Haryana Chief Minister Mr. Manohar Lal addressing Digital Press Conference regarding preparedness to tackle Covid-19 in the State at Chandigarh on March 23, 2020.
एसवाईएल मुद्दे पर पीएम से बातचीत के लिए एक बार का समय भी न लेने वाले बीजेपी नेता किसानों को न करें गुमराह
फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के बजट में 50 फीसदी कमी करके ही बीजेपी ने अपना किसान विरोधी चेहरा दिखा दिया था

पटौदी 20/12/2020 : 2016 में “एसवाईएल को लेकर हरियाणा के हक़ में आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए खट्टर सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में पीएम से मुलाक़ात करने का फैसला किया गया था, किन्तु सीएम खट्टर ने इस बैठक के लिए पीएम से समय लेने का एक बार भी प्रयास नही किया और आज किसान आंदोलन के समय उन्हें एसवाईएल के माध्यम से किसानों के हितों का ख्याल आया रहा है? ” उक्त बातें कॉन्ग्रेस नेत्री व पार्षद सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही।

उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार ने फरवरी माह में पेश किए गए बजट में एसवाईएल के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया था, प्रदेश के सीएम बताए कि वो बजट की राशि किसकी जेब मे है? इसके साथ ही प्रदेश सरकार के मुखिया जनता को बताए कि पंजाब ने जो धनराशि लौटाई है उसका क्या हुआ उसका ब्यौरा भी सार्वजनिक करें। वर्मा ने प्रेस के नाम जारी पत्र में खट्टर सरकार को घेरते हुए आरोप लगाए की खट्टर सरकार अपने दोनों हाथों में लड्डू रखने के लालच में अपने राजनीतिक स्वार्थों के कारण खुद नही चाहती कि इस एसवाईएल का समाधान हो, अगर ऐसा नही है तो वो बताए कि इस मुद्दे को लेकर सरकार को क्यों प्राइवेट वकीलों की मदद लेनी पड़ी, जबकि उनके पास खुद सरकारी वकीलों की फौज है।

कॉन्ग्रेस नेत्री ने कहा कि बीजेपी सरकार की किसानों को लेकर शुरू से ही मंशा साफ नही है, उसने अपना किसान विरोधी चेहरा फरवरी माह में पेश किए गए अपने बजट में ही दिखा दिया था, जब उसने फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के बजट में 50 फीसदी की कटौती की थी, क्योंकि इस कि गई कटौती से किसानों को एमएसपी नही मिलना था। इस कटौती से एफसीआईआई के पास पैसा नही आना था, परिणामतः जब इसके पास बजट से पैसा ही नही होगा तो किसान की फसल कौन खरीदेगा, न्यूनतम समर्थन मूल्य कहां से मिलेगा ? किसानों की आय दोगुनी करने वाली बीजेपी सरकार खाद सब्सिडी में कमी करके भी किसानों के बुरे दिन ले आई।

उन्होंने कहा कि आखिर खट्टर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि विपक्ष का साथ मिलने के बाद भी एसवाईएल को लेकर केंद्र सरकार के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करने में विफल रही।

वर्मा ने कहा कि किसान विरोधी सरकार आज किसान आंदोलन को विफल करने के लिए इस एसवाईएल के नाम पर अपनी राजनीति की रोटियां सेंकनी चाहती है जिसमे वो कामयाब नही होगी, उसे जनता को बताना होगा कि हांसी – बुटाना नहर पर बीजेपी सरकार ने काम क्यों नही किया, और दादुपुर नलवी नहर को पाटने का काम इस बीजेपी सरकार ने क्यों किया ?

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