भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

आज सारा दिन चर्चाओं का बाजार गर्म रहा रोजगार बिल के बारे में। अधिकांश लोगों का कहना था कि यह बिल कानून नहीं बनेगा। राज्यपाल ही दस्तखत नहीं करेंगे और यदि कर भी दिए तो राष्ट्रपति तो हरगिज नहीं करेंगे। बहुत आगे की संभावनाएं यदि आईं तो कोर्ट में इसे निरस्त कर दिया जाएगा।

आज हमने गुरुग्राम के कई उद्योगपतियों से बात की तो उनका कहना था कि हम अपनी आवश्यकता और जरूरत के अनुसार कर्मचारी रखते हैं। हरियाणा का कर्मचारी काम करने में उतना सक्षम नहीं है, जितना बिहार-यूपी, बंगाल का होता है। हमें अभी भी हरियाणा के युवाओं को रोजगार देने में खुशी महसूस होती है लेकिन मुश्किल यह है कि हम व्यापार दो पैसे कमाने के लिए कर रहे हैं, न कि परेशानियों को आमंत्रित करने के लिए।

एक उद्योगपति ने बताया कि अभी भी ऐसे बहुत से कानून हैं, जो हम प्रशासन से मिल=जुलकर कर उनको पालन करने का स्वांग कर लेते हैं। यदि यह बिल कानून बन गया तो हमें और स्वांग करने पड़ेंगे। अफसरशाही हम पर और हावी हो जाएगी तथा बेगार बढ़ जाएगी।

इसी प्रकार दो-तीन एमएनसी के अधिकारियों से बात की तो उनका कहना था कि यदि यह बिल कानून बन गया तो हमारे कार्य के अनुरूप कर्मचारी मिल ही नहीं पाएंगे। सरकारी नौकरियों में तो आरक्षण होता ही है। वहां कार्य कैसे होते हैं, सबके सामने हैं। हमारे यहां पूर्ण योग्यता के अनुसार मैरिट पर नियुक्तियां की जाती हैं और यदि हमें मैरिट को छोड़ नियुक्तियां करनी पड़ीं तो हमारा कार्य बाधित होगा। ऐसे में हमारी कंपनी प्रदेश छोड़ कहीं और व्यापार करने की सोचेगी। उन लोगों ने बताया कि गुरुग्राम के नजदीक ही नोएड़ा है। हम नोएडा शिफ्ट कर जाएंगे।

मजेदारी की बात यह है कि जो भी लोग बताते हैं, वह अपना नाम बताने से परहेज करते हैं, जानें क्या कारण है? लेकिन राजनैतिक और सामाजिक लोगों से बात की तो उनका कहना यह था कि हमारे गुरुग्राम में 30 से 40 प्रतिशत लोग यूपी, बिहार, बंगाल आदि के रहते हैं। जब उन लोगों की सबकी रोटी छिन जाएगी और नए लोग इन प्रदेशों से कार्य करने के लिए आएंगे नहीं तो यहां का खुदरा व्यापारी भी भुखमरी की कगार पर आ जाएगा।

इस प्रकार की बातें संवाद से निकलकर सामने आईं। एक तरफ तो एक कानून-एक देश का नारा बुलंद किया जा रहा है, दूसरी ओर बाहरी व्यक्तियों को नौकरी से रोका जा रहा है। इस पर राजनैतिक असर भी पड़ेगा। जो भाजपा जजपा के साथ गठबंधन में है, उसी भाजपा को बिहार का चुनाव तो मान लो संपन्न हो गया उत्तर प्रदेश, बंगाल आदि के चुनाव तो हैं।  वहां क्या इसका राजनैतिक नुकसान भाजपा को नहीं होगा?

इस बिल के बारे में अभी अध्यन करना है,यह कहना है भाजपा की सांसद सुनीता दुग्गल का। यह बात उन्होंने तब कही जब उनसे पूछा कि हरियाणा के 75 प्रतिशत युवाओं को रोजगार की बात है, उसमें दलित आरक्षण कितना होगा? तो इस पर उनका कहना था कि होगा तो अवश्य, अभी अध्यन कर लें फिर उनसे कहा कि हमारे विचार से इस बिल पर हस्ताक्षर राज्यपाल और राष्ट्रपति नहीं करेंगे, यह रोजगार के अधिकार और आरक्षण की अधिकतम सीमा का उल्लंघन करता है। इस पर उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में भी पहले इस तरह के आरक्षण हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि कौन-से राज्य में ऐसा है तो वह बता नहीं पाईं।

इस बारे में कानूनविदों से भी बात की तो उनका कहना था कि कुछ उद्योगपतियों के फोन आ रहे हैं पर हमने कहा कि यह अभी कानून नहीं बन रहा। फिर भी हम इस बिल का अध्यन करेंगे और यदि कानून बन गया तो हमारे पास न्यायालय का रास्ता तो है ही।

अब यह बिल संभव है कि आने वाले समय में भाजपा के लिए भी एक समस्या लेकर आए। वैसे भाजपाइयों का कहना है कि यह दुष्यंत का वादा था अपने वोटरों से तो यह उसने पूरा किया, बाकी बातें तो क्यों और कैसे यह हुआ, शीर्ष नेतृत्व बता पाएगा। जैसा कुछ होगा हम आने वाले समय में लिखते रहेंगे।

error: Content is protected !!