-समाज की सोच को बदलना होगा ,  वरना  हाथरस जैसी घटनाएं होती रहेंगी. -स्कूलों की अच्छी इमारतों से  अच्छी शिक्षा नहीं मिल सकती  . -गांव से बाहर पढऩे जाने वाली लड़कियों में उजागर हुई असुरक्षा 

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम । बलात्कारियों को सजा देने के लिए देश के कानूनों को कठोर किए जाने की जरूरत है। वरना सदा हाथरस जैसी घटनाएं होती रहेंगी। इन घटनाओं को रोकने के लिए हमें पुरूष प्रधान समाज की सोच को बदलना होगा। सुनील जागलान ने कहा कि स्कूलों की अच्छी इमारतों से शिक्षा नहीं मिल सकती है। शिक्षा तभी मिलेगी जब युवाओं के भीतर अच्छी प्रवृत्ति का इंसान जन्म लेगा। यह विचार सेल्फी विद डॉटर फांउडेशन के संस्थापक सुनील जागलान ने जिले के गांव घंघोला में प्रयोग फांउडेशन द्वारा आयोजित सेमीनार को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।  

बेटियों ने बेबाकी से रखे अपने विचार

सेमीनार में शामिल हुई महिलाओं व गांव की लड़कियों ने अपनी सुरक्षा के इस मुद्दे पर बेबाकी से अपने विचार व्यक्त किए। इस गांव की रहने वाली प्रीति ने कठोर कानूनों की पैरवी करते हुए कहा कि जब लोग घटनाओं को भूल जाते हैं, तब दोषियों को सजा दी जाती है। यह परंपरा गलत है। चर्चा में शामिल हुई लड़कियों ने कहा कि वह जब पढ़ाई के लिए अपने गांव से बाहर जाती हैं तो उनमें असुरक्षा की भावना रहती है। उनके भीतर डर रहता है। महिलाओं ने कहा कि ऐसा माहौल पैदा करना पड़ेगा, जब लड़कियां बेखौफ  होकर घर से बाहर निकल सकें। पुरूष प्रधान समाज में लोगों अपनी व दूसरों की बेटियों के प्रति एक समान सोच अपनानी होगी। गांव वासी कपिल ने महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं के लिए नशों की बढ़ रही प्रवृत्ति को जिम्मेदार ठहराया। 

महिलाओं के प्रति बदलना होगा नजरिया

प्रयोग फांउडेशन के महासचिव संजीव शर्मा ने कहा कि बलात्कार की अधिकतर घटनाओं में पीडि़ता को निशाना बनाने वाले जान-पहचान के होते हैं। इसलिए हमें महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। आज जातिवाद व जागरूकता का अभाव भी इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है। 

बेटियों की भावनाओं को हमें समझना होगा

प्रयोग फांउडेशन के उपाध्यक्ष संजय कुमार ने कहा कि 21वीं सदी में हर तरह से मजबूत होकर भी हम आज सामाजिक रूप से कहीं ना कहीं कमजोर हैं। हमारा समाज बहुत कमजोर नजर आता है। क्योंकि यहां बेटियों को आज भी अपने सम्मान के लिए आवाज उठानी पड़ रही है। बेटियों की भावनाओं को हमें समझना होगा। उनको भयमुक्त माहौल देकर उन्हें आगे बढऩे को प्रेरित करना होगा। सिर्फ नारों, वादों में नहीं, बल्कि हकीकत में जब यह सब दिखाई देगा तो समाज की तस्वीर ही अलग होगी। सेमीनार में सुरिंदर कुमार ने कहा कि बेटियां हमारे समाज की अनमोल धरोहर हैं। उनको हमें आगे बढ़ाना है। उन्हें सुरक्षित करना है।

error: Content is protected !!