मामले में जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. पूनम वालिया सहित अन्य दो कर्मचारी चार्जशीट
106 रूपये मूल्य की एम-टू टोन सिरप 136 रूपये में खरीद कर फर्म को की थी पेमंट  
डीसी की जाँच में पाया गया था दोषी
लोकायुक्त के नोटिस बाद अब किया चार्जशीट, अधिकारी हो चुकी रिटायर्ड

चंडीगढ़। कैथल तिजे के फरल गांव के एतिहासिक तीर्थ पर वर्ष 2018 में लगे राष्टÑीय स्तरीय मेले में आए श्रद्धालुओं के लिए ,,द्वारा 1.50 लाख की दवाईयां अम्बाला और कैथल की फर्मों से खरीदी गई थी। मेले के आयोजन के बाद आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर ने इस की जानकारी आरटीआई से मांगी थी जिसके बिलों में 106 रूपये मूल्य की एम-टू टोन सिरप 136 रूपये में खरीद कर फर्म को पेमंट की गई थी। जिसको लेकर जयपाल रसूलपुर ने इसकी शिकायत सीएम विंडो में की थी जिसकी जांच उस समय मौजूदा उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने स्वयं की थी जिसमे लगाये गए सभी आरोप सही पाए गये थे।

जिसमे ये बात सिद्ध हो गई थी की शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत करने के बाद जिला आयुर्वेदिक ने अपने आप को बचाने के लिए सम्बंधित फर्म से दोबारा बिल बना कर वसूली गई अधिक राशि पुन: सरकारी खजाने में जमा करवा दी थी। जिसको उपायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट में जिला आयुर्वेदिक अधिकारी व उसके कार्यालय के कर्मचारी को दोषी पाया था और उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही करने के लिए आयुष महानिदेशक हरियाणा लिखा था। परन्तु एक साल तक आयुष निदेशालय ने दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की थी। केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया था।

आयुष निदेशालय ने डीसी की रिपोर्ट में नही की थी कार्यवाही

जयपाल रसूलपुर ने बताया की उसने 3 मार्च 2019 को इस विषय की शिकायत सीएम विंडो में की थी। जिसकी जांच उस समय मौजूदा उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने स्वयं की थी जिसमे मेरे द्वारा लगाये गए सभी आरोप सही पाए थे। जिसके सम्बन्ध में उपायुक्त महोदया अपने कार्यालय के पत्र क्रमांक 1551 दिनांक 18 सितम्बर 2019 के द्वारा दोषी अधिकारीयों के खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही करने के लिए आयुष महानिदेशक हरियाणा लिखा था। परन्तु एक साल तक आयुष निदेशालय ने एक साल तक दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कोई कार्यवाही की। जिसके बाद उसने इसकी शिकायत लोकायुक्त हरियाणा की और लोकायुक्त का नोटिस आने के बाद अब आयुष महानिदेशक ने रिटार्ड जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. पूनम वालिया व उनके कार्यालय के दो अन्य कर्मचारीयों को भी अपने कर्तव्यों में कौताही तथा लापरवाही बरतने के आरोप में हरियाणा सिविल सेवाए (दण्ड एवं अपील) नियमावली की धारा 8 के तहत चार्जशीट किया गया है।

आरटीआई कार्यकर्ता ने की एफआईआर की मांग

आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल ने बताया की फल्गु मेले के दौरान जो दवाइयाँ खरीदी गई थी उनके मूल्य चेक करने के लिए जिले के 6 डॉक्टरों की परचेजिंग कमेटी बनाई गई थी। जिन्होंने दवाइयों के बाजार से मूल्य चेक किए बिना ही सम्बंधित फर्म को इस टेंडर की स्वीकृति प्रदान कर दी थी। जिसमे परचेजिंग कमेटी के सभी डॉक्टरों का भी दोष बनता है और उनके खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही होनी चाहिए थी। जो नही की गई जिस बात से वह संतुष्ट नही है। अब लोकायुक्त में लगे केस की अगली डेट पर दोषी जिला आयुर्वेदिक अधिकारी तथा परचेजिंग के जिम्मेवार डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की कार्यवाही की जायेगी ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी ऐसा कार्य न करे।

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