सुबह उगते हुए सूर्य को किया जल अर्पित और जलाए दीपक. अनाज सहित विभिन्न प्रकार की सामग्री का किया दान फतह सिंह उजाला पटौदी । कार्तिक माह की पूर्णिमा को शहर के श्रीश्याम मन्दिर सहित अन्य मंदिरों के प्रांगण में तड़के प्रातः पहुंची धर्म परायण कार्तिक स्नान और दान करने वाली महिलाएं एकाग्रचित होकर मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा पाठ में लीन दिखाई दी, हालांकि कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए बहुत ही कम संख्या में श्रद्धालू महिलाएं देव स्थानों अथवा मंदिरों में पहुंची । तड़के प्रातः के माहौल में मन्दिरों के घंटे की गूंजती आवाज के बीच आसमान में पूर्व दिशा की तरफ चमकते तारों पर धीरे-धीरे सूर्य की रोशनी हावी होती रही है। पटौदी, हेलीमंडी,बोहड़ाकला, फर्रूखनगर सहित ग्रामीण अंचल में धर्म परायण महिलाओ के द्वारा गंगा स्नान अथवा कार्तिक पूर्णिमा पर्व पूरे विधिविधान के साथ मनाया गया। हेलीमंडी अनाजमंडी स्थित शिव मन्दिर, जाटौली स्थित बाबा हरदेवा मन्दिर, पटौदी के राम मन्दिर, बोहड़ाकला के महाकाल मन्दिर, श्रीश्याम मन्दिर, टोडापुर के सांईधाम, मंगल सिंह शिव मंदिर सहित अन्य मंदिरों में कार्तिक स्नान करने वाली धर्म परायण महिलाओं का समूह पूजा अर्चना करने के लिए पौ फटने से पहले ही पहुंच गया। नदी, नहर, तालाब के अभाव में उपवास रखने और कार्तिक स्नान करने वाली श्रद्वालु महिलाओं ने गंगाजल ताजा पानी में मिलाकर स्नान किया। कार्तिक माह में उपवास करने वाली माया, पूजा, गायत्री, लीला शर्मा, गैंदी, निर्मला, सुनीता , इंदू शर्मा सहित अन्य महिलाओं ने मत्सय अवतार भगवान विष्णु की पूजा की। बैकुंठ चतुर्दशी पर किया गया हवन इससे पहले बैकुंठ चतुर्दशी के विशेष मौके पर विभिन्न मन्दिरों में श्रद्वालु महिलाओं ने हवन यज्ञ सहित पूजा पाठ किया। भगवान विष्णु की पूजा के उपरांत आरती की गई। कार्तिक पूर्णिमा अथवा गंगा स्नान वाले दिन निर्मला और सुनीता ने घर में ही पंचभिखू की पूजा अर्चना करके राई तथा आंवला अर्पित किया। इन्होंने तुलसी की पूजा कर एक सौ आठ परिक्रमा भी लगाई और तुलसी को जल अर्पित कर दीपक जलाए। भारतीय धर्म शास्त्र में सबसे पवित्र माने गए कार्तिक माह के अंतिम दिन पूर्णिमा की प्रातः कार्तिक स्नान और उपवास करने वाली महिलाओं ने मत्सय अवतार भगवान विष्णु की पूजा करने के उपरांत श्रद्धानुसार गरीबों को दान तथा ब्राहम्णों को भोजन कराया। चांद के दर्शन करके खोला उपवास कार्तिक पूर्णिमा अथवा गंगा स्नान के मौके पर उपवास करने वाली महिलाओं ने दिन ढ़ले देर सांय चांद के दर्शन करने के बाद ही अपना-अपना उपवास खोला। श्रद्वालु महिलाओं के मुताबिक आज के दिन शिवा, प्रीति, समुंति, अनुसुईया, क्षमा, संतति कृतिकाओं का पूजन और वंदन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। देर सायं महिलाओं ने विभिन्न मन्दिरों , देव स्थानों, गलियों, चैराहों, पीपल और तुलसी के पौधों के पास घी के दीपक भी जलाए। उपवास और कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं ने अपने संकल्प को पूरा करते हुए 11 से 21 किलो तक मिष्ठान के प्रसाद का भी वितरण किया । पंचमीका कार्तिक स्नान और उपवास करने वाली निर्मला और सुनीता ने बताया कि प्रति वर्ष आने वाले कार्तिक माह में उनके द्वारा पांच-पांच दिनों तक अलग- अलग सामान, सामग्री के दान करने पर ही इस उपवास का पुण्य प्राप्त हो सकेगा। Post navigation छात्रों को टेबलेट, हरियाणा में शिक्षा क्रांति का नया अध्याय : जरावता सतगुरु नानक प्रगटेया मिटी धुंध जग चानन होया