राजनैतिक बेईमानी, धूर्तता व प्रपंच का सहारा ले किसान की समस्या का समाधान करना ही नहीं चाहती। किसानों के रास्ते में सड़कें खुदवाने वाले, किसानों पर सर्दी में वॉटर कैनन चलवाने वाले और लाठियां मरवाने वाले प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी आज फिर सम्मान निधि का स्वांग रच रहे हैं। आइये जानते हैं प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी व भाजपा सरकार की आज की ‘सफाई सभा’ में ‘किसान दुश्मनी’ का सचः 1) मोदी सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि का स्वांग: भारत में कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार कुल 14.64 करोड़ किसान हैं, जो 15.78करोड हेक्टेयर जमीन पर खेती करते हैं। मोदी सरकार ने दिसंबर 2018 में किसान सम्मान निधि योजना प्रारंभ की जिसमें कहा गया कि देश के सभी किसानों के खाते में तीन किश्तों में 6000 रु. सालाना डाले जाएंगे। इस योजना में साल 2018-19 में किसानों के खाते में 88,000 करोड़ रु. की बजाय मात्र 6,005 करोड़ रु. डाले गए। चुनावी साल 2019-20 में 49,196करोड़ रु. और 2020-21 में अब तक 38,872 करोड़ रु. डाले, जबकि यह सालाना राशि 88,000 करोड़ रु. होनी चाहिए। (14.64 करोड़ किसान X6000 = 87,913 करोड़ रु.) आज फिर प्रधानमंत्री मोदी 18 हज़ार करोड़ रु. स्थानांतरण कर खेती विरोधी तीन काले कानूनों का दाग धोने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। परंतु प्रधानमंत्री मूलभूत बातों का जवाब देते ही नहीं:-(I) किसान सम्मान निधि में 5.40 करोड़ किसानों को इसका लाभ क्यों नहीं दिया जाता? इन्हें इस स्कीम के दायरे से बाहर क्यों रखा गया है? 14.64 करोड़ किसानों में से केवल 9.24 करोड़ किसान ही शामिल क्यों किए गए? (II) मोदी सरकार ने 6 सालों में खेती के लागत मूल्य में 15,000 रु. प्रति हेक्टेयर की वृद्धि की – डीज़ल की कीमतें 25 रु. प्रति लीटर बढ़ाकर;देश के इतिहास में पहली बार खाद पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाकर, कीटनाशक दवाईयों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाकर, ट्रैक्टर एवं सभी कृषि उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाकर। यही नहीं, डीएपी खाद का मूल्य 1075 रु. प्रति बैग से 1450 रु. प्रति बैग बढ़ाकर, यूरिया खाद के बैग का वजन 50 किलोग्राम से 45 किलोग्राम घटाकर पर मूल्य वही रखकर, पोटाश खाद के बैग का मूल्य 450 से 969 रु. बढ़ाकर तथा सुपर खाद के बैग का मूल्य 260 रु. से 350 रु. प्रति बैग बढ़ाकर। इसका मतलब 15.78 करोड़ हैक्टेयर भूमि पर 15,000 रु. प्रति हैक्टेयर कीमत बढ़ाकर मोदी सरकार हर साल 2,36,701 करोड़ रु. किसानों की जेब से निकालती है (15.75X15000 = 2,36,701 रु.) और मात्र 6000 रु. प्रति किसान (वह भी पूरा नहीं) देने का स्वांग रचती है। क्या प्रधानमंत्री इसका जवाब देंगे? 2) मोदी सरकार ने किसान की फसल का बोनस किया बंद: 12 जून 2014 को मोदी सरकार ने सारे राज्यों को पत्र लिखकर फरमान जारी कर दिया कि समर्थन मूल्य के ऊपर अगर किसी भी राज्य ने किसानों को बोनस दिया तो उस राज्य का अनाज समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा और किसान भाइयों को बोनस से वंचित कर दिया गया। पत्र की कॉपी संलग्नक A1 है। 3) मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा – किसान को लागत + 50% MSP नहीं दिया जा सकता: फरवरी 2015 में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर साफ़ इंकार कर दिया कि अगर किसानों को समर्थन मूल्य लागत का पचास प्रतिशत ऊपर दिया गया, तो बाज़ार ख़राब हो जाएगा अर्थात फिर पूंजीपतियों के पक्ष में खड़े हो गए। शपथ पत्र की कॉपी संलग्नक A2है। 4) मोदी सरकार द्वारा किसानों के भूमि के उचित मुआवज़ा कानून को खत्म करने की साजिश: दिसंबर 2014 में मोदी सरकार ने किसानों की भूमि के उचित मुआवज़े कानून 2013 को ख़त्म करने के लिए एक के बाद एक तीन अध्यादेश लाए, ताकि किसानों की ज़मीन आसानी से छीनकर पूंजीपतियों को सौंपी जा सके। 5) मोदी सरकार का फरमान- किसान की कर्जमाफी को फूटी कौड़ी नहीं:जून, 2017 में देश की संसद में तत्कालीन वित्तमंत्री, श्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत सरकार किसानों का कर्जा माफ नहीं करेगी। मोदी सरकार चंद उद्योगपतियों का 6,66,000 करोड़ कर्ज माफ कर सकती है, पर देश के किसान का नहीं। 6) फसल बीमा योजना बनी प्राईवेट बीमा कंपनी मुनाफा योजना: 2016 में खरीफ सीज़न से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आए और कहा कि यह विश्व की सबसे अच्छी योजना है। जबकि सच्चाई यह है कि 2016 से लेकर 2019 तक लगभग 26 हज़ार करोड़ रु का मुनाफा चंद पूंजीपतियों की निजी कंपनियों ने इस योजना से कमाया है। मोदी जी आज दुख इस बात का है जिन किसानों से आप कर रहे बर्बरता और बेवफाई हैं, उन्हीं की बदौलत आपके सिंहासन में रौनक आई है। आज भाजपा उन्हीं किसान भाइयों को आतंकी, कुकुरमुत्ता, टुकड़े टुकड़े गैंग, गुमराह गैंग, खालिस्तानी बता रहे हैं और आप उनको बरगला रहे हैं। शर्मनाक है, कृषि मंत्री ने तो अपने पत्र में किसानों को राजनैतिक कठपुतली तक कह दिया। बहाने बनाने, ईवेंटबाजी बंद कर छोड़ मोदी सरकार को किसानों से माफी मांगनी चाहिए और तीनों काले कानून वापस लेने चाहिए। Post navigation किसान आंदोलन के बढ़ते कदम अब दिल्ली-जयपुर हाईवे शाहजहांपुर बार्डर पर पूरी तरह बंद