मुख्य सचिव विजय वर्धन ने उपायुक्तों को प्रदेश में पराली जलाने के जीरो बर्निंग लक्ष्य प्राप्त करने के निर्देश दिए।

चण्डीगढ़, 7 अक्तूबर- हरियाणा के मुख्य सचिव श्री विजय वर्धन ने उपायुक्तों को प्रदेश में पराली जलाने के जीरो बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने, इन-सीटू व एक्स-सीटू प्रबंधन और छोटे एवं सीमांत किसानों को प्राथमिकता आधार पर फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण मुहैया करवाने के निर्देश दिए।

श्री विजय वर्धन ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के तहत रेड जोन में आने वाली पंचायतों को अच्छा प्रदर्शन करने पर राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा, जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली पंचायत को 10 लाख रुपये, द्वितीय को 5 लाख एवं तृतीय को 3 लाख रुपये ईनाम स्वरूप दिए जाएंगे।

श्री विजय वर्धन आज यहां माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अनुपालन में फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए उपायुक्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक कर रहे थे। बैठक में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, एएफसी इंडिया के प्रबंधन निदेशक भी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि जिलों में फसल अवशेष प्रबंधन की मशीनरी की आपूर्ति, कस्टम हायरिंग केंद्रों व किसानों विशेषकर छोटे एवं सीमांत किसानों को 70 प्रतिशत मशीनरी का आवंटन सुनिश्चित करें। साथ ही, इन मशीनों का अधिक से अधिक उपयोग भी सुनिश्चित करें। इसके अलावा, बेल्स की खपत के लिए औद्योगिक इकाईयों तथा गऊशालाओं के साथ संपर्क स्थापित किया जाए। उन्होंने उपायुक्तों को इन सभी गतिविधियों की रिपोर्ट 3 दिनों के अंदर मुख्यालय भेजने के भी निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक सरंपच ग्रामसभा की बैठक आयोजित करें और वे ग्रामसभा में पराली न जलाने का प्रस्ताव पारित करें। उन्होंने जिला स्तर, खण्ड एवं ग्राम स्तर पर पराली न जलाने के लिए जागरूक करने हेतु व्यापक जागरूकता अभियान चलाने के भी निर्देश दिए, जिसके अंतर्गत सेमिनार का आयोजन करना, वॉल पेंटिंग इत्यादि गतिविधियां अमल में लाई जाएं।

बैठक में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर ने बताया कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखने और नियंत्रण के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित की गई है, जिसके तहत सैटेलाइट इमेज के आधार पर 100 से 115 मीटर के दायरे में पराली जलने की घटना का एक एसएमएस दिन में दो बार सरपंचों, ग्राम सचिव, उप निदेशक, कृषि विभाग, तहसीलदार और उपायुक्तों को भेजा जाएगा, ताकि वह मौके पर जाकर स्थिति का जायजा ले सकें और आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा सके। उन्होंने बताया कि भविष्य में सैटेलाइट इमेज का ईओ इमेज के साथ मिलान किया जाएगा ताकि ऐसे घटनाओं पर और कड़ी निगरानी रखी जा सके।

कृषि एवं किसान कल्याण वभिाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेंद्र सिंह ने बताया कि सीएचसी और किसानों को मशीनें वितरित कर दी गई हैं। जीरो बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लाल तथा पीले जोन में आने वाले गांवों में कस्टमर हायरिंग सेंटर व किसानों से आवेदन करवाए गए हैं। छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता के आधार पर पंचायती स्तर पर स्थापित 851 कस्टम हायरिंग केंद्रों में दिये जाने वाले उपकरण व फसल अवशेषों के भंडारण पंचायत भूमि पर सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके अलावा, जो किसान कस्टमर हायरिंग केंद्रों के माध्यम से उपकरण ले रहें उनका आनलाइन सिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिससे यह जानकारी प्राप्त होगी कि किसान उपकरणों का प्रयोग कर रहे हैं या नहीं।

बैठक में विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर राजपाल, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक श्री विजय सिंह दहिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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