2019 में कांग्रेस को 36851 वोट मिले थे, बीजेपी को 32214 व जजपा को 26972 वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस को 60132 वोट मिले हैं जो पिछले चुनाव से 23281 वोट ज्यादा हैं।जजपा+भाजपा को इस बार कुल 50176 वोट मिले हैं जो दोनों पार्टियों को पिछले चुनाव से 9010 वोट कम हैं बरोदा उपचुनाव में इन्दु राज नरवाल उर्फ भालू की जीत ने हरियाणा के भविष्य की राजनीति तय कर दी है। बरोदा में जहां एक ओर पूरी सरकार और सरकारी मशीनरी, बीजेपी, JJP, गठबंधन के छुपे हुए सहयोगी चुनाव मैदान में थे, तो वहीं, दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा मोर्चा संभाले हुए थे। राजनीति के नाम समझने वाले मानते हैं कि बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत उसी दिन तय हो गई थी जिस दिन दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने एलान किया था कि यहां से इन्दु राज नहीं बल्कि वह खुद उम्मीदवार हैं। अपने 15 साल पुराने कार्यकर्ता को जीत दिलवाने के लिए दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी साख को दांव पर रख दिया, जबकि उन्हें पता था कि वह इस लड़ाई में चारों तरफ से घिरे हुए हैं। बावजूद इसके दीपेंद्र सिंह हुड्डा का खुद को आगे रखने का फैसला इस चुनाव का निर्णायक पॉइंट था। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा अपने मुद्दों पर टिके रहे। उन्होंने किसान की बात की, हरियाणा के विकास में पिछड़ने की बात कही, खुद के कार्यकाल में हुए कामों के नाम पर वोट मांगा, जबकि दूसरी तरफ से बीजेपी और जेजेपी का सारा फोकस हुड्डा परिवार पर निजी हमले करने पर रहा। क्योंकि बीजेपी को पता है कि सिर्फ बरोदा नहीं बल्कि हरियाणा में भविष्य की लड़ाई भी सीधी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा से है। बरोदा तो उसका बस लिटमस टेस्ट भर है। और इस टेस्ट में बीजेपी, JJP, खट्टर, INLD और हुड्डा विरोधी सारे मोहरे पिट गए और आखिरकार जीत हुड्डा की हुई। Post navigation भाजपा कार्यालयों में लगने वाली एक एक ईंट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सेवा और समर्पण का कराएगी अहसास : जीएल शर्मा जन अधिकार संगठन ने स्मार्ट मीटर के विरोध में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम सौपा ज्ञापन