गुरुग्राम। बेलसोनिका ऑटो कॉम्पोनेन्ट इंडिया एम्प्लाइज यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर 8 घंटे की सामूहिक भूख हड़ताल मिनी सचिवालय गुड़गांव में की। भूख हड़ताल की मुख्य मांगे 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर 4 श्रम सहिंताओ में बदलकर घोर मजदूर विरोधी बदलाव करने तथा 20 माह से लंबित सामूहिक मांग पत्रों को हल करने की मांग की गई हैं। 4 श्रम सहिंताओ में घोर मजदूर विरोधी बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने मजदूरों को हड़ताल करने के कानूनी अधिकार को सीमित करते हुए पूर्व श्रम कानूनों में 15 दिन पूर्व हड़ताल के नोटिस को बदलकर 60 दिन हड़ताल से पूर्व नोटिस देने का प्रावधान कर दिया गया। नई श्रम सम्बन्ध संहिता में अगर यूनियन का कोई डिस्प्यूट पेंडिंग हैं तो मजदूर यूनियन हड़ताल नही कर सकती हैं। अगर हड़ताल गैर कानूनी घोषित हो जाती हैं तो मजदूर व मजदूर यूनियन पर 50 हजार से 2 लाख रुपए तक का जुर्माने व जेल का प्रावधान किया गया हैं। हड़ताल का समर्थन करने वाले व्यक्ति व समूह पर भी इन्ही जुर्माने व जेल का प्रावधान किया गया है। छंटनी व तालाबंदी की कानूनी सिमा संख्या 100 मजदूर फैक्ट्री में कार्यरत है को बढ़ाकर 300 मजदूर की संख्या कर दी गई है। स्थाई रोजगार पर फिक्स टर्म एम्प्लॉयमेंट के तहत मजदूर कार्य पर रखे जायेंगे। एक तरीके से रखो व निकालो की खुली छुट पूंजीपतियों को देने के साथ साथ ट्रेड यूनियन आन्दोलन का अपराधिकरण करने की साजिश है। साथ ही नोकरियों को फिक्स टर्म में बदलने का भी प्लान किया जा रहा है। इन मजदूर विरोधी श्रम सहिंताओ का बेलसोनिका यूनियन विरोध करती है। दूसरी तरफ कोरोना महामारी को अवसर में तबदील करते हुए बेलसोनिका प्रबंधन ने 20 माह से लम्बित बेलसोनिका के स्थाई व अस्थाई मजदूरों के मांगपत्र को करोना महामारी के नाम पर घाटे का नाम लेकर हल करने से मना कर रहा है। महामारी का पूरा भार मजदूरों पर डालने पर उतारू हैं, वेतन भत्तों में कटौती से लेकर ठेका श्रमिकों को करोना महामारी के दौरान बहार निकाला गया। अब यहां तक कि 20 माह से लंबित मांगपत्र को हल करने की बजाय श्रम विभाग से मिलकर कोरोना की आड़ में वापस उठाने का दबाव बना रहे हैं। मांगपत्र के चलते बेलसोनिका प्रबंधन तरह तरह के फैक्ट्री के अंदर षड्यंत्र कर उकसावेपूर्ण कार्यवाही कर रहा है। कैंटीन के खाने में मीनू को मनमर्जी से बदलकर मजदूरों को भूखा रहने पर मजबूर कर रहा है। कैंटीन में खाना कम बनवाना आदि समस्याओं से लेकर शॉप फ्लोर में मजदूरों को बिना किसी कारण ट्रान्सफर करना, मजदूरों के साथ बदले की भावना से काम करना आदि उकसावेपूर्ण कार्यवाही कर रहा है। यहां तक कि प्रबंधन मांगपत्र को छोड़कर सत्यापित स्थायी आदेशों के चंडीगढ़ के चक्कर काट रहा है ताकि मजदूर विरोधी बदलावों का फायदा उठाकर स्थायी नौकरियों पर हमला किया जा सके। बेलसोनिका यूनियन घोर मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताओं व 20 माह से लम्बित मांगपत्र को लेकर आज की भूख हड़ताल के बाद योजना बनाकर आगामी लड़ाई लड़ेंगे। इस भूख हड़ताल में बेलसोनिका यूनियन के पदाधिकारी अतुल कुमार, जसबीर सिंह, अजित सिंह, मोहिंदर कपूर, मुकेश कुमार, राजपाल, राजेश कुमार व अरविन्द कुमार शामिल थे व बेलसोनिका के पूरे मजदूरों ने अपनी शिफ्टों के हिसाब से इस भूख हड़ताल में शामिल हुए। आज जो यूनियनें इस भूख हड़ताल के समर्थन में मारुति यूनियन गुड़गांव , मारुति यूनियन मानेसर, पॉवर ट्रैन यूनियन मानेसर, सुजुकी बाइक यूनियन खेड़की दौला, FMI यूनियन मानेसर, रिको यूनियन धारूहेड़ा, हेमा यूनियन गुड़गांव, सत्यम यूनियन मानेसर, मुंजाल शोवा यूनियन मानेसर, एटक से अनिल पवार, इमके श्यामवीर, रोहित व योगेश, श्रमिक नेता कुलदीप जांघू, AIUTIUC से राम कुमार, CITU से सतवीर, आशा वर्कर्स- मिड डे मील की ओर से सरोज, PTI टीचर 1983 की ओर से यूनियन नेता आदि शामिल हुए। Post navigation किसानों के पक्ष में राष्ट्रीय महिला जाट मंच ने किया विरोध प्रदर्शन क्लिनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के लिए गठित जिला रजिस्टरिंग अथोरिटी की पहली बैठक